किसी लक्ष्य को हासिल करने के लिए यदि फिक्स्ड अवधि के लिए निवेश करना चाहते हैं तो फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान (FMP) को चुनने की सलाह एक्सपर्ट देते हैं. FMP को क्लोज-ऐंडेड डेट म्यूचुअल फंड स्कीम कहा जाता है. ये प्लान कमर्शियल पेपर्स, सर्टिफिकेट ऑफ डिपॉजिट, नॉन-कन्वर्टिबल डिबेंचर्स, सरकारी सिक्योरिटीज, SDL इत्यादि में निवेश करते हैं. FMP क्लोज-ऐंडेड होने की वजह से आप एसेट मेनेजमेंट कंपनी (AMC) के जरिए NFO के वक्त ही इनमें निवेश कर सकते है. एक बार इसका NFO बंद हो जाए फिर आप शेयर एक्स्चेंज पर इसे खरीद सकते हैं, लेकिन कोई बेचने वाला होना जरूरी है.
इन्वेस्टर पॉइंट के फाउंडर और AMFI-रजिस्टर्ड म्यूचुअल फंड डिस्ट्रिब्युटर जयदेवसिंह चुडासमा का कहना है, “यदि बैंक एफडी में निवेश करने के बारे में सोच रहे हैं तो उसके मुकाबले फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान बेहतर विकल्प है. इसमें पोस्ट-टैक्स रिटर्न भी ज्यादा मिलता है. जो निवेशक 30% टैक्स ब्रेकेट में आते हैं उनके लिए ये सबसे अच्छा विकल्प साबित हो सकता है.”
इसमें इंटरेस्ट रेट रिस्क कम है क्योंकि मैच्योरिटी तक सिक्योरिटीज रखी जाती हैं. ज्यादा रिटर्न की संभावना है क्योंकि मैच्योरिटी तक सिक्योरिटी रखना जरूरी है और बीच में रिडेंप्शन संभव नहीं है. ऐसे प्लान का एक्स्पेंस रेश्यो कम होता है. ऐसे प्लान का मैच्योरिटी पीरियड कम से कम 3 साल या उससे ज्यादा होता है. ज्यादा अवधि के कारण निवेशक को लॉन्ग टर्म केपिटल गैन्स (LTCG) टैक्सेशन का फायदा मिलता है. डेट फंड में इंडेक्सेशन बेनिफिट के बाद जो अमाउंट मिलती है केवल उस पर 20% LTCG टैक्स लगता है.
FMP और बैंक FD के बीच कुछ समानताएं हैं. इन दोनों में इन्वेस्टमेंट की अवधि फिक्स्ड होती है. FD में फिक्स्ड रिटर्न मिलने की गारन्टी है लेकिन FMP में अश्योर्ड रिटर्न नहीं मिलता. दोनों में टैक्स के रूल अलग-अलग हैं. FD में मिलने वाले ब्याज पर टैक्स स्लेब के हिसाब से टैक्स लगता है, वहीं 3 साल से ज्यादा अवधि वाले FMP में लॉन्ग टर्म केपिटल गैन्स (LTCG) टैक्स लगता है.
मसलन, फरवरी 2016 से मार्च 2021 की अवधि के लिए एक व्यक्ति ने FMP और बैंक FD में 1,00,000 रुपये निवेश किए हैं. ये व्यक्ति 30% टैक्स स्लैब में आता है. नीचे दिए गए टेबल से समझ में आता है कि बैंक FD के मुकाबले FMP में ज्यादा रिटर्न मिलता है.
कम रिस्क लेने वाले व्यक्ति सिक्योर्ड रिटर्न के लिए इसे चुन सकते हैं. तीन या पांच साल जैसी लंबी अवधि के लिए निवेश पर अच्छा रिटर्न पाने के लिए FMP सही विकल्प है. इसमें सबसे बड़ा फायदा टैक्सेशन का है. जब इंटरेस्ट रेट ज्यादा हो तब FMP में निवेश करने से ज्यादा फायदा होता है.
FMP की लिस्टिंग एक्स्चेंज पर होती है. एक बार आप FMP खरीदते है तो फिर मैच्योरिटी तक रुकना पड़ता है. यदि आपको इमरजेंसी के लिए पैसे की जरूरत पड़े तो आप इसमें से रिडंप्शन नहीं कर सकते. FMP के मुकाबले ओपन-ऐंडेड फंड में लिक्विडिटी का इश्यू नहीं है. आप जरूरत पड़ने पर AMC से ओपन-ऐंडेड फंड का होल्डिंग रीडिम कर सकते है.
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