ETF or Index Funds: अगर आपको शेयर मार्केट की नॉलेज नहीं है, कंपनियों के बारे में भी आप कुछ नहीं जानते, तो म्यूच्युअल फंड के जरिए मार्केट में निवेश कर सकते है, लेकिन यहां पर भी आपके सामने दो विकल्प हैं.
एक्टिव्ली मैनेज्ड फंड और पैसिव्ली मैनेज्ड फंड. यदि आप सस्ते विकल्प को पसंद करना चाहते हैं, तो पैसिव फंड पसंद कर सकते हैं, लेकिन यहां पर भी आपको दो विकल्प में से किसी एक को चुनना होगा.
इंडेक्स फंड या एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF or Index Funds).एक्सपर्ट के मुताबिक, लांग-टर्म निवेश के लिए ईटीएफ और इंडेक्स फंड अच्छे और सस्ते विकल्प हैं, लेकिन आपको ये सुनश्चित करना होगा कि सस्ते विकल्प का फायदा मिल रहा है या नहीं.
एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF) शेयर बाजार में लिस्ट और ट्रेड होने वाले फंड हैं. फंड हाउस द्वारा इन्हें लॉन्च किए जाते हैं. ऐसे फंड की यूनिट़स शेयर बाजार पर लिस्ट होती हैं. फिर इन्हें वहां से खरीदा और बेचा जा सकता है.
ऐसे फंड किसी एक इंडेक्स को ट्रैक करते हैं और उसकी मिरर-ईमेज जैसा प्रदर्शन करने का प्रयास करते हैं.
किसी इंडेक्स में सभी कंपनियों का जितना वेटेज होता है, स्कीम में उसी रेश्यो में उनके शेयर खरीदे जाते हैं. अभी सेंसेक्स और निफ्टी इंडेक्स के ही 30 से ज्यादा इंडेक्स फंड हैं.
ग्रो योर वेल्थ के फाउंडर अभिजीत शाह बताते हैं, “निवेशक का फोकस फंड हाउस कितना रिटर्न देता है, उसके ऊपर होना चाहिए.
नेगेटिव पॉइंट्स के बावजूद आपका फंड आल्फा जनरेट करता है या नहीं वो देखना चाहिए.” फंड को पसंद करने से पहले नीचे बताए गए पॉइंट्स ध्यान में रखने चाहिए.
ट्रैकिंग ऐरर से पता चलता है कि, फंड जो इंडेक्स को ट्रैक कर रहा है, उसके मुकाबले में कितनी सफलता हासिल हुई है.
इंडेक्स फंड और एक्सचेंज ट्रेडेड फंड को पसंद करने से पहले उसका ट्रैकिंग ऐरर ध्यान में रखना चाहिए. जिसका ट्रैकिंग ऐरर सबसे कम हो, उसे पसंद करें.
म्यूच्युअल फंड के मुकाबले एक्सचेंज ट्रेडेड फंड का एक्स्पेंस रेशियो कम होता है और ट्रैकिंग ऐरर भी कम होती है.
इसलिए एक्सचेंज ट्रेडेड फंड में नेट रिटर्न ज्यादा मिलने की संभावना बढ़ जाती है. इंडेक्स फंड का एक्स्पेंस रेशियो 0.75% से 1.5% तक का है, वहीं एक्सचेंज ट्रेडेड फंड का ये रेशियो 0.1% से 0.5% के बीच होता है.
लेकिन ETFs में ब्रोकरेज के अलावा स्प्रेड भी चुकाना पड़ता है, जिसके कारण कम एक्स्पेंस रेशियो होने के बावजूद आपके रिटर्न पर प्रभाव पड़ता है.
एक्सचेंज ट्रेडेड फंड में निवेश करते वक्त, रिटेल निवेशकों को ब्रोकरेज चार्ज को देख कर निर्णय नहीं लेना चाहिए.
ब्रोकर कितना बाय-सेल ब्रोकरेज लेता है और उसमें कितना स्प्रेड जोड़ता है, वो भी देखना जरूरी है. निवेशक आम तौर पर इंडेक्स फंड के मुकाबले ETFs में ज्यादा चार्ज चुकाते है.
एक्सचेंज ट्रेडेड फंड का नेगेटिव पॉइंट लिक्विडिटी है. आप जब एक्सचेंज ट्रेडेड फंड बेचने जाए, तब एक्सचेंज पर बायर होना आवश्यक है.
ऐसा नहीं हो तो लिक्विडिटी की समस्या परेशान कर सकती है. ऐसे हालात में निवेशक को NAV से कम दामों में बेचना या ज्यादा भाव पर खरीदना पड़ता है.
जो निवेशक कंजर्वेटिव हैं और बाजार का रिस्क नहीं लेना चाहते हैं, उन्हें ईटीएफ में पैसा लगाना चाहिए.
यदि आपको मार्केट के बारे में कुछ पता नहीं, आपने डिमेट अकाउंट भी नहीं खुलवाया है, तो आपके लिए इंडेक्स फंड सही विकल्प है.
इंडेक्स फंड ऐसे निवेशकों के लिए बेहतर है जो रिस्क कैलकुलेट कर चलना चाहते हैं, भले ही उन्हें थोड़ा कम रिटर्न मिले.
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