कर्ज के मोर्चे पर राहत की खबर है. बैंको के कर्ज की औसत ब्याज दर में 11 महीनों की लगातार बढ़त के बाद गिरावट देखने को मिली है. रिज़र्व बैंक (RBI) की रिपोर्ट के अनुसार महीने दर महीने के आधार पर उधार दरों में 23 बेसिस प्वाइंट की औसत गिरावट हुई है. औसत उधारी दर जो मार्च में 9.32 फीसदी थी वह अप्रैल में घटकर 9.09 फ़ीसद हो गई. निजी बैंकों में यह गिरावट 44 बेसिस प्वाइंट (BPS) और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में 18 बेसिस प्वाइंट की गिरावट हुई है. इससे कर्ज की ईएमआई घटने की उम्मीद बढ़ गई है.
क्या है कारण?
आरबीआई की पिछली मौद्रिक समीक्षा में ब्याज दरें स्थिर रखने के बाद कुछ बैंकों ने ब्याज दरों में मामूली कटौती की है. आने वाले में दिनों ब्याज दरों में और नरमी देखने को मिल सकती है. बैंकिंग एक्सपर्ट सुरेश बंसल कहते हैं कि इस समय महंगाई नियंत्रण में है और ब्याज की दरें पहले ही अप्रत्याशित रूप से बढ़ चुकी हैं. अब यहां से इनके और बढ़ने का ट्रेंड नहीं दिख रहा है. जाहिर है आने वाले दिनों कर्ज दरें नीचे आएंगी.
एफडी की दरें भी घटीं
आरबीआई की रिपोर्ट के अनुसार अप्रैल 2023 में सावधि जमा यानी FD की औसत ब्याज दरों में भी गिरावट दर्ज हुई है. इस दौरान एफडी की औसत जमा दरें 12 बेसिस प्वाइंट घटकर 6.36 फीसद पर आ गई. मार्च 2023 में यह आंकड़ा 6.48 फीसद के स्तर पर था. ब्याज दरों में नरमी को देखते हुए जून में पीएनबी सहित चार बैंकों ने एफडी की ब्याज दरों में कटौती की है.
क्या कहती है रिपोर्ट?
ब्रोकिंग फर्म मैक्वायरी की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि जमा दरें ऊपरी स्तर पर हैं. बैंकों के पास नकदी की स्थिति में सुधार हो रहा है. इससे ब्याज दरों को चक्र अब उलट सकता है. विविध प्रकार के लोन से जुड़े आंकड़े बताते हैं कि जून 2022 तक सार्वजनिक सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों में एमसीएलआर-लिंक्ड लोन दर की हिस्सेदारी में गिरावट और ईबीएलआर-लिंक्ड लोन दर की बढ़ती हिस्सेदारी देखी गई. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के लिए पिछली दो तिमाहियों में MCLR से जुड़े लोन की हिस्सेदारी बढ़ी है और EBLR से जुड़े लोन की हिस्सेदारी में मामूली गिरावट आई है. निजी बैंकों को ईबीएलआर से जुड़े लोन में बढ़ोतरी और एमसीएलआर से जुड़े लोन की घटती हिस्सेदारी दिखाई दे रही है.