Loan on Mutual Fund: म्यूचुअल फंड में निवेश का क्रेज बढ़ता ही जा रहा है. क्या आप जानते हैं कि म्यूचुअल फंड केवल निवेश के लिए ही सही नहीं है बल्कि आप इससे लोन भी ले सकते हैं. एमएफ से पर्सनल लोन लिया जा सकता है. गौरतलब है कि पर्सनल लोन अनसिक्योर लोन होता है जिसमें आप कोई सिक्योरिटी नहीं देते हैं. इसके चलते यह लोन महंगा होता है. लेकिन म्यूचुअल फंड पर लोन में आपका निवेश ही गिरवी रखा जाता है. इससे यह सस्ता पड़ता है. आइए जानते हैं इसकी पूरी प्रक्रिया.
कहां से मिलेगा लोन? अगर आप भी एमएफ पर लोन लेना चाहते हैं तो जान लें कि लगभग सभी सरकारी और प्राइवेट बैंक यह सुविधा देते हैं. अब तो नॉन बैंक फाइनेंस कंपनियां (NBFCs) भी म्यूचुअल फंड पर लेने देने में ज्यादा रुचि दिखा रही हैं. म्यूचुअल फंड पर लोन लेने के लिए नजदीकी बैंक या एनबीएफसी की नजदीकी शाखा में जाकर संपर्क कर सकते हैं. लोन की प्रक्रिया एकदम आसान है. कई संस्थान ऑनलाइन लोन की सुविधा भी दे रहे हैं.
कितना मिलेगा लोन? म्यूचुअल फंड पर कितना लोन मिलेगा, यह निवेशक के पोर्टफोलियो के कॉपर्स और फंड की स्कीम्स की कैटेगिरी पर निर्भर करेगा. ज्यादातर संस्थान इक्विटी में निवेश पर 50 फीसद और डेट फंड पर 80 फीसद तक लोन देते हैं. उदाहरण के लिए ज्योति ने अपना पूरा निवेश इक्विटी फंड में कर रखा है जो लगभग 10 लाख रुपये का है. ऐसे में उन्हें 5 लाख रुपए का लोन आसानी से मिल जाएगा. वह इस लोन को लंपसम यानी एकमुश्त या ओवर ड्राफ्ट (ओडी) के रूप में ले सकती हैं. वह जितनी रकम निकालेंगी, बैंक सिर्फ उसी पर ब्याज वसूलेगा.
कितना लगेगा ब्याज? देश के प्रमुख बैंक म्यूचुअल फंड पर सालाना 9 से 11 फीसद तक के ब्याज पर लोन दे रहे हैं. एनबीएफसी 9 से 10 फीसद तक का ब्याज ले रही हैं. ब्याज दर कर्ज लेने वाले व्यक्ति के सिबिल स्कोर के आधार पर तय की जाती है. एनबीएफसी गोल्ड लोन पर 9 से 22 फीसद तक का ब्याज ले रही हैं जबकि पर्सनल लोन की दरें 11 से 24 फीसद तक हैं. इस हिसाब से म्यूचुअल फंड पर लोन सस्ता पड़ता है. आमतौर म्यूचुअल फंड का लोन एक साल तक के लिए होता है. इस लोन के भुगतान के लिए ईएमआई चुकाने की जरूरत नहीं होती. इस लोन को कभी भी चुका सकते हैं. हर महीने ब्याज चुकाने का भी झंझट नहीं है. ब्याज का एकमुश्त भुगतान कर सकते हैं. अगर एक साल में आप लोन नहीं चुका पाए तो फिर इसे रिन्यू करा सकते हैं.
कैसे मिलेगा रिटर्न? उदाहरण से समझें तो ज्योति ने अपने म्यूचुअल फंड पर लोन लिया है. लोन लेने के बाद भी म्यूचुअल फंड्स की ओनरशिप ज्योति के पास ही रहेगी. इस निवेश पर उन्हें पहले की तरह रिटर्न भी मिलता रहेगा. अगर किसी स्कीम में डिविंडेड मिल रहा है तो यूनिट को गिरवी रखने के बावजूद इस लाभ पर कोई असर नहीं पड़ेगा. हालांकि वह लोन चुकाने से पहले इस निवेश को रिडीम नहीं कर पाएंगी. गिरवी रखी हुई सिक्योरिटी को बैंक लियेन यानी ब्लॉक कर देते हैं. लोन का पूरा भुगतान होने के बाद इसे रिडीम करा सकते हैं.
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