हॉलमार्किंग के नए नियमों यानी हॉलमार्किंग यूनिक आईडी – एचयूआईडी (Hallmarking Unique ID) से नाखुश देशभर के ज्वेलर्स ने 23 अगस्त को ‘टोकन स्ट्राइक’ (token strike) करने का फैसला किया है. गंगानगर कमोडिटीज लिमिटेड (Ganganagar Commodities Limited) के एवीपी-रिसर्च कमोडिटीज के अमित खरे ने कहा है कि देशभर के गोल्ड ज्वैलर्स ने हड़ताल पर जाने का फैसला किया है. हड़ताल को पूरी जेम्स एंड ज्वैलरी इंडस्ट्री (gems and jewellery industry) के चारों जोन के 350 एसोसिएशन और फेडरेशन समर्थन दे रही हैं.
गोल्ड हॉलमार्किंग (Gold hallmarking) सोने की शुद्धता का सर्टिफिकेशन है और अब तक ये मर्जी से लिया जाता था. आने वाले सितंबर से गैर-प्रमाणित उत्पादों की बिक्री करने वाले ज्वेलर पर जुर्माना लगाया जा सकता है. जून में लागू हुए नए हॉलमार्किंग नियम के मुताबिक, ज्वैलर्स को केवल 14,18 और 22 कैरेट सोने के गहने बेचने की इजाजत है और उन्हें अपने उत्पादों को हॉलमार्क करना जरूरी होगा.
ऐसा नहीं करने पर उन्हें सजा का सामना करना पड़ेगा. खरे ने कहा, सोने की हॉलमार्किंग से इसकी कालाबाजारी कम होगी और लंबे समय में इसका ज्वेलरी कारोबार पर बहुत सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.
जो ज्वैलर्स इसका विरोध कर रहे हैं, उन्हें उत्पादों की हॉलमार्किंग से कोई परेशानी नहीं है लेकिन वो इस प्रक्रिया से नाखुश हैं, जो उन्हें लगता है कि लंबी और जटिल है.
पीसी चंद्रा ज्वैलर्स के शुभ्र चंद्रा ने कहा, हम सटीक बुनियादी ढांचे के बिना हॉलमार्किंग प्रक्रिया शुरू करने के सरकार के फैसले का विरोध कर रहे हैं. गहनों की हॉलमार्किंग कोई मुद्दा नहीं है. हर कोई इस कदम का स्वागत कर रहा है, लेकिन पूरी प्रक्रिया बहुत मुश्किल है. आमतौर पर गहने वापस पाने में कम से कम 20-25 दिन लगते हैं और कुछ मामलों में एक महीने से भी ज्यादा का समय लग जाता है.उन्होंने कहा कि वो समझते हैं कि कुछ तकनीकी समस्या हो सकती है, लेकिन सरकार को इसे हल करने के लिए पर्याप्त समय लेना चाहिए और फिर इसे जरूरी करना चाहिए.
शुभ्र चंद्रा ने मनी 9 को बताया, बीआईएस (BIS) की वेबसाइट अभी तैयार नहीं है, लेकिन उन्होंने ज्वेलर्स को लागू करने का आदेश दिया है जो कि गलत है. इसी मामले में हमारा विरोध है. ये वास्तव में बिक्री के आंकड़े पर बुरा प्रभाव डालेगा और सरकार को टैक्स की एक बड़ी रकम का नुकसान होगा.
बंगाल में सबसे बड़ा जौहरी संगठन ‘स्वर्णों सिलपो बचाओ समिति’ या एसएसबीसी (SSBC) है, उन्होंने भी फैसले का विरोध किया है और टोकन स्ट्राइक में शामिल हुए हैं. एसएसबीसी (SSBC) के वर्किंग प्रेसिडेंट, समर डे ने कहा कि सरकार ने ज्वैलर्स के लिए कड़े कानून बनाए हैं, लेकिन हॉलमार्किंग सेंटर की जुर्माने की जिम्मेदारी बहुत कम है. ये प्रोसेस हमारे लिए मुमकिन नहीं है, इसलिए हमने प्रक्रिया में कुछ बदलाव की मांग की है. उम्मीद है कि सरकार हमारी बात सुनेगी और जरूरी कदम उठाएगी.
आईआईएफएल सिक्योरिटीज (IIFL Securities) में कमोडिटी एंड करेंसी रिसर्च के वाइस प्रेसिडेंट (VP) अनुज गुप्ता ने कहा, इससे सोने की कीमतों पर सकारात्मक असर पड़ेगा, हालांकि त्योहारी सीजन में सोने की मांग बढ़ने की उम्मीद है. हड़ताल से सोने की कीमतों पर फर्क पड़ सकता है आने वाले दिनों में सोने की कीमतों में तेजी आ सकती है. सोना आने वाले दिनों में 48500 तक जा सकता है.
वहीं दूसरी ओर अमित खरे ने कहा, हमें लगता है कि इससे सोने की कीमतों पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ेगा क्योंकि हॉलमार्किंग एक बहुत अच्छा निर्णय है और सोने की शुद्धता की पहचान करने के लिए जरूरी है. कीमतों में उतार-चढ़ाव पूरी तौर पर मांग और आपूर्ति पर निर्भर करता है. हमें लगता है कि इस हड़ताल से सोने की आपूर्ति या मांग पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.
एक्सपर्ट्स का कहना है कि डेली टेक्निकल चार्ट (daily technical chart) पर सोना बहुत आकर्षक दिख रहा है. उनका मानना है कि सोने की कीमतों में कोई भी छोटा सुधार सोने के निवेशकों के लिए एक अच्छा मौका होगा.
खरे ने कहा, एमसीएक्स अक्टूबर गोल्ड कॉन्ट्रैक्ट (MCX October Gold contract) के मुताबिक 47,000-46,500 रुपये सबसे अच्छा निवेश मूल्य है. क्योंकि अगले 1-2 महीनों में देश में त्योहार आ रहे हैं और हमें उम्मीद है कि इस त्योहारी सीजन में सोना 5-10% रिटर्न दे सकता है. इसलिए अगर कीमत 47000-46500 रेंज के करीब आती है तो निवेशकों को मौका नहीं छोड़ना चाहिए .
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