Mutual Fund Investment: 26 साल के फार्मा एक्जिक्यूटिव विपुल जाधव म्यूचुअल फंड में निवेश की शुरुआत करना चाहते है, लेकिन कौन सी स्कीम को चुने यह तय करना उनके लिए मुश्किल है. 35 साल के मोबाइल शॉप ओनर राजेश पटेल 4 स्कीम में निवेश करते है और ये सारी स्कीम लार्ज-कैप कैटेगरी की है. 48 साल के भरतभाई पुरोहित 1 साल से स्मॉल-कैप स्कीम में निवेश कर रहे है. ये तीनों निवेशक और उनके जैसे कई निवेशक इसी तरह से निवेश करते हैं.
इन उदाहरणों से पता चलता है कि विभिन्न उम्र के निवेशक के म्यूचुअल फंड पोर्टफोलियो में ज्यादातर हिस्सा इक्विटी का है. कुछ निवेशकों का मानना है कि आदर्श पोर्टफोलियो बनाने के लिए बाजार में उपलब्ध हर म्यूचुअल फंड कैटेगरी की स्कीम खरीदनी चाहिए. वहीं, कुछ निवेशकों को लगता है कि प्रमुख म्यूचुअल फंड कैटेगरी की आधा दर्जन स्कीमों से यह काम किया जा सकता है.
बैलेंस्ड पोर्टफोलियो
लक्ष्य-आधारित पोर्टफोलियो लंबी अवधि में निवेश का सबसे अच्छा तरीका है. आपके विभिन्न लक्ष्य को कोर और सैटेलाइट पोर्टफोलियो से हासिल किया जा सकता है. लेकिन, कोर पोर्टफोलियो निवेश का सुविधाजनक और आसान तरीका है. “अपने लक्ष्यों को भूलकर किसी चल रहे सेक्टर या थीम आधारित पोर्टफोलियो बनाने से अच्छा है बैलेंस्ड पोर्टफोलियो बनाया जाए. जैसे, कई निवेशक के पोर्टफोलियो में केवल इक्विटी का पोर्शन ही होता है, वर्तमान परिस्थिति में ऐसे निवेशक को डेट फंड्स में निवेश करना चाहिए, लेकिन वह इक्विटी स्कीम खरीदते है, लेकिन जब मार्केट करवट बदलेगा तब उन्हें लोस का सामना करना पडेगा,” ऐसा AMFI-रजिस्टर्ड म्यूचुअल फंड डिस्ट्रिब्यूटर और Investor Point के फाउंडर जयदेवसिंह चुडासमा money9.com को बताते है.
हर निवेशक के लिए एक पोर्टफोलियो नहीं चलेगा
केवल एक पोर्टफोलियो सभी तरह के निवेशक के लिए आदर्श नहीं हो सकता. “निवेशक को अपनी उम्र, आय-खर्च अनुपात, जोखिम उठाने की ताकत, वित्तीय लक्ष्य की अवधि और दूसरे कुछ कारकों को ध्यान में लेने के बाद म्यूचुअल फंड स्कीम का चयन करना चाहिए और अपने लिए एक आदर्श पोर्टफोलियो बनाना चाहिए,” ऐसा सर्टिफाइड फाइनेंशियल प्लानर विशाल शाह money9.com को बताते है.
इमर्जेंसी का इंतजाम
आपके पोर्टफोलियो में ऐसा फंड होना बेहद जरूरी है, जो इमर्जंसी के वक्त आसानी से आपके हाथ में आ जाए. चुडासमा के मुताबिक, इमर्जंसी में काम आए ऐसा फंड आपके पासे होना ही चाहिए. इसके लिए स्वीप-इन, स्वीप-आउट डिपॉजिट, यानि लिक्विड फंड्स में निवेश करना चाहिए. ऐसे फंड से ज्यादा रिटर्न की उम्मीद ना रखें क्योंकि इसका उद्देश्य केवल इमर्जंसी के वक्त आसानी से उपयोग में आने का है.
निवेश किए गए पैसे को विभिन्न केटेगरी में विभाजित करके रिस्क को बैलेंस करने के उद्देश्य के लिए एसेट अलोकेशन जरूरी है, जो इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो की एक तकनीक है, ऐसा चुडासमा बताते है. इसके लिए आपको कैश, बॉन्ड, स्टॉक, रियल एस्टेट या डेरिवेटिव्स जैसे एसेट में निवेश बांट देना चाहिए. अधिकांश फाइनेंशियल प्रोफेशनल्स एसेट अलोकेशन को सबसे महत्त्वपूर्ण पहलू मानते है. म्यूचुअल फंड के पोर्टफोलियो में भी इसी तरह से विभिन्न तरह की स्कीम होनी चाहिए. पोर्टफोलियो निर्माण पूरी तरह से एसेट एलोकेशन पर आधारित है. यह जोखिम लेने की क्षमता और निवेश की अवधि से तय होता है.
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