NPS Vs ULIP: ऐसे तो बाजार में कई टैक्स सेविंग विकल्प मौजूद हैं, लेकिन अक्सर लोगों में इस बात को लेकर कंफ्यूजन रहता है कि उनके लिए कौन सा विकल्प बेहतर होगा. नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) और यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान (ULIP) लोगों के द्वारा सबसे ज्यादा यूज किये जाने वाले प्लान हैं. आज हम आपको इन दोनों के बीच का अंतर बताने वाले हैं, इससे आपको कभी टैक्स सेविंग प्लान चुनने में परेशानी नहीं होगी.
टैक्स सेविंग
जहां एक ओर यूलिप में बीमा और निवेश के दोहरे लाभों के फायदे हैं. वहीं, एनपीएस में वन टाइम पेमेंट के साथ रिटायरमेंट के बाद एक स्टेबल पेंशन का लाभ है. एनपीएस और यूलिप दोनों ही आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत सबसे लोकप्रिय टैक्स सेविंग विकल्प हैं. इसलिए अपनी फाइनेंशियल जरूरतों को देखते हुए बेहतर विकल्प का चयन करना चाहिए.
कैसे काम करते हैं NPS और ULIP
एनपीएस: राष्ट्रीय पेंशन योजना (NPS) एक सरकारी पेंशन योजना है. सशस्त्र बलों के कर्मचारियों,पब्लिक,प्राइवेट और असंगठित सेक्टर को छोड़कर सरकारी कर्मचारी इस योजना को सब्सक्राइब कर सकते हैं. एक बार रिटायर होने के बाद सब्सक्राइबर कॉर्पस का एक निश्चित प्रतिशत निकालने का विकल्प चुन सकते हैं और शेष राशि का भुगतान मासिक पेंशन के रूप में ले सकते हैं.
यूलिप: वहीं, दूसरी ओर यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान (ULIP), इंश्योरेंस प्लान्स और इंवेस्टमेंट्स का एक कॉम्बिनेशन है. यूलिप का उद्देश्य बीमा कवरेज के साथ-साथ वेल्थ ग्रोथ का अवसर भी प्रदान करना है. इसमें निवेशकों द्वारा भुगतान किए गए प्रीमियम के दो भाग होते हैं. पहला भाग बीमा कवरेज के लिए प्रीमियम की ओर जाता है और शेष भाग को निवेश किया जाता है. इस योजना में निवेशक के रिस्क प्रोफाइल के अनुसार डेट या इक्विटी इंस्ट्रूमेंट में निवेश किया जाता है.
क्या है एनपीएस और यूलिप के बीच का अंतर
यूलिप और एनपीएस की अपनी-अपनी विशेषताएं हैं. फिर भी एक निवेशक के प्रोस्पेक्टिव से प्रमुख मापदंडों की तुलना की गई है:
i) लागत: अधिकांश लोगों के लिए एनपीएस को कम लागत वाला निवेश माना जाता है. यहाँ 100 रुपये का इनिशियल सब्सक्रिप्शन चार्ज लिया जाता है. जबकि मैनेजमेंट फीस 0.25% से कम तक सीमित है.
दूसरी ओर क्योंकि यूलिप डेट और इक्विटी इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करते हैं. इसलिए इनकी मैनेजमेंट फीस एनपीएस की तुलना में अधिक होती है. यहाँ पर मैनेजमेंट फीस 1.35% तक जा सकती है.
ii) मिनिमम कॉन्ट्रीब्यूशन: एनपीएस में प्रत्येक फाइनेंशियल ईयर में आपको टियर-I के लिए न्यूनतम 1,000 रुपये और टियर-II खाते के लिए 250 रुपये का भुगतान करना होता है.
वहीं, यूलिप इंश्योरेंस प्रोडक्ट हैं. इसलिए यूलिप के लिए न्यूनतम भुगतान एनपीएस से अधिक होता है.
iii) निकासी: एनपीएस में आंशिक निकासी के लिए आपको कुछ विशिष्ट शर्तों को पूरा करना होता है. आप 60 वर्ष की आयु से पहले अधिकतम 20% राशि निकाल सकते हैं. वही यूलिप 5 साल के लॉक-इन पीरियड्स के साथ आते हैं.
iv) टैक्स: एनपीएस टैक्स ब्रैकेट EET के अंतर्गत आता है. यहां मैच्योरिटी पर निकाली गई राशि टैक्सेशन के अधीन आती है. वहीं दूसरी ओर यूलिप धारा 80सी. के तहत टैक्स डेडक्टिबल है.
दोनों में से कौन सा विकल्प बेहतर है
इस सवाल का जवाब इस बात पर निर्भर करता है कि आप किस तरह के निवेश के मौके की तलाश में हैं. चार्टर्ड अकाउंटेंट और पर्सनल फाइनेंस एडवाइजर सुमन नंदी के मुताबिक क्योंकि यूलिप ग्रोथ और इंश्योरेंस दोनों विकल्प पेश करते हैं, इसमें कोई दो राय नहीं कि यह निवेश का एक अच्छा विकल्प है. लेकिन एनपीएस उन लोगों के लिए ज्यादा अच्छा है, जो कम जोखिम वाले निवेश को प्राथमिकता देते हैं या पहले ही यूलिप में बड़ी राशि का निवेश कर चुके हैं.
सुमन नंदी के अनुसार, आमतौर पर 40 या 45 वर्ष की आयु तक कोई भी रिस्क ले सकता है और अपनी सेविंग्स को रिस्क के साथ निवेश करना पसंद कर सकता है. लेकिन 45 साल की उम्र के बाद मुझे लगता है, हर किसी को अपनी रणनीति बदलनी चाहिए और अपने निवेश के लिए एक सुरक्षित विकल्प चुनना चाहिए.
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