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FD Vs Liquid Fund: इमरजेंसी फंड तैयार करने में कौन-सा विकल्प रहेगा बेहतर? जानें यहां

इमर्जेंसी फंड बनाना इसीलिए जरूरी है. यह फंड किसी वितरीप स्थिति से निपटने में मदद करता है. मुश्किल समय में यह वित्‍तीय मुसीबत से बचाता है.

  • Team Money9
  • Last Updated : August 25, 2021, 12:47 IST
नए संशोधन के बाद वे आम जनता को सात दिनों और 10 साल के बीच पूरी होने वाली जमा पर 2.50% से 5.60% ब्याज दर की पेशकश कर रहे हैं. वहीं सीनियर सिटीजन को 3% से 6.30% तक ब्याज मिलेगा
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अनहोनी किसी ने नहीं देखी है. यह कब किसके साथ घट जाए कोई नहीं जानता. इमर्जेंसी फंड बनाना इसीलिए जरूरी है. यह फंड किसी वितरीप स्थिति से निपटने में मदद करता है. मुश्किल समय में यह वित्‍तीय मुसीबत से बचाता है. साथ ही लंबी अवधि के लक्ष्‍यों को पटरी से उतरने से भी रोकता है. कई लोग अपने इमर्जेंसी फंड का पैसा लिक्विड फंड या फिक्स्ड डिपॉजिट में रखते हैं लेकिन, यदि आपको इन दोनों में से किसी एक को चुनना हो तो आप इनमें से किसे चुनेंगे और क्यों? आइए इनके फायदे और नुकसान के बारे में समझने के लिए इन दोनों इन्वेस्टमेंट प्रॉडक्ट्स पर एक नजर डालते हैं.

बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट

FD में कम से कम 7 दिन और अधिक से अधिक 10 साल तक या कुछ मामलों में इससे भी ज्यादा लम्बे समय तक पैसे रखने की सुविधा मिलती है. यदि निवेशक ने एक स्वीप-इन FD का ऑप्शन चुना है तो उस FD अकाउंट से जुड़े सेविंग्स अकाउंट में रखा गया पैसा निर्धारित सीमा से अधिक होने पर एक्स्ट्रा अमाउंट अपने आप FD अकाउंट में ट्रांसफर हो जाता है.

यदि आप एक इमर्जेंसी फंड का पैसा एक FD में रखते हैं और उसकी मैच्योरिटी से पहले उसे तोड़ देते हैं तो बैंक, शायद उसके इंटरेस्ट वैल्यू के लगभग 0.5% से 1% की पेनल्टी लेता है.

लिक्विड फंड

लिक्विड फंड्स, डेब्ट-ओरिएंटेड म्यूच्युअल फंड स्कीम्स हैं जिसमें रखे जाने वाले पैसे को 91 दिनों से कम मैच्योरिटी वाले डेब्ट इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश किया जाता है. एक लिक्विड फंड इन्वेस्टमेंट से एग्जिट करने पर कोई प्रीमच्योर विथड्रॉल पेनल्टी नहीं लगती है.

ऑनलाइन इन्वेस्टमेंट एप्लिकेशन Tarrakki के CEO और को-फाउंडर सौम्य शाह कहते हैं, “एक आपातकालीन निधि आपके तकिए के नीचे रखे गए धन की तरह होनी चाहिए, जो हर समय उपलब्ध हो. पहले ऐसी राशि के लिए सेविंग अकाउंट में पैसे रखे जाते थे, हालांकि, लगातार ब्याज दर में कमी ने इसे पूरी तरह से लाभहीन विकल्प बना दिया है. ऐसी परिस्थिति में लिक्विड फंड एक बढ़िया विकल्प है, जो आपको इंस्टा-रिडेम्पशन के साथ अच्छा रिटर्न प्रदान करता है.”

निर्धारित समय से पहले निवेश निकालने पर लिक्विड फंड में एक्जिट लोड चुकाना पड़ता है. अगर आप अपना निवेश 7 दिन तक नहीं बेचते हैं तो आपको कोई भी एग्जिट लोड नहीं देना होगा.

टैक्सेशन

FD में मिलने वाले इंटरेस्ट पर, TDS लग सकता है, जबकि लिक्विड फंड्स में ऐसा नहीं होता है. FD से होने वाले इनकम पर निवेशक के टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स लिया जाता है – यहां तक कि लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टमेंट पर भी.

दूसरी तरफ लिक्विड फंड पर शॉर्ट-टर्म के लिए यानी 3 साल से कम समय के लिए निवेश करने पर, निवेशक के टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स लिया जाता है.

यदि इन्वेस्टमेंट पीरियड 3 साल से अधिक है तो लिक्विड फंड रिटर्न पर इंडेक्सेशन बेनिफिट के साथ 20% की दर से टैक्स लिया जाता है. इसके अलावा, लिक्विड फंड्स पर लगने वाला टैक्स सिर्फ तभी लिया जाता है जब उसमें रखे गए पैसे को निकाला जाता है.

Published - August 25, 2021, 12:36 IST

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