Debt Portfolio: 32 वर्ष के तुषार पटेल पिछले 5 साल से शेयर मार्केट और म्यूचुअल फंड में निवेश कर रहे हैं. म्यूचुअल फंड में उनके पास लार्ज-केप, स्मॉल-केप और बेलेंस्ड स्कीम्स हैं. तुषार ने इसले अलावा कहीं निवेश नहीं किया हैं. तुषार ने पढा है कि पोर्टफोलियो में इक्विटी और डेट के बीच बेलेंस बनाना आवश्यक है, लेकिन डेट में किस तरह के प्रोडक्ट में निवेश करने से कैसे फायदा होगा, इस बारे में उन्हें अधिक जानकारी नहीं हैं. विशेषज्ञो के मुताबिक, निवेशक को अपने निवेश के सफर में डेट पोर्टफोलियो को साथ लेकर चलना चाहिए, क्योंकि डेट पोर्टफोलियो उनका सफर सुरक्षित बनाए रखने में मदद करेगा.
कितना हो डेट में निवेश
एक थंब रूल के मुताबिक, यदि आपकी उम्र 30 साल है, तो आदर्श रूप से आपके पोर्टफोलियो में डेट का भाग 30% और इक्विटी का भाग 70% होना आदर्श है. आप 60 साल के हैं, तो डेट में 60% और इक्विटी में 40% निवेश होना चाहिए. यानि, जितनी उम्र कम उतना इक्विटी में ज्यादा निवेश और जितनी उम्र ज्यादा उतना डेट में ज्यादा निवेश करें.
एक्सपर्ट की राय
SEBI-रजिस्टर्ड इंवेस्टमेंट एडवाइजर और AMFI-रजिस्टर्ड म्यूचुअल फंड डिस्ट्रिब्युटर संतोष प्रभाकर बताते है, “अगर आपका निवेश का लक्ष्य 5 साल दूर है, तो रिटर्न की स्थिरता को देखते हुए, डेट फंड में निवेश करना चाहिए. इसी तरह, कोई व्यक्ति युवा है, तो वह ज्यादा जोखिम वाले एसेट्स जैसे प्योर इक्विटी फंड्स में निवेश कर सकता है.” इक्विटी फंड्स के विपरीत, कुछ डेट फंड निवेशकों को समय-समय पर सेट रिटर्न देते हैं. इस तरह, एक इन्वेस्टर के पोर्टफोलियो में डेट एसेट क्लास शामिल होने से पोर्टफोलियो और मजबूत बनता है.
अच्छा प्रदर्शन देखकर निवेश ना करें
प्रभाकर कहते है कि आपको डेट में इसलिए निवेश नहीं करना चाहिए, क्योंकि उसमें अच्छा रिटर्न मिल रहा हैं. आपको अपनी जरूरत के आधार पर डेट में निवेश करने की रणनीति बनानी चाहिए. अगर एक एसेट क्लास किसी साल बहुत अच्छा प्रदर्शन करता है, तो इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि वो अगले साल भी अच्छा प्रदर्शन करेगा. साथ ही, एसेट क्लास अंडरपरफॉर्म भी कर सकता है. इसलिए, अलग-अलग इंस्ट्रूमेंट में निवेश करने से आपका पोर्टफोलियो किसी एक एसेट क्लास के अच्छा प्रदर्शन न करने की स्थिति में कम प्रभावित होगा और मार्केट की उथल-पुथल का सामना कर पाएगा.
इमरजेंसी के लिए
आपको आपातकालीन स्थितिओं से निपटने के लिए डेट में निवेश रखना चाहिए. प्रभाकर के मुताबिक आप बैंक FD में निवेश कर सकते हैं. अगर म्यूचुअल फंड में निवेश करना है, तो लिक्विड फंड या अल्ट्रा शॉर्ट-ड्यूरेशन फंड को चुनें.
शॉर्ट-टर्म लक्ष्य
अगर आपके लक्ष्य शॉर्ट-टर्म के हैं, तो शॉर्ट मैच्योरिटी वाली योजनाओं जैसे ओवरनाइट, लिक्विड, अल्ट्रा शॉर्ट ड्यूरेशन फंड आदि में निवेश करना चाहिए. ये डेट म्यूचुअल फंड उच्च रिटर्न देते हैं और पूंजी की उच्च सुरक्षा करते है.
लॉन्ग-टर्म लक्ष्य
लंबी अवधि वाले लक्ष्यों के लिए आपको गिल्ट, मीडियम-टु-लॉन्ग ड्यूरेशन और लॉन्ग ड्यूरेशन फंड को चुनना चाहिए. इनमें ज्यादा उतार-चढाव आते है, इसलिए इनकी अस्थिरता से बचने के लिए निवेशक को हर 3-4 साल के लिए शॉर्ट-टर्म प्लान खरीदते रहना चाहिए. आप लॉन्ग-टर्म के लिए PPF, VPF, सुकन्या समृद्धि और RBI सेविंग्स- बॉन्ड जैसे सुरक्षित विकल्पों को चुन सकते हैं. इनके अलावा सीनियर सिटीजन सेविंग्स स्कीम (SCSS), प्रधान मंत्री वय वंदना योजना (PMVVY) में निवेश कर सकते हैं. इन स्कीमों में लंबी लॉक-इन अवधि 5-15 साल है. इसलिए अपने लक्ष्य की अवधि का सही आकलन करने के बाद ही सही विकल्प को चुनें.
आदर्श डेट पोर्टफोलियो
कोई एक पोर्टफोलियो सभी निवेशकों के लिए आदर्श नहीं बन सकता. आदर्श पोर्टफोलियो का आधार आपकी जरूरत, रिस्क-कैपेसिटी और अस्थिरता से निपटने की क्षमता पर निर्भर हैं. डेट पोर्टफोलियो को बनाने से पहले आपको तरलता और सुरक्षा, इन दो पहलूओं पर ध्यान देना चाहिए, क्योंकि डेट फंड का मुख्य उद्देश्य पूंजी संरक्षण और समग्र पोर्टफोलियो में स्थिरता लाना है. अगर आप जोखिम भरा डेट प्रोडक्ट चुनेंगे तो अनजाने में अपने पोर्टफोलियो को नुकसान पहुंचा सकते हैं.
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