Mutual Fund: विभिन्न म्यूचुअल फंड्स ने पिछले एक साल में बेहतरीन रिटर्न्स दिए है. शेयर बाज़ारों में चल रहे बुल रन के कारण म्यूचुअल फंड निवेशकों को चांदी हो गई है, ऐसे में कई निवेश म्यूचुअल फंड में निवेश बेच देना चाहते हैं और पैसा निकालने के बारे में सोचने लगे है. म्यूचुअल फंड में निवेश किए गए पैसे कभी ना कभी तो निकालने ही है, लेकिन उसके लिए हर निवेशक का अपना-अपना सही या गलत वक्त हो सकता है. म्यूचुअल फंड से पैसे निकालने का कौन सा वक्त सही है, इसका आधार कई चीजों पर निर्भर है, आइए जानते हैं इस बारे में एक्सपर्ट की राय.
SEBI-रजिस्टर्ड इन्वेस्टमेंट एडवाइजर नचिकेत मांडविया कहते हैं, “हम पैसा कमाने के लिए ही पैसा लगाते/निवेश करते हैं. निवेश का लक्ष्य पैसे लगाना नहीं, बेचना होता है ताकि कमाई हो सके. इसलिए जितना ध्यान पैसे निवेश करने पर देते हैं, उतना ही ध्यान उसे निकालने पर देना चाहिए.”
लक्ष्य पूरा होने पर
ऐसा मांडविया कहते हैं कि आपने जिस लक्ष्य के लिए पैसा निवेश किया हो, वह लक्ष्य करीब आ रहा है तो आप फंड बेच सकते हैं, भले ही बाजार की जो भी स्थिति हो. अगर लक्ष्य को टाला नहीं जा सकता हो तो आपको तय समय से एक-दो साल पहले से एक्शन में आ जाना चाहिए.
इसके लिए इक्विटी फंड से पैसा निकालकर किसी लिक्विड फंड में डालना शुरू करना चाहिए. आप इसके लिए ऑटोमेटेड सिस्टेमैटिक ट्रांसफर प्लान (STP) का उपयोग भी कर सकते हैं.
यदि आपको टार्गेट प्राप्त करने में 80-90 फीसदी सफलता प्राप्त हुई है तो आप बेशक रिडेम्पशन कर सकते हैं, लेकिन अगर आपका टारगेट 50% दूर है तो जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए.
एक्सपेंस रेशियो ज्यादा हो तब
आपके फंड के रिटर्न का आधार उसके एक्स्पेंस रेशियो पर निर्भर करता है. यह रेशियो दितना बढ़ेगा उतना ही रिटर्न कम होगा. यदि आपके फंड या स्कीम का एक्सपेंस रेशियो उसकी केटेगरी के दूसरें फंड के मुकाबले बहुत अधिक है तो बेशक आपको फंड से पैसे निकालने के बारे में सोचना चाहिए.
लगातार खराब प्रदर्शन
आपका फंड उसकी केटेगरी के दूसरे फंड के मुकाबले लगातार कम रिटर्न दे रहा हो या आपका फंड उसके बैंचमार्क या इंडेक्स फंड से कम रिटर्न दे रहा हो तो उसे बेच देना चाहिए. आपको दो, तीन और पांच साल के रिटर्न की तुलना करनी चाहिए और प्रतिस्पर्धी फंड के मुकाबले लगातार कम रिटर्न मिला है तो ही रिडीम करने के बारे में सोचना चाहिए. अगर आपका फंड नया है या शॉर्ट-टर्म के लिए ही उसका प्रदर्शन खराब है तो जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए.
इमर्जेंसी के वक्त
मांडविया कहते हैं कि किसी भी व्यक्ति के जीवन में कभी भी इमर्जेंसी आ सकती है और इसका सामना करने के लिए इमर्जेंसी फंड का होना बेहद आवश्यक है. यदि आपके पास ऐसा फंड नहीं है और अन्य कोई विकल्प नहीं बचा हो तभी म्यूचुअल फंड के निवेश को बेचना चाहिए. अगर हो सके तो आपको थोड़े युनिट बचा लेने चाहिए और आपका निवेश बरकरार रखना चाहिए.
ओवरलैपिंग के वक्त
यदि आपके पास एक ही प्रकार के कई म्यूचुअल फंड्स हैं तो ओवरलेपिंग होता है, इसलिए किसी एक फंड को बेच देना चाहिए और पोर्टफॉलियो डाइवर्सिफाई रहे उस तरह से दूसरे फंड में निवेश शुरू करना चाहिए.
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