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म्यूचुअल फंड में क्या होता है स्टैंडर्ड डेविएशन, निवेशकों के लिए क्यों जानना है जरूरी

Standard Deviation: फंड का स्टैण्डर्ड डेविएशन ज्यादा है तो उसका रेंज भी काफी ज्यादा होगा. यानी उतार-चढ़ाव भी ज्यादा होगी और रिस्क भी ज्यादा होगा

  • Team Money9
  • Last Updated : July 7, 2021, 11:31 IST
pixabay, Dolly Khanna ने शेमारू एंटरटेनमेंट में 1 फीसदी और एरीज एग्रो में 1.5 फीसदी स्टेक की खरीदारी की है.
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Mutual Funds: स्टैण्डर्ड डेविएशन का नाम आपने कहीं तो सुना होगा. कॉमर्स के छात्र रहे हैं तो शायद पढ़ने में भी आया होगा. स्टैण्डर्ड डेविएशन म्यूचुअल फंड में किसी भी फंड के प्रदर्शन की रेंज दर्शाता है. यानी फंड आपको ज्यादा से ज्यादा और कम से कम कितना रिटर्न दे सकता है, ये जानकारी आपको स्टैंडर्ड डेविएशन (Standard Deviation) से पता चलती है.

इस तरह समझें

मान लो अगर किसी फंड का एवरेज रिटर्न 12% है और उसका स्टैण्डर्ड डेविएशन 2% है तो उसका अधिकतम रिटर्न 14% होगा. इसी तरह से अगर उसका मिनिमम रिटर्न 10% होगा. यानी वो फंड 10% से 14% तक का रिटर्न दे सकता है. अब जैसे किसी फंड का स्टैण्डर्ड डेविएशन ज्यादा है तो उसका रेंज भी काफी ज्यादा होगा. यानी उतार-चढ़ाव भी ज्यादा होगी और रिस्क भी ज्यादा होगा. इसलिए एक्सपर्ट मानते हैं कि किसी भी फंड का स्टैण्डर्ड डेविएशन कम होना चाहिए.

हम एक म्यूचुअल फंड में इन्वेस्ट करते हैं लेकिन उसका पैसा 25 या 50 शेयरों में लगा होता है. इसलिए हम एक शेयर में पैसा लगाने के बजाय एक म्यूचुअल फंड में लगाते हैं क्याोंकि हमें वहां डायवर्सिफिकेशन मिलता है. एक टॉप रेंक्ड म्यूचुअल फंड में भी रिस्क रहता है लेकिन एक समझदार निवेशक स्टैण्डर्ड डेविएशन से म्यूचुअल फंड में अपने रिटर्न को नापता है और 1 लाख रुपये को लॉन्ग टर्म में 1 करोड़ रुपये बनाता है.

कितना रिटर्न, कितना जोखिम

स्टैण्डर्ड डेविएशन को एक उदाहरण से समझते हैं. दो फंड हैं – एक फंड का नाम X और दूसरे फंड का नाम Y है. अब दोनों में 10% रिटर्न मिल रहा है. तो दोनों में कितना रिस्क है वो स्टैण्डर्ड डेविएशन के माध्यम से निकालते हैं. यहां मान लें कि X का स्टैण्डर्ड डेविएशन है 8% और Y का स्टैण्डर्ड डेविएशन है 6%. अब X का मेक्सिमम स्टैण्डर्ड डेविएशन 10% + 8%= 18% और मिनिमम स्टैण्डर्ड डेविएशन 10% – 8%= 2% है. यानी उसकी रेंज 2% से 18% के बीच है. यानी इसके बीच का रिटर्न ये फंड देगा. अब बात करते हैं Y की तो इसका स्टैण्डर्ड डेविएशन 6% है. अब Y का मेक्सिमम स्टैण्डर्ड डेविएशन 10% + 6%= 16% और मिनिमम स्टैण्डर्ड डेविएशन 10% – 6%= 4% है. यानी उसकी रेंज 4% से 16% के बीच है. यहां X का रेंज ज्यादा है इसलिए ये फंड ज्यादा रिस्की होगा.

एक दूसरे उदाहरण से समझते हैं. दो फंड है. एक है HDFC स्मॉल कैप और दूसरा SBI स्मॉल कैप. HDFC में स्टैण्डर्ड डेविएशन 15% और SBI के फंड में स्टैण्डर्ड डेविएशन 20% है. अब इस केस में एचडीएफसी स्टैण्डर्ड डेविएशन कम रिस्क वाला फंड है. वो कमजोर मार्केट में कम निगेटिव रिटर्न देगा जबकि बुल मार्केट में कम पॉजिटव रिटर्न देगा. जबकी SBI स्मॉल कैप एक हाई रिस्क वाला फंड है. जो कमजोर मार्केट में ज्यादा निगेटिव रिटर्न देगा जबकी बुल मार्केट में ऊंचा पॉजिटव रिटर्न देगा.

यहां ध्यान रखें कि जब भी आप किसी फंड की तुलना करें तो समान केटेगरी में करें. जैसे की मिडकैप का मिडकैप के साथ और स्मॉलकैप का इसी कैटेगरी के फंड के साथ. इतना ही नहीं इसकी तुलना करते वक्त आपको आल्फा, बीटा और शार्प रेशियो को भी ध्यान में रखना पड़ेगा.

Published - July 7, 2021, 11:31 IST

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