मार्केट में नॉन- कन्वर्टिबल डिबेंचर या NCD की भरमार है जो इन्वेस्टर्स को हाई इंटरेस्ट रेट ऑफर कर रहे हैं. NCD वो डिबेंचर होते हैं जिन्हें मैच्योरिटी के समय इक्विटी शेयरों में कन्वर्ट नहीं किया जा सकता है. इसके अलावा, उन्हें सिक्योर और अनसिक्योर के तौर पर क्लासीफाई किया जाता है.
सिक्योर NCD का इंटरेस्ट रेट अनसिक्योर NCD से कम होता है. NCD में इन्वेस्ट करने से पहले इसके रिस्क फैक्टर और टैक्सेबिलिटी के बारे में पता होना चाहिए.
हाल ही में कई कंपनियों ने NCD लॉन्च करने की घोषणा की है. उदाहरण के लिए, मुथूट पप्पचन ग्रुप की NBFC आर्म, मुथूट फिनकॉर्प ने सालाना 8.57% से 10.19% तक इफेक्टिव यील्ड के साथ सिक्योर और अनसिक्योर नॉन-कन्वर्टिबल डिबेंचर (NCD) के पब्लिक इश्यू की घोषणा की है. इश्यू 30 सितंबर 2021 को खुलेगा और 26 अक्टूबर 2021 को बंद होगा.
इसी तरह, कोच्चि स्थित NBFC, KLM एक्सिवा, सालाना 10% से 11.25% तक के इंटरेस्ट रेट के साथ सिक्योर और अनसिक्योर नॉन-कन्वर्टिबल डिबेंचर (NCD) का पब्लिक इश्यू लेकर आया है. यह सीरीज का 5वां इश्यू है, जो 30 सितंबर, 2021 को खुला और 26 अक्टूबर, 2021 को बंद होगा.
NCD के दो एलीमेंट हैं जिन्हें टैक्सेशन के नजरिये से कंसीडर करने की जरूरत है. एक, अगर आप इसे मैच्योरिटी से पहले बेचते हैं और दूसरा जब आप इसे मैच्योरिटी पर रिडीम करते हैं. NCD को बेचने पर उसपर मिलने वाले इंटरेस्ट रेट से कैपिटल गेन होता है. जब इसे मैच्योरिटी तक रखा जाता है, तो इन्वेस्टर को फेस वैल्यू वापस मिल जाती है. इसलिए इन्वेस्ट पर कोई कैपिटल गेन नहीं होता. हालांकि, कमाए हुए इंटरेस्ट पर ‘दूसरे सोर्स से इनकम’ के तौर पर टैक्स लगाया जाएगा.
यदि खरीदने के एक साल के अंदर मैच्योरिटी से पहले बेचा जाता है तो इसपर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगाया जाता है, जिसपर मार्जिनल टैक्स रेट के अनुसार टैक्स लगाया जाता है. अगर इसे एक साल के बाद बेचा जाता है, तो लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन माना जाता है और बिना इंडेक्सेशन के 10% के रेट से टैक्स लगता है.
फिक्स्ड डिपॉजिट की तुलना में NCD में ज्यादा रिस्क होता है. इन्वेस्ट करने से पहले, पोस्ट-टैक्स रिटर्न और उनकी क्रेडिट रेटिंग की जांच जरूर करें.
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