Lifestyle Investing Strategy: रिटायरमेंट प्लानिंग की अहमियत को अब काफी लोग समझ रहे हैं. लाइफ बहुत ही अनप्रिडिक्टेबल है ऐसे में अचानक से आए मुश्किल हालातों से निपटने के लिए फाइनेंशियल प्लानिंग बहुत जरूरी है. युवा लोग अपनी सेविंग का एक महत्वपूर्ण हिस्सा इक्विटी जैसे रिस्की एसेट में निवेश कर सकते है. लेकिन, जैसे-जैसे आपकी उम्र बढ़ती है, यह सलाह दी जाती है कि आप अपनी सेविंग का ज्यादा हिस्सा फिक्स्ड डिपॉजिट और गवर्नमेंट बॉन्ड जैसे सिक्योर एसेट में निवेश करें. यह नजरिया लाइफ साइकिल इन्वेस्टिंग के कॉन्सेप्ट पर आधारित है. लेकिन क्या ये आज के सिनेरियो में सही है? इसके नुकसान क्या हैं? चलिए आपको बताते हैं.
लाइफस्टाइल इन्वेस्टिंग क्या है?
लाइफस्टाइल इन्वेस्टिंग की स्ट्रैटजी (Lifestyle Investing Strategy) इस कॉन्सेप्ट पर बेस्ड है कि हर इन्वेस्टर के पास दोनों तरह की वेल्थ होती हैं – फाइनेंशियल वेल्थ और ह्यूमन कैपिटल वेल्थ.
जबकि, फाइनेंशियल वेल्थ को बैंक डिपॉजिट, इक्विटी शेयर, बांड, रियल एस्टेट, इंश्योरेंस, म्यूचुअल फंड आदि जैसे एसेट के रूप में माना जाता है, वहीं ह्यूमन कैपिटल वेल्थ नॉन-इन्वेस्टमेंट, यानी प्रोफेशनल वर्क से एक्सपेक्टेड फ्युचर इनकम की टोटल वैल्यू है.
इस तरह, लाइफस्टाइल इन्वेस्टिंग (Lifestyle Investing Strategy) के अनुसार, आपकी टोटल वेल्थ फाइनेंशियल वेल्थ और ह्यूमन कैपिटल वेल्थ को जोड़कर बनती है.
प्रॉफिटमार्ट सिक्योरिटीज के रिसर्च डायरेक्टर अविनाश गोरक्षकर ने कहा, “भारत में लाइफस्टाइल इन्वेस्टिंग का कॉन्सेप्ट नया है, लेकिन थोड़े ही समय में इसे लोग एक्सेप्ट करने लगे हैं. इस थ्योरी के अनुसार एसेट के एक ग्रुप से एक पैसिव इनकम क्रिएट करना है जो एक निवेशक को लंबी अवधि में भुगतान करने में मदद करेगी. इस तरह, ये आपको नौकरी से छुटकारा और करियर में जल्दी रिटायरमेंट का मौका देती है. एसेट मिक्स में डेट रियल एस्टेट इनकम शामिल हो सकती हैं जैसे रेंट और इक्विटी में निवेश जो लंबे समय में अच्छी डिविडेंड इनकम ऑफर कर सकते हैं.”
इसकी कमियां
एक इन्वेस्टमेंट थ्योरी, प्रैक्टिकली तभी इस्तेमाल के लायक होती है जब इसके अंडरलेइंग असम्पशन हकीकत में वैलिड होते हैं. लाइफस्टाइल इन्वेस्टिंग के मामले में, अंडरलेइंग असम्पशन जरूरी नहीं कि सभी के लिए सही हों.
लाइफस्टाइल इन्वेस्टिंग का बेसिक कॉन्सेप्ट है, ऐसे एसेट जिसके फ्यूचर इनकम स्ट्रीम से आपकी लिविंग कॉस्ट को पूरा किया जाना चाहिए.
इसका क्या मतलब है?
किसी इन्वेस्टमेंट के जरिए से जनरेट कैश फ्लो को प्रोडक्टिव एसेट पर खर्च करना पड़ता है जिनसे लॉन्ग टर्म में इनकम और रिटर्न प्राप्त कर सकते हैं.
गोरक्षकर ने जोर देकर कहा, “सबसे बड़ा ड्रॉबैक ये है कि ज्यादातर लोग अपने करियर की शुरुआत से ही एसेट क्रिएट करने पर फोकस नहीं करते हैं. वो या तो अनप्रॉडक्टिव एसेट पर ज्यादा खर्च करते हैं या एक प्रॉपर लाइफ स्टाइल इन्वेस्टिंग स्ट्रेटजी के लिए पैसिव एसेट शुरू करने के लिए बहुत लंबा इंतजार करते हैं.”
क्या मुझे यह स्ट्रेटजी अपनानी चाहिए?
वो सभी लोग जो जल्दी रिटायर होना चाहते हैं और अपने पैशन को आगे बढ़ाने के लिए खुद के लिए ज्यादा समय चाहते हैं, उन्हें लाइफ स्टाइल इन्वेस्टिंग (Lifestyle Investing Strategy) को फॉलो करना चाहिए.
बढ़िया रिटर्न के लिए मिडिल ऐज तक रिस्की एसेट में इन्वेस्टमेंट और रिटायरमेंट के बाद कंसर्वेटिव एलोकेशन की सलाह दी जाती है.
हालांकि, यह एक ऐसी स्ट्रैटजी नहीं है जिसे सभी का समर्थन मिला है. इसके अपने लॉन्ग टर्म रिस्क हैं जिन्हें एक निवेशक को निवेश करने से पहले अपने हिसाब से तौलना चाहिए.
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