म्यूचुअल फंड निवेश करना पैसा बनाने की सबसे बेहतरीन रणनीतियों में से एक माना जाता है. अपने पैसे को बेकार छोड़ने की तुलना में म्यूचुअल फंड में निवेश करना अच्छा विकल्प है, लेकिन सारे म्यूचुअल फंड अच्छा प्रदर्शन करें ऐसा जरूरी नहीं है. कभी ऐसा भी होता है जब हम एक म्यूचुअल फंड में निवेश कर चुके होते हैं, उसके बाद कोई दूसरा फंड अच्छा लगने लगता है. ऐसी परिस्थितियों में आप स्विच करने पर विचार कर सकते हैं. ज्यादातर लोग मैन्युअली पहले अपने मौजूदा म्यूचुअल फंड में यूनिट्स को बेचते हैं और फिर नए म्यूचुअल फंड में यूनिट्स को खरीदते हैं, लेकिन ये काम स्विच स्कीम के साथ भी किया जा सकता है. यहां आप डेट फंड से इक्विटी फंड या इसके विपरीत इक्विटी फंड से डेट फंड, रेगुलर फंड से डायरेक्ट फंड में स्विच कर सकते हैं. यदि आप ग्रोथ फंड से डिविडेंड फंड में स्विच करना चाहें तो वो भी कर सकते हैं.
म्यूचुअल फंड की जमा राशि को किसी दूसरे फंड में स्विच करने के लिए सबसे पहले आपको एक स्विच फॉर्म भर कर जमा करना होगा. वहीं आप स्विच रिक्वेस्ट करते हुए एक लेटर भी लिख सकते हैं. ऐसे में आपको म्यूचुअल फंड स्कीम, प्लान और ऑप्शन की जानकारी होनी चाहिए. जिसमें आप अपनी यूनिट्स ट्रांसफर करवाना चाहते हैं.
अगर आप उसी म्यूचुअल फंड हाउस में स्विच करना चाहते हैं तो आपको एक स्विच फॉर्म भरना होगा. मौजूदा म्यूचुअल फंड स्कीम से चयनित फंड स्कीम में ट्रांसफर की जाने वाली यूनिट्स को मेंशन करें. स्विच करते समय आपको एक्जिट-लोड और कैपिटल गेन टैक्स भी देना पड़ सकता है.
जब आप म्यूचुअल फंड स्कीम बदलते हैं तो आप एक फंड बेचते हैं और दूसरे फंड कैटेगरी में निवेश करते हैं. आप पहले फंड से रिडीम कर सकते हैं और अपने बैंक खाते में प्रोसीड के आने का वेट कर सकते है. एसेट्स रिडीम करने से पहले, टैक्स इम्प्लिकेशन्स और एग्जिट रणनीतियों पर विचार कर लें.
कैपिटल गेन टैक्स म्यूचुअल फंड लेनदेन पर लागू होता है इसलिए आप शॉर्ट या लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स के अधीन होंगे. अगर आप एक फंड से दूसरे फंड में या किसी प्लान में स्विच करते हैं. तो इसे रिडेम्पशन माना जाता है. उदाहरण के लिए अगर आप रेगुलर से डायरेक्ट प्लान में स्विच करते हैं तो आपको कैपिटल गेन टैक्स देना होगा. इस स्थिति में स्विचिंग की प्रक्रिया को रिडेम्पशन माना जाता है और इसीलिए आपको टैक्स भरना पड़ेगा.
एग्जिट लोड को निवेशक द्वारा चुनी गई म्यूचुअल फंड यूनिट के NAV (नेट एसेट वैल्यू) के प्रतिशत के रूप में व्यक्त किया जाता है. सीधे शब्दों में कहें तो यह एक एसेट मैनेजमेंट आर्गेनाईजेशन द्वारा लगाया जाने वाला शुल्क है. जब आप म्यूचुअल फंड यूनिट्स को खरीदते या बेचते हैं.
इस प्रकार जब आप एक म्यूचुअल फंड यूनिट बेचते हैं तो एएमसी एग्जिट लोड की कॉस्ट काट लेता है और आपको शेष राशि क्रेडिट कर देता है. यदि आप म्यूचुअल फंड स्विच करने पर विचार कर रहे हैं. तो एग्जिट पेनल्टी के बारे में जानना भी जरूरी है जो लॉक-इन अवधि के दौरान फंड बेचने पर लागू होती है. जैसे कि इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम (ELSS) में तीन साल की लॉक-इन अवधि होती है. तो यहां आप स्विच नहीं कर पाएंगे और न ही अपना निवेश वापस ले पाएंगे. हालांकि अगर आप ने SIP चला रखी है तो उसे जरूर रोक सकते हैं.
अगर आप फंड ट्रांसफर करना चाहते हैं तो आप ऑनलाइन या ऑफलाइन दोनों तरीकों से कर सकते हैं. आप म्यूचुअल फंड निवेश को जितनी बार चाहें आंशिक रूप से या पूरी तरह से बदल सकते हैं. हालांकि यह पूरी तरह आप पर निर्भर करता है कि आप ट्रांसफर करना चाहते हैं या नहीं. किसी भी फंड ट्रांसफर से पहले आपको इस पर लगने वाले एग्जिट लोड और टैक्स पर जरूर विचार करना चाहिए.
पर्सनल फाइनेंस पर ताजा अपडेट के लिए Money9 App डाउनलोड करें।