ज्यादा रिटर्न कमाना हो तो ज्यादा रिस्क लेना पड़ता है और इक्विटी केवल ऐसा एसेट है जो रियल एस्टेट, गोल्ड और डेट के मुकाबले लंबी अवधि में ज्यादा रिटर्न दे सकता है, लेकिन इसमें जोखिम ज्यादा है. यदि आप बैंक FD से ज्यादा रिटर्न कमाना चाहते हैं और निवेश की गई राशि को सुरक्षित भी रखना चाहते हैं तो यहां बताए गए कुछ विकल्प आपके काम आ सकते हैं. आप आर्बिट्राज फंड, लिक्विड फंड, शॉर्ट-टर्म फंड, फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान में निवेश करके बैंक FD के 5-7% रिटर्न से ज्यादा रिटर्न कमा सकते हो.
फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान्स (FMPs)
पिछले 3 साल में फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान्स (FMPs) ने 10% से ज्यादा रिटर्न दिया है. ये क्लोज एंडेड डेट फंड हैं जो कॉर्पोरेट बॉन्ड, डिपॉजिट सर्टिफिकेट, कमर्शियल पेपर, मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स, सरकारी सिक्योरिटीज और हाई-रेट्स नॉन-कन्वर्टिबल डिबेंचर में निवेश करते हैं.
ऐसी योजनाओं के लिए अधिकांश सामान्य कार्यकाल 30 दिन से लेकर 180 दिन, 370 दिन और 395 दिन होते हैं. FMPs या तो डिविडेंड या ग्रोथ म्यूचुअल फंड विकल्प हो सकते हैं. अगर यह फिक्स्ड मैच्योरिटी डिविडेंड प्लान है तो डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स (DDT) लगता है. अगर यह FMP ग्रोथ ऑप्शन है, तो इंडेक्सेशन के लाभ के साथ कैपिटल गेन टैक्स लागू होता है.
ट्रेजरी बिल या टी-बिल
इसे मनी मार्केट इन्स्ट्रूमेंट भी कहते हैं. सरकार एक साल तक की मैच्योरिटी वाले ट्रेजरी बिल जारी करती है. ये तीन मैच्योरिटी के साथ आते हैं, पहला 91 दिन, दूसरा 182 दिन और तीसरा 364 दिन. इसे डिस्काउंट पर जारी किया जाता है और फेस वैल्यू पर रिडीम किया जाता है, यानी 100 रुपये की फेस वैल्यू वाला एक ट्रेजरी बिल आपको 90 रुपये में मिलता है और मैच्योरिटी खत्म होने के बाद आप उसे 100 रुपये में बेच सकते हैं. इस निवेश विकल्प में लगभग शून्य डिफॉल्ट जोखिम है और इसमें अत्यधिक लिक्विडिटी है.
शॉर्ट टर्म डेट फंड
शॉर्ट-टर्म डेट म्यूचुअल फंड की मैच्योरिटी 1 साल से 3 साल के बीच की होती हैं. ये कम जोखिम वाले डेट फंड हैं और निवेशकों को मध्यम रिटर्न दे सकते हैं. FD को वक्त से पहले तोड़ने पर पेनाल्टी लगती है, लेकिन ये डेट फंड मैच्योरिटी से पहले रिडीम करने पर कोई जुर्माना नहीं लगाते हैं. यदि आप छह महीने के लिए निवेश करना चाहते है तो अल्ट्रा शॉर्ट-टर्म डेट फंड को पसंद कर सकते हैं.
लिक्विड फंड्स
ये फंड टी-बिल, कमर्शियल पेपर्स (सीपी) और तीन से छह महीने के बीच मैच्योरिटी वाले टर्म डिपॉजिट जैसे मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करते हैं. यह एक कम जोखिम वाली म्यूचुअल फंड योजना है जो समान अवधि के FD की तुलना में बेहतर रिटर्न प्रदान करती है.
आर्बिट्रेज फंड्स
यह उन निवेशकों के लिए सही है, जो ज्यादा जोखिम नहीं लेना चाहते हैं. 2 से 3 साल के लिए निवेश करने पर यह फंड अच्छा रिटर्न देता है. यह आर्बिट्राज थ्योरी पर चलता है, इसलिए सुरक्षित भी है.
टैक्सेशन के उद्देश्य से इसे इक्विटी म्यूचुअल फंड के रूप में देखा जाता है. इस प्रकार की म्यूचुअल फंड योजनाएं रिवर्स पोजीशन लेकर डेरिवेटिव और स्टॉक के नकद बाजार मूल्य के बीच के अंतर से लाभ प्राप्त करने का प्रयास करती हैं.
इसमें फंड का 65 फीसदी हिस्सा ही शेयरों में लगाया जाता है. इसमें फंड मैनेजर कैश मार्केट में किए सौदे को डेरिवेटिव मार्केट में हेज करता है. इससे शेयरों में ज्यादा गिरावट आने पर भी पोर्टफोलियो सुरक्षित बना रहता है.
यह कैश मार्केट और डेरिवेटिव मार्केट में शेयरों के भाव में अंतर का फायदा उठाने के लिए अपने फंड का इस्तेमाल करता है. यह वजह है कि शेयर बाजार में ज्यादा उतार-चढ़ाव के दौर में इस फंड का प्रदर्शन बेहतर रहता है.
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