स्टॉक मार्किट से फायदा उठाने के लिए म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) सबसे सुरक्षित और आसान रास्ता माना जाता है. हम आमतौर पर अपने गोल्स और ऑब्जेक्टिव के बारे में बात करते समय उन्हें शॉर्ट या लॉन्ग टर्म निवेश में डिवाइड कर देते हैं. लॉन्ग टर्म निवेश 30 साल के किसी ऐसे व्यक्ति के लिए है, जो बच्चे की एजुकेशन या रिटायरमेंट की योजना बना रहा है. हालांकि, लॉन्ग टर्म निवेश की समय सीमा कितनी होनी चाहिए, इसका कोई हार्ड एंड फास्ट रूल नहीं है.
आसान भाषा में, यह लोगों की जरूरतों के हिसाब से घटता-बढ़ता रहता है. ज्यादातर लोग तीन या पांच साल या उससे अधिक समय के निवेश को लॉन्ग टर्म निवेश के रूप में देखते हैं. ऐसे में लॉन्ग टर्म के पोर्टफोलियो बनाने की शुरुआत आप थोड़े से निवेश के साथ कर सकते हैं. समय के साथ इसे बड़े अमाउंट में विकसित किया जा सकता है. लंबी अवधि के निवेश में संपत्ति को बढ़ने के लिए पर्याप्त समय मिलता है. आइए उन तरीकों पर एक नज़र डालें जिनसे आप लंबी अवधि का पोर्टफोलियो बना सकते हैं.
लॉन्ग टर्म निवेश से पहले लक्ष्य निर्धारित करें
लॉन्ग टर्म निवेश की शुरुआत करने से पहले अपने लक्ष्य को जरूर सेट कर लें, जिससे आपको बेहतर पोर्टफोलियो बनाने में आसानी होगी. लॉन्ग टर्म में आप कई तरीकों से पोर्टफोलियो तैयार कर सकते हैं. उदाहरण के लिए, रिटायरमेंट में बचे हुए सालों के हिसाब से पोर्टफोलियो डिजाइन किया जा सकता है या बच्चों की पढ़ाई के लिए अलग लॉन्ग टर्म पोर्टफोलियो बनाया जा सकता है. यह इस बात पर निर्भर करेगा कि आपको आने वाले दस सालों में कितनी राशि की जरूरत होगी.
बेहतर विकल्प का करें चयन
किसी भी म्यूचुअल फंड में निवेश करने से पहले अन्य म्यूचुअल फंड चेक कर लें. ज्यादातर इक्विटी फंड्स में डेट फंड के मुकाबले बेहतर रिस्क टू रिवॉर्ड रहता है. यहां तक कि ब्रॉड कैटेगरी में भी डाइवर्स कैरेक्टरिस्टिक वाले कम से कम दस अलग फंड होते हैं.
उदाहरण के लिए, इक्विटी म्यूचुअल फंड में स्मॉल-कैप फंड हमेशा लार्ज-कैप फंड की तुलना में ज्यादा रिस्की होता है. वहीं डेट फंड की बात की जाए तो इनमें क्रेडिट रिस्क फंड बाकियों की तुलना में ज्यादा रिस्की होते हैं. ऐसे ही गिल्ट फंड कम जोखिम वाले होते हैं.
निवेश से पहले रिस्क मैनेजमेंट को समझें
सबसे अच्छा होगा अगर आप निवेश से पहले अपने रिस्क को समझ ले. आपको पता होना चाहिए कि आप कितने रुपए कमाने के लिए कितना रिस्क ले सकते हैं. हमेशा अच्छे रिस्क-टू-रिवॉर्ड का चयन करें.
पोर्टफोलिओ में विविधता लाएं
हमेशा से ऐसा माना गया है कि बेहतर रिटर्न के लिए पोर्टफोलिओ का डायवर्सिफाई होना जरूरी है. यह आपके रिस्क को कम करता है. वहीं, लॉन्ग टर्म में अच्छे रिटर्न देने में भी कामयाब होता है. हमेशा एक या दो म्यूच्यूअल फंड में सारे पैसे लगाने से अच्छा होगा अगर आप निवेश के अलग-अलग रास्ते अपनाएं. अच्छे कॉम्बिनेशन के साथ पोर्टफोलियो तैयार करें, जो जोखिम को भी काफी हद तक कम करने में सहायक होगा. साथ ही लॉन्ग रन में अच्छे रिटर्न भी बनाकर देगा.
इन बातों का रखें ध्यान
– लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट भविष्य की जरूरतों के लिए पैसों को बचाए रखने में सहायक होते हैं. अलग जरूरतों के हिसाब से आप अलग पोर्टफोलियो भी बना सकते हैं. – म्यूचुअल फंड भारत में लंबी अवधि के निवेश के लिए लोगों की पहली पसंद है. – विभिन्न प्रकार के म्यूचुअल फंड में अलग-अलग रिस्क/ रिवॉर्ड की विशेषताएं होती हैं. लोगों को अपने रिस्क मैनेजमेंट को ध्यान में रख कर ही निवेश करना चाहिए. – किसी निवेश या म्यूचुअल फंड में संभावित नुकसान से बचाने के लिए अपने पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाई रखना चाहिए.
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