Mutual Fund Investment: मोबाइल एप्स के कारण युवा निवेशकों में म्यूचुअल फंड का क्रेज तेजी से बढ़ रहा है. इनवेस्टमेंट और वेल्थ क्रिएशन को लेकर देश के युवा निवेशकों का रुझान तेजी से बदल रहा है. वित्तीय वर्ष 2020-21 में पेटीएम के प्लेटफॉर्म पर मिलेनियल्स निवेशकों ने औसतन 70 हजार रुपये का निवेश किया था और 64 फीसदी निवेशकों ने म्यूचुअल फंड में निवेश किया था, ऐसा पेटीएम के एक रिपोर्ट में बताया गया है. हांलाकि, म्यूचुअल फंड में निवेश करना तो आसान है, लेकिन कुछ रणनीतियां है, जो आपके रिटर्न को कई गुना बढाने में मदद कर सकती है.
रेग्युलर प्लान के मुकाबले डायरेक्ट प्लान का एक्स्पेंस रेशियो कम होता है, इसलिए डायरेक्ट प्लान पसंद करने से आपको इंवेस्टमेंट पर 1%-1.5% ज्यादा रिटर्न मिल सकता है. रेग्युलर प्लान में 1-1.5% ब्रोकरेज भी चुकाना पडता है. मान लीजिए, आपने 20 साल के लिए हर महीने 10,000 रूपये निवेश करने के लिए इक्विटी इक्विटी म्यूच्युअल फंड के रेग्युलर प्लान को पसंद किया है तो 2% एक्स्पेंस रेशियो और 12% सालाना रिटर्न के बाद आपको 73.41 लाख रूपये मिलते है, लेकिन आप डायरेक्ट प्लान पसंद करते है तो 1% एक्स्पेंस रेशियो के हिसाब से 10.84 लाख रूपये ज्यादा, यानि 84.25 लाख रूपये मिलते है.
आप अभी नए है और मार्केट को समझ रहे है, इसलिए आपको इंडेक्स फंड को चुनना चाहिए. इंडेक्स फंड बाजार को मात देने के कुछ तरीकों में से एक हैं. इसके अतिरिक्त, उनके कम सापेक्ष बाजार जोखिम और कम लागत उन्हें बेहतर दीर्घकालिक प्रदर्शन करने का मौका देते है. जैसे डायरेक्ट प्लान सस्ते है वैसे ही इंडेक्स फंड किफ़ायती है. ऐसे प्लान में मेनेजर कोस्ट कम होती है. इंडेक्स फंड में फंड मेनेजर का एक्स्पेंस कम होने से रिटर्न बढ़ जाता है, इसलिए इंडेक्स फंड को लो-कोस्ट, लो-रिस्क फंड्स कहते है.
आप हर महीने SIP के जरिए निवेश करते है तो उसमें थोडा इजाफा करने से रिटर्न में बहुत बडा फायदा होता है, जिसे स्टेप-अप SIP कहते है. मान लीजिए, आप हर महिने 30,000 रूपये की SIP से 10 साल तक निवेश करते है, और सालाना 12.5% रिटर्न मिलता है, तो कुल 71.82 लाख रूपये का फंड जुटा पाएंगे. यदि आप हर साल इसमें 10% इजाफा करते है, यानि पहले साल हर महीने 30,000 रूपये फिर दूसरे साल हर महीने 33,000 रूपये, फिर 36,000 रूपये और ऐसे ही 10 साल तक निवेश करने से कुल 96.95 लाख रूपये की राशि इकट्ठा कर पाएंगे. यानि, हर साल केवल 10% इज़ाफा करने से 35% ज्यादा बचत कर सकते है.
जब मार्केट क्रेश हो जाए या मंदी का चरण चल रहा हो तब आपको कम भाव में ज्यादा युनिट खरीदने का मौका मिलता है. आप यदि ऐसे समय में अपनी इक्विटी SIP बरकरार रखते है तो इंवेस्टमेंट कोस्ट को एवरेज करने में मदद मिलती है.
लंपसम इंवेस्टमेंट से अधिकतम रिटर्न हासिल किया जा सकता है लेकिन उसके लिए आपको जब मार्केट बोटम पर हो तब पैसा डालना होगा और जब मार्केट टोप पर हो तब निकालना होगा. अब ये कोई नहीं जानता कि मार्केट का बोटम और टोप कहां है. इसलिए लंपसम के मुकाबले SIP के जरिए निवेश करने से आप धीरे-धीरे अच्छा रिटर्न कमा सकते है.
अपनी रिस्क-केपेसिटी को ध्यान में रखते हुए लार्ज, मिड और स्मोल-केप फंड में निवेश करना चाहिए. एक सीमा के अंदर डायवर्सिफिकेशन होना चाहिए, ज्याद डाइवर्सिफइकेशन भी अच्छा नहीं है.
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