पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (PPF) को सुरक्षित निवेश का विकल्प माना जाता है. सरकारी इस पर गारंटी भी देती है. इसमें सालाना अधिकतम 1.5 लाख रुपये का निवेश किया जा सकता है और इस पर कोई टैक्स नहीं देना होता. इसमें 15 वर्ष की लॉक-इन अवधि होती है. अभी PPF अकाउंट पर 7.1 फीसदी का ब्याज मिल रहा है. बेहद आपात स्थिति में ही इस खाते से निकासी की जा सकती है.
अक्सर, लोग इसकी अवधि को 60 वर्ष की उम्र या इससे अधिक तक के लिए बढ़ा देते हैं. हालांकि, आप PPF अकाउंट के पीरियड को अनिश्चित समय के लिए भी बढ़ा सकते हैं. PPF के अकाउंट होल्डर, नए कंट्रीब्यूशन या इसके बिना, इसकी अवधि को बढ़ा सकते हैं. दोनों ही मामलों में ब्याज मिलता रहता है. मैच्योरिटी के पहले यदि इस खाते से निकासी करना है तो इसके कुछ नियम होते हैं, जिसकी आपको जानकारी होनी चाहिए.
Form H के अकाउंट होल्डर को पोस्ट ऑफिस या बैंक के पास यह सूचना भेजनी होती है कि वह नए कंट्रीब्यूशन के जरिए अपने खाते की अवधि बढ़ाना चाहता है. यदि Form H सबमिट नहीं किया गया तो आपके खाते को रेगुलर नहीं माना जाएगा और नए कंट्रीब्यूशन पर ब्याज नहीं मिलेगा. साथ ही, इसके बिना धारा 80C के तहत मिलने वाली टैक्स राहत भी नहीं प्राप्त होगी.
इस स्थिति में बैंक को सूचना देने की जरूरत नहीं होती. खाते में मौजूद राशि पर ब्याज प्राप्त होता रहता है. 15 साल बीतने के एक साल के भीतर, अकाउंट होल्डर को बैंक को बताना होता है कि वह अपनी जमा जारी रखना चाहता है. एक साल चाहे तो वह पूरी राशि को निकाल सकता है या फिर बिना किसी कंट्रीब्यूशन के अगले पांच सालों के लिए खाते की अवधि को बढ़ा सकता है.
15 वर्ष की लॉक-इन अवधि पूरी होने के बाद PPF अकाउंट को बंद किया जा सकता है. इसके लिए एक फॉर्म भरकर बैंक को इसकी जानकारी देनी होती है. इस स्थिति में निकाली गई राशि पर कोई टैक्स नहीं होता.
PPF खाता EEE श्रेणी में आता है. यानी इस पर एक फाइनेंशियल ईयर में 1.5 लाख रुपये तक की टैक्स छूट प्राप्त की जा सकती है. एक व्यक्ति एक समय में केवल एक PPF अकाउंट खोल सकता है. एक से अधिक खाते की अनुमति नहीं होती. सात साल के बाद से PPF खाते से आंशिक निकासी की जा सकती है. इस पर भी कोई टैक्स नहीं लगता.
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