Switching In Mutual Funds: अगर आप एक म्यूचुअल फंड से दूसरे म्यूचुअल फंड में या एक ही म्यूचुअल फंड की एक स्कीम से दूसरी स्कीम में जाने की योजना बना रहे हैं, तो आप इसे ऑनलाइन या ऑफलाइन दोनों तरह से कर सकते हैं. आप म्यूचुअल फंड में जितनी बार चाहें, आंशिक रूप से या पूरी तरह से स्विच (Switching In Mutual Funds ) कर सकते हैं. यह आपका निर्णय है कि आप कोई कदम क्यों उठाना चाहते हैं, लेकिन आपको टैक्स और एग्जिट लोड के बारे में भी विचार करना चाहिए जो आपको इस स्विचिंग प्रोसेस के बदले में देना होगा.
कई बार फंड की परफॉमेंस अच्छी नहीं होती हैं, और फंड की वैल्यू कम हो जाती हैं, ऐसे वक्त आप स्विचिंग का विकल्प चुनते हैं.
आप ज्यादा जोखिम लेने से डरते हैं और दूसरी स्कीम या दूसरे फंड में स्विच करते हैं. ऐसा करने के लिए आपको आपके म्यूचुअल फंड के युनिट को बेचना पडता हैं और दूसरी स्कीम के युनिट को खरीदना होता हैं, जिसे स्विचिंग कहा जाता हैं.
निवेशकों को स्विचिंग कॉस्ट के बारे में पता होना चाहिए. आपको मालूम होना चाहिए कि, स्विचिंग करते वक्त आप टैक्स और एग्जिट लोड के साथ कितना भुगतान करते हैं. चर्निंग करते वक्त आप अनुमान से अधिक खर्च करते हैं, इसलिए रिडीम या स्विच करने से पहले इसके बारे में अच्छी तरह से विचार करना चाहिए.
आप एक म्यूचुअल फंड स्कीम से दूसरी म्यूचुअल फंड स्कीम में स्विच कर सकते हैं, या समान म्युचुअल फंड की स्कीम के बीच स्विच कर सकते हैं या एक अलग म्युचुअल फंड स्कीम में स्विच कर सकते हैं. – आप डेट से इक्विटी फंड में या इक्विटी से डेट फंड में स्विच कर सकते हैं. – आप रेगुलर से डायरेक्ट फंड में स्विच कर सकते हैं. – आप बेहतर रिटर्न वाला फंड चुनने के लिए ऐसा कर सकते हैं. – आप ग्रोथ से डिविडेंड फंड में स्विच कर सकते हैं.
आप स्विचिंग के लिए जब युनिट बेचते हैं तो आपके पास वह यूनिट कितनी अवधि के लिए थे उस आधार पर या तो शॉर्ट-टर्म केपिटल गैन (STCG) या लॉन्ग-टर्म केपिटल गैन (LTCG) टैक्स लागू होगा. – यदि आपके पास इक्विटी फंड हैं और आप 1 साल के भीतर युनिट बेचते हैं तो आपको 15% शॉर्ट-टर्म केपिटल गैन टैक्स और 1 साल से ज्यादा वक्त के बाद 10% लॉन्ग-टर्म केपिटल गैन टैक्स चुकाना पड़ेगा. – यदि डेट फंड हैं और 3 साल के भीतर युनिट बेच देते हैं, तो आपको अपने इनकम टैक्स स्लेब के अनुसार टैक्स चुकाना होगा, लेकिन 3 साल से ज्यादा अवधि के बाद डेट फंड के युनिट बेचने पर आपको इंडेक्सेशन बेनिफिट के साथ 20% लॉन्ग-टर्म केपिटल गैन टैक्स चुकाना होगा. – अगर हाइब्रिड फंड है और इसका 65% से अधिक निवेश इक्विटी में हैं, तो कर की दर इक्विटी फंड के अनुसार होगी.
यदि आप म्यूचुअल फंड यूनिट बेचते हैं या फंड यूनिट को रीडिम करते हैं, तो एसेट मैनेजमेंट कंपनी (AMC) एग्जिट लोड के रूप में यह शुल्क चार्ज करती हैं.
यह लोड आपके म्यूचुअल फंड युनिट के NAV (नेट एसेट वैल्यू) का प्रतिशत होता हैं. इसलिए, जब आप किसी म्यूचुअल फंड यूनिट को बेचेंगे, तो कंपनी एग्जिट लोड शुल्क काट लेगी और बाकी राशि आपको क्रेडिट कर देगी.
यदि आप म्यूचुअल फंड स्विच करने की योजना बना रहे हैं, तो आपको इस बात पर विचार करना चाहिए कि लॉक-इन अवधि के दौरान फंड बेचने पर आपको कितनी एग्जिट पेनल्टी देनी होगी.
इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम (ELSS) जैसे म्यूचुअल फंड में 3 साल की लॉक-इन अवधि होती है, और इस पीरियड के दौरान आप स्विच नहीं कर पाएंगे. आप निवेशित राशि को रीडिम भी नहीं कर सकते; हालांकि, आप चल रही SIP को सकते हैं.
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