Smallcap Mutual Fund: पिछले एक साल में, कुछ टोप-पर्फोर्मिंग स्मॉल-कैप म्यूचुअल फंडों ने निवेशकों को 100% से अधिक रिटर्न दिया है. स्मॉल-कैप फंडों का रिटर्न मिड और लार्ज-कैप फंड जैसी अन्य श्रेणियों की तुलना में पिछले कुछ महीनों के दौरान काफी अधिक रहा है. एक केटेगरी के रूप में स्मॉल कप फंड्स ने पिछले एक साल में 105.31% रिटर्न हासिल किया है, जबकि इसी अवधि के दौरान लार्ज-कैप फंडों के लिए यह 57.87% और मिड-कैप फंडों के लिए 78.65% है.
मार्केट केपिटलाइजेशन के नजरिए से 250 कंपनियों की सूची के बाद आने वाली कंपनियों को स्मोल केप कंपनियां कहा जाता है, और ऐसी कंपनियों में निवेश करने वाले फंड को स्मोल केप फंड कहते है. स्मॉल कैप कंपनियों का मार्केट केपिटलाइजेशन 10 करोड़ रुपये और 500 करोड़ रुपये के दायरे में है. चूंकि यह कंपनियां छोटी होती है, इसलिए इनमें विकास की बहुत अधिक संभावनाएं हैं. इसलिए, स्मॉल कैप कंपनियों में मिड-कैप और लार्ज-कैप फंडों की तुलना में बहुत अधिक रिटर्न देने की क्षमता होती है. दूसरी तरफ, इन फंडों के पास जोखिम भी अधिक होता है. स्मॉल कैप फंड में काफी उतार-चढाव आता रहता है.
स्मॉल कैप फंड उच्च रिटर्न देने की क्षमता के लिए जाने जाते हैं. जब बाजार में तेजी होती है तो इन फंडों के बेंचमार्क से बेहतर प्रदर्शन करने की संभावना अधिक होती है. हालांकि, जब बाजार मंदी के दौर में प्रवेश करता है, तो फंड का एनएवी काफी प्रभावित होता है. बाजार की चाल इन फंडों को काफी प्रभावित करती है.
यदि आप अधिक रिटर्न के लिए कुछ जोखिम लेने को तैयार हैं, तो स्मॉल-कैप फंडों में निवेश कर सकते हैं. अपने पोर्टफोलियो के एक छोटे हिस्से को स्मॉल कैप फंड में लंबी अवधि के लिए निवेश करना अच्छा रिटर्न उत्पन्न करने का एक उत्कृष्ट साधन है. जोखिम से बचने वाले निवेशक इन फंडों पर विचार नहीं कर सकते क्योंकि वे कई बार अस्थिर हो सकते हैं. आप यदि मोमेंटम गेम खेलना जानते है और कौन से वक्त पैसे निकाल लेने चाहिए और कौन से वक्त पैसे नहीं निकालने चाहिए उतनी समझ है तो वर्तमान माहौल को ध्यान में रखते हुए स्मोलकेप फंड में निवेश कर सकते है.
चूंकि स्मॉल कैप फंड इक्विटी म्यूचुअल फंड का एक वर्ग है, इसलिए उन पर किसी भी अन्य इक्विटी फंड प्लान की तरह ही कर लागू होता है. इन फंडों द्वारा दिए जाने वाले डिविडंड को आपकी समग्र आय में जोड़ा जाता है और आपके द्वारा दी जाने वाली आयकर स्लैब दर के अनुसार कर लगाया जाता है.
एक वर्ष की होल्डिंग अवधि के भीतर अपने फंड युनिट बेचने पर प्राप्त शोर्ट-टर्म केपिटल गेइन पर 15% की दर से कर लगता है. एक वर्ष की होल्डिंग अवधि के बाद युनिट को रिडीम करने पर 1 लाख रुपये तक के लोंग-टर्म केपिटल गेइन लाभ को कर-मुक्त बनाया गया है. इस सीमा से अधिक किसी भी लाभ पर 10% कर लगाया जाता है, और इंडेक्सेशन का लाभ नहीं मिलता है.
निवेशक को अपने पोर्टफोलियो को बैलेंस हो इस तरह से इक्विटी में निवेश के लिए स्मॉल केप फंड को चुनते समय फंड के बंधारण को चेक कर लेना चाहिए. फंड का एक्स्पेंस रेशियो कितना है और उसने पिछले पांच वर्षो से कितना रिटर्न दिया है वह पता करना चाहिए. उसके रिटर्न की तुलना उसकी केटेगरी के दूसरे फंड के साथ करनी चाहिए.
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