अगर कोई ऐसे डेट इंस्ट्रूमेंट में निवेश करने की योजना बना रहा है जो सेफ और सिक्योर रिटर्न देता है तो फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) सबसे अच्छा ऑप्शन है. देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक के पास मल्टिपल टेन्योर की FD स्कीम्स हैं, जो 7 दिनों से लेकर 10 साल तक हैं. SBI , देश का सबसे बड़ा बैंक, निवेशकों के लिए डिपॉजिट स्कीम की वाइड रेंज प्रोवाइड करता है. SBI ग्राहकों को फिक्स्ड मेच्योरिटी प्लान (FMP) में निवेश करने की अनुमति देता है, जो एक फिक्स्ड टेन्योर वाली म्यूचुअल फंड स्कीम है और सामान्य FD की तुलना में थोड़ा ज्यादा रिटर्न देती है.
फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान (FMP) एक फिक्स्ड मेच्योरिटी पीरियड के साथ आता है, ये स्कीम के टेन्योर के हिसाब से मेच्योर होने वाले डेट इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करता है. मैच्योरिटी पीरियड कुछ महीनों से लेकर कुछ सालों तक हो सकता है. दूसरी ओर, SBI FD , एक निवेशक को अपना पैसा एक स्पेसिफिक मैच्योरिटी पीरियड तक पार्क करने की अनुमति देता है. ये समय सीमा 7 दिनों से लेकर 3,650 दिनों तक हो सकती है.
लॉन्च के समय SBI FMP केवल एक स्पेसिफिक पीरियड के दौरान सब्सक्रिप्शन के लिए खुले हैं. FMP रिटर्न जेनरेट करते हैं जो समान अवधि के सिक्योरिटी यील्ड के बराबर होते हैं. FD अकाउंट खोलते समय ब्याज दर तय की जाती है. इसलिए, डिपॉजिटर को निवेश के शुरुआत में ही मैच्योरिटी अमाउंट के बारे में पता होता है.
एक फिक्स्ड मेच्योरिटी प्लान का टेन्योर कुछ महीनों से लेकर कुछ सालों के बीच हो सकता है. सामान्य फिक्स्ड डिपॉजिट का टेन्योर 7 दिनों से लेकर 10 वर्षों के बीच हो सकता है.
SBI के FMP में स्पेसिफिक पीरियड के लिए निवेश लॉक-इन हो जाता है. इसमें प्रीमेच्योर विद्ड्रॉल की परमिशन नहीं है. जबकि FD के मामले में, SBI समय से पहले विद्ड्रॉल की सुविधा देता है. 5 लाख रुपये तक की FD के लिए, चाहे टेन्योर कोई भी हो समय से पहले विद्ड्रॉल के लिए जुर्माना 0.50% तय किया गया है और 5 लाख रुपये से ऊपर की FD पर सभी टेन्योर के लिए 1% जुर्माना है.
FMP इंडेक्सेशन बेनिफिट ऑफर करता है, जिसका मतलब है कि टैक्स चुकाने के बाद ज्यादा रिटर्न मिल सकता है. FMP से मिलने वाले रिटर्न को कैपिटल गेन कहा जाता है. इसमें अंत में FD की तुलना में अधिक मैच्योरिटी अमाउंट मिलता है. FD के मामले में, इंटरेस्ट इनकम को निवेशक की इनकम में जोड़ा जाता है और एप्लीकेबल टैक्स स्लैब के हिसाब से इस पर टैक्स लगता है जो FMP की तुलना में अधिक होता है.
सामान्य FD 100% सेफ और सिक्योर है. ये डिपॉजिट मार्केट लिंक्ड नहीं हैं और 4% और 5.5% के बीच एक कन्फर्म रिटर्न देता है जो डिपॉजिट के टेन्योर पर निर्भर करता है.
दूसरी ओर FMP सामान्य FD की तुलना में थोड़ा रिस्क ओरिएंटेड इन्वेस्टमेंट इंस्ट्रूमेंट है. लेकिन FMP पर इंटरेस्ट रेट का रिस्क कम से कम होता है क्योंकि फंड मैनेजर आमतौर पर इंस्ट्रूमेंट्स को उनकी मैच्योरिटी तक होल्ड करते हैं. इसके अलावा, FMP आमतौर पर हाई क्रेडिट क्वालिटी वाली सिक्योरिटीज में निवेश करते हैं ताकि क्रेडिट और लिक्विडिटी रिस्क कम से कम हो.
टैक्स एक्सपर्ट अरविंद अग्रवाल ने कहा, “FMP थोड़े रिस्क के साथ एक अच्छा इन्वेस्टमेंट ऑप्शन है. अगर कोई FMP में एक बार निवेश करता है, तो वो इस बात को अच्छे से समझ सकता है. बेसिकली ये बहुत कम रिस्क फैक्टर के साथ एक नॉर्मल FD की तुलना में बहुत अधिक रिटर्न देता है”
अग्रवाल और नीलोत्पल बनर्जी जैसे एक्सपर्ट ने कहा, FD की तुलना में FMP एक अच्छा इंस्ट्रूमेंट है. इस इंस्ट्रूमेंट में निवेश करने का प्रयास करें, यह मार्केट लिंक्ड डिपॉजिट है लेकिन रिस्क फैक्टर बहुत कम है. इसलिए इसमें कोई भी निवेश कर सकता है. नीलोत्पल बनर्जी ने कहा, “मान लीजिए कि आप 1616 दिनों की अवधि के लिए FD और FMP दोनों में 1 लाख रुपये का निवेश करते हैं. FD की मैच्योरिटी वैल्यू 1,26,252 रुपये और FMP में 1,25,690 रुपये होगी. लेकिन टैक्स कंप्लायंस और अन्य कटौतियों के बाद व्यक्ति को अंत में FMP से 1,23,261 रुपये और एफडी निवेश से 1,18,061 रुपये मिलेंगे. यानी टेन्योर के अंत में एफडी से लगभग 5,000 रुपये ज्यादा”
बनर्जी ने कहा, इसलिए अगर आपके पास अलग-अलग बैंकों में कई FD हैं, तो FD की तुलना में FMP में निवेश करना बुद्धिमानी है.
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