फाइनेंस एक्सपर्ट्स अक्सर ये सलाह देते हैं कि अगर आपको ज्यादा रिटर्न कमाना है तो आपको लॉन्ग-टर्म के लिहाज से निवेश करना चाहिए क्योंकि कंपाउंडिंग का फायदा तभी आपको मिल सकता है. साथ में एक्सपर्ट ये भी कहते हैं कि शॉर्ट-टर्म के लिए निवेश करना भी जरूरी है क्योंकि ऐसे निवेश से आप छोटी और आकस्मिक जरूरतों को पूरा कर सकते हैं. आपके लॉन्ग-टर्म निवेश को बरकरार रखने के लिए भी शॉर्ट-टर्म इनवेस्टमेंट जरूरी है क्योंकि इसमें लिक्विडिटी ज्यादा होने की वजह से इमर्जेंसी के वक्त भी इनका उपयोग किया जा सकता है.
सर्टिफाइड फाइनेंशियल प्लानर ऋत्विक मोदी बताते हैं, “अगर आप ज्यादा जोखिम नहीं उठा सकते हैं तो शॉर्ट-टर्म इनवेस्टमेंट आपके लिए सही विकल्प है. आप मूलधन को सुरक्षित रखने के साथ-साथ अच्छा रिटर्न कमाना चाहते है तो आपको शॉर्ट-टर्म इनवेस्टमेंट करना चाहिए.”
शॉर्ट-टर्म आखिर कितना शॉर्ट होना चाहिए?
आमतौर पर 3 साल की अवधि के लिए ट्रेड होने वाले साधनों में निवेश को शॉर्ट-टर्म इनवेस्टमेंट कहते हैं. किसी भी व्यक्ति की शॉर्ट-टर्म अवधि 12 महीने से 3 साल या 5 साल तक की हो सकती है. म्यूचुअल फंड्स के लिए SEBI का रूल कहता है कि शॉर्ट-टर्म फंड्स की अवधि 1-3 साल की होनी चाहिए. शॉर्ट-टर्म इनवेस्टमेंट को लो रिस्क, हाई लिक्विडिटी कैटेगरी में रखा गया है.
शॉर्ट-टर्म में निवेश करके अच्छा रिटर्न कमाने के लिए कई विकल्प हैंः
बैंक Fixed Deposit
इसमें कुछ महीनों से लेकर 10 साल तक निवेश कर सकते है. आप जब चाहे पैसे निकाल सकते है या डिपोजिट को रिन्यू करा सकते है. अभी इसमें 5-7 फीसदी तक रिटर्न मिल रहा है. ब्याज से होने वाली इनकम टैक्सेबल है.
पोस्ट ऑफिस टाइम डिपॉजिट
इसमें 1 साल से 5 साल तक निवेश कर सकते हैं. 1-3 साल में निवेश पर 5.5% और 5 साल के निवेश पर 6.7% ब्याज मिलता है. इंटरेस्ट की इनकम टैक्सेबल गिनी जाती है और आपके स्लैब के आधार पर टैक्स काटा जाता है.
रेकरिंग डिपॉजिट
आप 6 महीने जितने कम वक्त के लिए और 10 साल जितने लंबे समय के लिए रेकरिंग डिपॉजिट करवा सकते हैं. निजी बैंक 7% तक रिटर्न दे रहे हैं. इंटरेस्ट इनकम को आपकी आय में गिना जाता है और टैक्स स्लैब के मुताबिक टैक्स लगता है. 10,000 रुपये से ज्यादा रिटर्न पर TDS कटता है.
ट्रेजरी बिल्स
सरकार के इस साधन में निवेश करने की अवधि केवल 91 दिन की होती है. यदि आप हाई लिक्विडिटी विकल्प ढूंढ रहे हैं तो इसमें निवेश कर सकते हैं.
गिल्ट फंड्स
ये फंड्स केवल सरकारी सिक्योरिटिज में निवेश करते है. इसमें क्रेडिट रिस्क बिल्कुल नहीं होता और इसे सुरक्षित इंवेस्टमेंट फंड माना जाता है.
अल्ट्रा शॉर्ट-टर्म डेट फंड
ये फंड्स का मैच्योरिटी पीरियड 3-6 महीनों का होता है. इसमें 7-9 फीसदी तक रिटर्न मिल जाता है. 36 महीनों से कम अवधि के निवेश पर प्रॉफिट होता है तो शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स काटा जाएगा.
लो-ड्यूरेशन डेट फंड
इनका मैच्योरिटी पीरियड 6-12 महीनों का होता है. ये फंड डेट और मनी मार्केट साधनो में निवेश करते है. पिछले 1 साल में ऐसे फंड में 10 फीसदी से ऊपर रिटर्न मिला है. 3 साल से कम अवधि में होने वाला प्रॉफिट शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन्स के दायरे में आता है.
मनी मार्केट फंड्स
इनका रिडेम्पशन पीरियड 1 साल तक का होता है और ये फंड्स मनी मार्केट इन्स्ट्रूमेंट में निवेश करते हैं. सालाना 7% तक रिटर्न मिल जाता है. इसमें होने वाला प्रॉफिट आपकी इनकम में गिना जाएगा और टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स कटेगा.
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