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SEBI ने बदले नियम, म्यूचुअल फंड के जूनियर कर्मचारियों को अब इतना करना होगा निवेश 

SEBI New Rule: 1 अक्टूबर से अपने सैलरी का 10% तक फंड हाउस की म्यूचुअल फंड यूनिट में निवेश करना होगा. अक्टूबर 2022 से 15% व 2023 में 20% तक किया जाएगा

  • Money9 Hindi
  • Last Updated : September 21, 2021, 17:07 IST
धारणा यह है कि किसी परिसंपत्ति की कोई भी अत्यधिक कीमत अंततः लंबी अवधि में सामान्य हो जाएगी. इसलिए यह कमजोर इच्छा शक्ति वाले निवेशकों के लिए सही विकल्प नहीं है
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SEBI New Rule: म्यूचुअल फंड कर्मचारियों के वेतन नियमों में एक अक्टूबर 2021 सेबदलाव किया जा रहा है. जूनियर कर्मचारियों के लिए इसे फेज वाइज मैनर में लागू किया जाएगा. जूनियर कर्मचारियों को शुरुआत में 1 अक्टूबर 2021 से अपने सैलरी का 10% तक फंड हाउस की म्यूचुअल फंड यूनिट में निवेश करना होगा. इसे अगले साल अक्टूबर से इस बढ़ाकर 15% और फिर 2023 में 20% तक किया जाएगा. मनी कंट्रोल ने इसे लेकर एक रिपोर्ट पब्लिश की है.

फंड हाउस के CEO या फंड मैनेजर्स को छूट नहीं

सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) ने एसेट मैनेजमेंट कंपनियों (AMCs) के 35 साल से कम उम्र के कर्मचारियों को जूनियर कर्मचारी के रूप में परिभाषित किया है. यह छूट फंड हाउस के सीईओ या फंड मैनेजर्स के लिए भी लागू नहीं है.

किसी भी विभाग के चीफ एग्जीक्यूटिव्स, फंड मैनेजरों और प्रमुखों को अगले महीने (October 1, 2021) से अपने वेतन का 20% तक म्यूचुअल फंड यूनिट में निवेश करना होगा. तीन साल के ये निवेश लिए लॉक रहेगा.

पहले से निवेश है तो टेक-होम सैलरी प्रभावित नहीं होगी

अप्रैल में, सेबी ने अनिवार्य किया था कि AMC के प्रमुख कर्मचारियों के कंपनसेशन का एक हिस्सा म्यूचुअल फंड स्कीम की यूनिट के रूप में दिया जाएगा जिस स्कीम में उनका रोल है.

हालांकि कई फंड मैनेजरों और प्रमुख कर्मियों का पहले से ही उन स्कीम्स में निवेश है. इसलिए, जिन कर्मचारियों के पास पहले से ही इस तरह के निवेश हैं, उनकी मासिक टेक-होम सैलरी प्रभावित नहीं होगी.

एक फंड हाउस के सीईओ ने कहा, ‘अगर कर्मचारी का पहले से ही उन स्कीम्स में निवेश है तो वो इसके जरिए सर्कुलर की अनिवार्यता को पूरा कर सकते हैं. उन्हें नया निवेश करने की आवश्यकता नहीं है.’

क्या है म्यूचुअल फंड के अधिकारियों की चिंता

म्युचुअल फंड के अधिकारियों की सर्कुलर को लेकर कई चिंताएं भी है. अधिकारियों की उठाई गई चिंताओं में से एक यह थी कि नए नियम से फंड मैनेजरों के लिए अपने स्वयं के वित्तीय लक्ष्यों के अनुसार अपना व्यक्तिगत निवेश करना मुश्किल हो जाएगा.

उदाहरण के लिए, एक फंड मैनेजर अपने वेतन का एक बड़ा हिस्सा लिक्विड फंड में निवेश नहीं करना चाहेगा, भले ही वह सबसे बड़ा फंड है जिसे वह प्रबंधित कर रहा है.

वह अपने व्यक्तिगत वित्तीय लक्ष्यों के लिए अपने निवेश का एक बड़ा हिस्सा इक्विटी फंड जैसे उच्च जोखिम वाले उच्च-रिटर्न उत्पादों में निवेश करने के लिए इच्छुक हो सकता है.’

अप्रैल में सेबी ने प्रमुख कर्मचारियों को परिभाषित किया था

सेबी ने अपने अप्रैल, 2021 के सर्कुलर में प्रमुख कर्मचारियों को परिभाषित किया था, जिन्हें इन नियमों का पालन करना आवश्यक होगा.

इनमें फंड हाउस के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ), अन्य वरिष्ठ अधिकारी जैसे सभी फंड मैनेजर, रिसर्च एनालिस्ट, चीफ रिस्क ऑफिसर, चीफ इंफॉर्मेशन सिक्योरिटी ऑफिसर (सीआईएसओ), चीफ ऑपरेशन ऑफिसर (सीओओ), कंप्लायंस ऑफिसर, सेल्स हेड, इन्वेस्टर रिलेशन ऑफिसर, अन्य विभागों के प्रमुख, एएमसी के डीलर और वे सभी जो सीधे CEO को रिपोर्ट करते हैं, इस नियम के अंतर्गत आते हैं.

SEBI ने ‘प्रमुख कर्मचारी’ शब्द को ‘नामित कर्मचारी’ किया

हालांकि, नए सर्कुलर में सेबी ने कहा है कि ‘प्रमुख कर्मचारी’ (Key Employees) शब्द को ‘नामित कर्मचारी’ (Designated Employees) के रूप में पढ़ा जाना चाहिए.

इसे लेकर एक फंड हाउस के सीईओ ने कहा, नए नियमों का दायरा अधिक कर्मचारियों को प्रभावित करेगा. वहीं एक अन्य सीईओ ने कहा, नामित कर्मचारियों का मतलब सीईओ से दो स्तर नीचे है, जिसमें सीईओ को रिपोर्ट करने वाले विभाग के प्रमुख और विभाग प्रमुख के नीचे कार्यरत व्यक्ति शामिल हैं.

Published - September 21, 2021, 05:07 IST

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