सरकार की कोशिश रहती है कि किसी भी मुश्किल समय में लोगों के पास खर्च के लिए पैसों हो. ऐसा इसलिए है कि अगर लोगों के पास खर्च के लिए पैसे होंगे, तो देश में खपत बढ़ेगी, और खपत बढ़ेगी तो इकोनॉमी का इंजन फिर दौड़ेगा. सरकार इसी लक्ष्य से खर्च बढ़ाने के लिए कई स्कीमें भी लाती है. ये खपत बढ़ने से जिन कंपनियों को फायदा होगा उनमें निवेश का मौका है SBI म्यूचुअल फंड्स का नया फंड एसबीआई कंजंप्शन ईटीएफ (SBI Consumption ETF).
SBI म्यूचुअल फंड के इस ETF का न्यू फंड ऑफर 14 जुलाई तक खुला है और इस दौरान सब्सक्रिप्शन लेने पर कम से कम 5,000 रुपये का निवेश करना होगा. NFO वो समय होता है जब फंड सिक्योरिटीज खरीदने के लिए निवेशकों से पैसे जुटाता है. इसी के बाद फंड की NAV तय होती है और अलॉटमेंट होता है.
क्योंकि ये एक ETF है – यानी एक्सचेंज ट्रेडेड फंड, इस फंड को स्टॉक एक्सचेंज पर खरीद-बेच सकते हैं. उस वक्त न्यूनतम निवेश की सीमा नहीं रहेगी क्योंकि तब ETF के ट्रेडिंग के भाव पर आप इसे खरीद सकेंगे. ETF होने की वजह से इसमें एक्जिट लोड भी नहीं रहेगा.
ETF में एक्सपेंस रेश्यो भी बाकी फंड्स के मुकाबले बेहद कम होता है क्योंकि इनमें एक्टिव फंड जैसे खर्च नहीं होते.
इस सेक्टर के बेंचमार्क इंडेक्स निफ्टी कंजंप्शन ने पिछले एक साल में 31.56 फीसदी का रिटर्न दिया है. वहीं, इस साल जनवरी से अब तक इसमें 7.87 फीसदी का रिटर्न देखने को मिला है. इस इंडेक्स में FMCG (तेजी से बिकने वाले सामान जैसे साबुन, तेल, शैंपु, खाने-पीने के सामान) कंपनियों जैसे डाबर, हिंदुस्तान युनीलिवर, ब्रिटानिया और कोलगेट के साथ ही फार्मा, रिटेल और ऑटो कंपनियां भी हैं.
SBI कंजंप्शन ETF का निवेश इसी इंडेक्स को आधार मानकर किया गया है. ध्यान रहे कि किसी भी ETF में निवेश के वक्त इसमें ट्रैकिंग एरर पर जरूर नजर डालनी चाहिए.
ये भी पढ़ें: इंडेक्स फंड और ETF में निवेश के वक्त Tracking Error देखना क्यों है जरूरी?
कंजंप्शन थीम का ही एक और ETF है निप्पॉन इंडिया कंजंप्शन ETF जिसने 5 साल की अवधि में 12.18 फीसदी का रिटर्न दिया है. वहीं, टाटा इंडिया कंज्यूमर फंड, मिराए ऐसेट ग्रेट कंज्यूमर फंड, आदित्य बिड़ला सनलाइफ जेनेक्स्ट इंडिया फंड ने 5 साल में 15 से 17 फीसदी तक के रिटर्न दिए हैं. यानी, इनमें 5 साल पहले लगाया 1 लाख रुपये अब तक बढ़कर 2 लाख रुपये से ज्यादा हो चुका होता.
सरकार की कोशिश रहती है कि किसी भी मुश्किल समय में लोगों के पास खर्च के लिए पैसों हो. ऐसा इसलिए है कि अगर लोगों के पास खर्च के लिए पैसे होंगे, तो देश में खपत बढ़ेगी, और खपत बढ़ेगी तो इकोनॉमी का इंजन फिर दौड़ेगा. सरकार इसी लक्ष्य से खर्च बढ़ाने के लिए कई स्कीमें भी लाती है. ये खपत बढ़ने से जिन कंपनियों को फायदा होगा उनमें निवेश का मौका है SBI म्यूचुअल फंड्स का नया फंड एसबीआई कंजंप्शन ईटीएफ (SBI Consumption ETF).
SBI म्यूचुअल फंड के इस ETF का न्यू फंड ऑफर 14 जुलाई तक खुला है और इस दौरान सब्सक्रिप्शन लेने पर कम से कम 5,000 रुपये का निवेश करना होगा. NFO वो समय होता है जब फंड सिक्योरिटीज खरीदने के लिए निवेशकों से पैसे जुटाता है. इसी के बाद फंड की NAV तय होती है और अलॉटमेंट होता है.
क्योंकि ये एक ETF है – यानी एक्सचेंज ट्रेडेड फंड, इस फंड को स्टॉक एक्सचेंज पर खरीद-बेच सकते हैं. उस वक्त न्यूनतम निवेश की सीमा नहीं रहेगी क्योंकि तब ETF के ट्रेडिंग के भाव पर आप इसे खरीद सकेंगे. ETF होने की वजह से इसमें एक्जिट लोड भी नहीं रहेगा.
ETF में एक्सपेंस रेश्यो भी बाकी फंड्स के मुकाबले बेहद कम होता है क्योंकि इनमें एक्टिव फंड जैसे खर्च नहीं होते.
इस सेक्टर के बेंचमार्क इंडेक्स निफ्टी कंजंप्शन ने पिछले एक साल में 31.56 फीसदी का रिटर्न दिया है. वहीं, इस साल जनवरी से अब तक इसमें 7.87 फीसदी का रिटर्न देखने को मिला है. इस इंडेक्स में FMCG (तेजी से बिकने वाले सामान जैसे साबुन, तेल, शैंपु, खाने-पीने के सामान) कंपनियों जैसे डाबर, हिंदुस्तान युनीलिवर, ब्रिटानिया और कोलगेट के साथ ही फार्मा, रिटेल और ऑटो कंपनियां भी हैं.
SBI कंजंप्शन ETF का निवेश इसी इंडेक्स को आधार मानकर किया गया है. ध्यान रहे कि किसी भी ETF में निवेश के वक्त इसमें ट्रैकिंग एरर पर जरूर नजर डालनी चाहिए.
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कंजंप्शन थीम का ही एक और ETF है निप्पॉन इंडिया कंजंप्शन ETF जिसने 5 साल की अवधि में 12.18 फीसदी का रिटर्न दिया है. वहीं, टाटा इंडिया कंज्यूमर फंड, मिराए ऐसेट ग्रेट कंज्यूमर फंड, आदित्य बिड़ला सनलाइफ जेनेक्स्ट इंडिया फंड ने 5 साल में 15 से 17 फीसदी तक के रिटर्न दिए हैं. यानी, इनमें 5 साल पहले लगाया 1 लाख रुपये अब तक बढ़कर 2 लाख रुपये से ज्यादा हो चुका होता.
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