बचत और निवेश दो ऐसी जरूरतें हैं जो आपको फाइनेंशियल गोल्स तक पहुंचने में मदद करती हैं. ये दोनों इतने करीब हैं कि अक्सर लोग समझ नहीं पाते कि कितनी बचत करें और कितना निवेश. ये नासमझी आपको परेशानी में डाल सकती है. दरअसल में बचत और निवेश दो अलग-अलग चीजें हैं. बचत आमतौर पर कुल आय में से खर्चों को घटाकर तय की जाती है, वहीं निवेश का मतलब है आपके मूलधन के साथ-साथ आपको रिटर्न भी मिलता है. ये रिटर्न आपके फाइनेंशियल गोल्स तक पहुंचने में मदद करता है.
अब बचत का उद्देश्य, अचानक खड़ी हुई जरूरतों के लिए पर्याप्त मात्रा में पैसा होने के साथ ही आपकी संपत्ति बढ़ाने और वित्तीय लक्ष्यों को पाना भी होना चाहिए. सीधे शब्दों में कहें तो बचत एक अच्छी आदत है, लेकिन वो केवल तभी अच्छी मानी जाएगी जब आप इसका इस्तेमाल निवेश के जरिए ज्यादा रिटर्न हासिल करने के लिए कर पाएं. ज्यादा बचत करने के बाद आप इसे निवेश ना कर पाए तो ये आपकी फाइनेंशियल हेल्थ के लिए खतरनाक साबित हो सकता है. जानें ज्यादा बचत करना आपका कितना नुकसान कर सकता है और बचत के पैसे को सही जगहों पर निवेश करना कितना सही साबित हो सकता है.
पैसे बचाने की सबसे जरूरी वजह इमरजेंसी के मामले में आपको लिक्विडिटी की सुविधा देना है. हालांकि आपको ऐसी इमरजेंसी के लिए अपनी कुल बचत का केवल एक छोटा सा हिस्सा ही अलग रखना चाहिए. बाकी पैसे को बड़े रिटर्न पाने के लिए निवेश करने की जरूरत है, वरना ये आपके लॉन्ग टर्म गोल्स तक पहुंचने की संभावना को खत्म कर सकता है. इसकी वजह ये है कि ज्यादातर बचत के तरीके जैसे कि सेविंग्स अकाउंट या फिर FD, इंफ्लेशन, टैक्स सब देखने के बाद आपको सही तरह से रिटर्न देने में नाकाम होते हैं. इसको ऐसे समझें कि आपका निवेश कुछ समय बाद किसी खास काम में नहीं आ पाता.
आमतौर पर बैंक, सेविंग्स पर लगभग 3% का सालाना ब्याज ऑफर करते हैं, जो कि मौजूदा इन्फ्लेशन रेट से कम है. धारा 80TTA (u/s 80TTA) के तहत बचत खाते पर 10,000 रुपये तक के ब्याज (गैर-वरिष्ठ नागरिकों के लिए) पर टैक्स नहीं लगता है. 10,000 रुपये से ज्यादा के ब्याज पर लागू इनकम टैक्स स्लैब दर के मुताबिक टैक्स लगता है. अगर आपके पास SB खाते में 5 लाख रुपये हैं, तो एक साल के आखिर में आप इसके बदले लगभग 15,000 रुपये कमाएंगे. अब 5000 रुपये से ज्यादा पर 30% टैक्स लगेगा तो आपकी कमाई एक साल में 13,500 रुपये या 2.7% हो जाती है. हर साल 2.7% की दर से आपको अपना निवेश दोगुना करने में लगभग 26 साल लगेंगे और तब तक 5.5% इंफेक्शन के हिसाब से पैसे की कीमत अपने वर्तमान मूल्य से 75% से ज्यादा गिर चुकी होगी.
आज की बात करें तो FD कुछ खास अच्छा विकल्प नहीं मानी जाएगी. अगर FD 5% रिटर्न देती है, तो 30% टैक्स के बाद आपका रिटर्न 3.5% होगा. 5.5% इंफ्लेशन पर आपका वास्तविक रिटर्न 2% नेगेटिव हो जाता है. इसका मतलब है कि आपका पैसे बढ़ने के बजाय घट रहा है.
सेविंग अकाउंट में रखे हुए आपके पैसे को टैक्स सेविंग स्कीम यू/एस 80सी(u/s 80C) जैसे ईएलएसएस (ELSS) या फिर यूलिप (ULIP) में निवेश किया जाए है, तो आपको 1.5 लाख रुपये तक के रिटर्न पर टैक्स नहीं देना पड़ेगा. इसी के साथ बचत खाते की तुलना में इन तरीकों में निवेश पर रिटर्न भी ज्यादा मिलेगा. कभी-कभी लोग भूल जाते हैं कि उनके सेविंग्स अकाउंट और करंट अकाउंट में आखिर कितनी रकम है क्योंकि वो एक साथ कई बैंक खाते चला रहे होते हैं. अगर आपके पास कई खाते हैं तो यह देखना समझदारी होगी कि इन बैंक खातों में आखिर कितना पैसा पड़ा है. आप इन्हें कम खातों में रख कर ओवर सेविंग्स की परेशानी से बच सकते हैं.
बड़ी संपत्ति बनाने के लिए बचत और निवेश के बीच सही संतुलन बनाए रखना जरूरी है. सबसे पहले तय करें कि आपके पास इमरजेंसी, चिकित्सा से जुड़े खर्च और रोजमर्रा के खर्चों के लिए कितना फंड होना चाहिए. इसके बाद तय करें कि आपके शॉर्ट और लॉन्ग टर्म गोल्स के लिए कितने पैसे की जरूरत पड़ेगी. अब बचे हुए पैसे को अपने फाइनेंशियल गोल्स के मुताबिक निवेश करना शुरू करें. जरूरी बात है कि निवेश किया कहां जाए. तो आप पहले देखें कि आप कितना रिस्क उठा सकते हैं. अपनी लिक्विडिटी की जरूरतों को समझें साथ ही जानें कि आप कितना जोखिम उठा सकते हैं और फिर आप रिटर्न कितना उम्मीद कर रहे हैं. अब इन्फ्लेशन रेट और टैक्स को ध्यान में रखते हुए निवेश के सही तरीके चुनें. इसका मतलब बचत और निवेश साथ साथ होना जरूरी है.
आप ज्यादा पैसा कमाते हैं, तो आपकी संपत्ति भी बढ़नी चाहिए. सिर्फ ज्यादा बचत करना आपके पैसे को लंबे समय में नुकसान ही देगा इसलिए बेहतर रिटर्न के लिए अपनी बचत को समझदारी से निवेश करें. जितना ज्यादा आप बचाएंगे उतना ही ज्यादा निवेश करके आप अपने फाइनेंशियल गोल्स के और करीब जाएंगे.
(लेखक BANKBAZAAR.COM के CEO हैं)
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