Real Estate: अर्थव्यवस्था के लिए रियल एस्टेट बेहद अहम भूमिका निभाता है जिससे अन्य कई और सेक्टर्स पर भी असर पड़ता है जैसे स्टील, सीमेंट, लोहा, पेंट, होम डेकॉर का सामान और इलेक्ट्रिकल्स की डिमांड. महामारी के दौर में जब लाखों लोगों की नौकरी गई है और सैलरी में कटौती देखने को मिली है, इससे खरीदारी के रुझान पर असर पड़ा है और लेकिन इसी के साथ रियल एस्टेट के ट्रेंड में एक बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है.
वर्क फ्रॉम होम की जरूरत और घर पर ही बच्चों की पढ़ाई होने का सीधा मतलब है कि परिवारों को अचानक ही एक से दो ज्यादा कमरों की जरूरत महसूस हो रही है. और आगे भी ये जरूरत जारी रहने का अनुमान है. कई कंपनियों ने एक साल के लिए वर्क फ्रॉम होम जारी रखने का ऐलान किया है और सरकार भी महामारी के खतरे के बीच स्कूल खोलने की जल्दबाजी नहीं करेगी, वो भी तब जब तीसरी लहर का खतरा मंडरा रहा हो.
3-4 बेडरूम वाले घरों के लिए इंक्वायरी बढ़ी है, खास तौर पर NCR, चेन्नई, पुणे और मुंबई में जहां पहले के मुकाबले बड़े अपार्टमेंट की ज्यादा बिक्री हो रही है. ब्याज दरों में कमी से भी बिक्री को मदद मिली है.
जैसे जैसे पाबंदियों में ढील दी जा रही है, वैसे ही इस अहम सेक्टर को मदद देने के लिए राज्य सरकारों को रजिस्ट्रेशन पर स्टैंप ड्यूटी में कटौती करनी चाहिए. इससे बिक्री को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है जिससे सरकार को हो रहे राजस्व घाटे की भरपाई की जा सकेगी.
बिल्डर्स को भी इस दौर में अहम किरदार निभाना है. उन्हें अपने वादे पर खरा उतरना होगा और सही क्वालिटी के साथ तय समय के भीतर ही प्रोजेक्ट डिलीवर करने होंगे. पूरे या आंशिक पेमेंट के बावजूद भारतीयों को अब तक डेवलेपर्स की ओर से देरी का खामियाजा भुगतना पड़ा है.
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