PPF Vs VPF: पिछले कुछ वर्षों से एफडी पर ब्याज दरें काफी घट गई हैं. इस कारण अब लोग अन्य निवेश विकल्पों की तलाश में हैं. अगर आप वेतनभोगी कर्मचारी हैं और रिटायरमेंट फंड जमा करने के लिए कोई बेहतर निवेश विकल्प खोज रहे हैं, तो पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) और स्वैच्छिक भविष्य निधि (VPF) में निवेश करना आपके लिए सबसे ठीक रहेगा. खास बात यह है कि यहां आपकी पूंजी सुरक्षित रहेगी और आपको गारंटीड रिटर्न प्राप्त होगा. इन योजनाओं में बैंक एफडी की तुलना में काफी अधिक ब्याज दर की पेशकश की जाती है. आइए इन दोनों योजनाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं.
स्वैच्छिक भविष्य निधि (VPF)
वीपीएफ वैधानिक ईपीएफ योगदान के अतिरिक्त होता है. यह एक स्वैच्छिक योगदान है. केवल वे वेतनभोगी कर्मचारी, जो ईपीएफओ के सदस्य हैं, वे ही वीपीएफ में निवेश कर सकते हैं. कर्मचारी अपनी बेसिक सैलरी के 12 फीसद से अधिक ईपीएफ में योगदान नहीं दे सकते हैं. अगर कर्मचारी अपनी बेसिक सैलरी के 12 फीसद से अधिक का योगदान देना चाहते हैं, तो वीपीएफ के तहत कर सकते हैं. वीपीएफ पर मौजूदा ब्याज दर 8.50 फीसद है. वीपीएफ में योगदान धारा 80 सी के तहत कर छूट के योग्य होता है. ईपीएफ की तरह ही वीपीएफ भी EEE स्टेटस के साथ आती है. अर्थात इसमें निवेश राशि, ब्याज राशि और मैच्योरिटी की राशि सभी कर मुक्त होती हैं.
पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF)
पब्लिक प्रोविडेंट फंड में आपको अकाउंट एक्टिव रखने के लिए एक वित्त वर्ष में न्यूनतम 500 रुपये निवेश करना होता है. वहीं, पीपीएफ (PPF) में एक वित्त वर्ष में अधिकतम 1.5 लाख रुपये निवेश किये जा सकते हैं. पीपीएफ 15 साल की लॉक-इन अवधि के साथ आता है. इस समय पीपीएफ में ब्याज दर 7.1 फीसद सालाना है. पीपीएफ आयकर अधिनियम 1961 की धारा 80 सी के तहत एक वित्त वर्ष में 1.5 लाख रुपये तक की आयकर छूट की पेशकश करता है. इस योजना में अर्जित ब्याज भी पूरी तरह कर मुक्त होता है. यह योजना आयकर लाभों के साथ आती है.