Power Of Compounding: संपत्ति में वृद्धि करने के लिए कंपाउंडिंग को पावरफुल हथियार माना जाता है. कंपाउंडिंग (चक्रवृद्धि) यानि ‘मूलधन पर अर्जित ब्याज के साथ-साथ संचित ब्याज के कारण निवेश के मूल्य में वृद्धि.
मतलब, ब्याज के ऊपर कई बार ब्याज मिलने को ही कंपाउंडिंग कहा जाता है. पावर ऑफ कंपाउंडिंग (Power Of Compounding) का बेहतर तरीके से फायदा लेने के लिए आप कुछ रूल्स फॉलो करेंगे, तो आसानी से फाइनेंशियल टार्गेट हासिल कर पाएंगे.
पावर ऑफ कंपाउंडिंग का बेहतर रूप में फायदा लेने के लिए निवेश बढ़ाते रहना जरूरी है. चाहें 100 रुपये निवेश करें या 10,000 रुपये.
कंपाउंडिंग तो अपना काम करता ही है, लेकिन ज्यादा निवेश करने से आपको ब्याज भी ज्यादा मिलता है, इसलिए निवेश बढ़ाना जरूरी है.
इसके लिए आपको खर्चे पर काबू रखना होगा. बजट बनाकर चलेंगे, तो फायदे में रहेंगे. जहां खर्च कम हो सकता है, वहां कम करने से ज्यादा पैसे बच पाएंगे.
कुछ लोग मानते हैं कि ज्यादा पैसा हो तभी निवेश कर सकते हैं. ऐसे लोग 30 या 40 साल की उम्र के बाद निवेश शुरु करते हैं, जो कि गलत है.
आप कम उम्र में भी छोटे अमाउंट से निवेश शुरू कर सकते हैं. आप लंबी अवधि के लिए छोटा सा निवेश करते हैं, तो भी वो तेजी से वृद्धि करता है.
उदाहरणः मान लीजिए, आपकी उम्र 20 साल है. रिटायरमेंट के लिए 10 करोड़ रुपये का फंड इकट्ठा करना चाहते हैं, तो हर माह 8500 रुपये निवेश करना होगा. 35 साल की उम्र में शुरुआत करेंगे, तो हर महीने 53,224 रुपये निवेश करना होगा. हमने सालाना 12% के चक्रवृद्धि दर को गिनती में लिया है.
निवेश में अनुशासन रखना महत्वपूर्ण है. अपनी निवेश यात्रा की शुरुआत में नियमित रूप से निवेश करने से अनुशासन सुनिश्चित होगा. SIP अच्छा तरीका है. इसका एक भी भुगतान करना न छोड़ें.
जब आप नियमित रूप से महीने दर महीने निवेश करते हैं, तो आप न केवल अपनी बचत बढ़ाते हैं बल्कि निवेश अनुशासन भी विकसित करते हैं.
पैसे कमाने की जितनी जल्दबाजी करेंगे, उतना ही घाटा होने का चान्स अधिक हो जाएगा. पावर ऑफ कंपाउंडिंग के लिए वक्त देना जरूरी है.
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