एक निवेशक के रूप में आप अक्सर सुनते होंगे कि अपने पोर्टफोलियो को रिव्यू करना कितना महत्वपूर्ण है. लेकिन, रिव्यू करने के बाद भी क्या आप पोर्टफोलियो को रीबैलेंस करते हैं? पोर्टफोलियो रीबैलेंसिंग एक ऐसी तकनीक है, जिसके जरिए एसेट एलोकेशन और रिस्क प्रोफाइल को मैनेज कर के अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है.
इस रणनीति में कुछ निवेशों को कम करके और मौजूदा सिक्योरिटीज में किसी के निवेश को बढ़ाना या नई सिक्योरिटीज खरीदना आदि शामिल होता है. कम से कम साल में एक बार निवेशकों को एसेट एलोकेशन जरूर करना चाहिए. समय-समय पर पोर्टफोलियो को रीबैलेंस करने से सालाना रिटर्न बढ़ने की संभावना काफी हद तक बढ़ जाती है.
पोर्टफोलियो री-बैलेंसिंग एक प्रक्रिया है जिसके जरिए पोर्टफोलियो में एसेट के अनुपात में बदलाव कर सकते हैं. उदाहरण के लिए, एक निवेशक निवेश के समय 50% शेयरों में और 50% बॉन्ड में निवेश करना चुन सकता है. कुछ समय बाद इक्विटी अच्छा प्रदर्शन करती है और इक्विटी एलोकेशन बढ़कर 65% हो जाता है. अब ओरिजिनल एसेट एलोकेशन पर वापस जाना जरूरी है.
पोर्टफोलियो रीबैलेंसिंग में अंडरपरफॉर्मिंग एसेट्स को बेचना और उन्हें नए के साथ बदलना होता है, जिससे पोर्टफोलियो को अच्छी ग्रोथ मिलती है और आप अपने फाइनेंशियल लक्ष्य को आसानी से प्राप्त कर सकते हैं. इसके साथ ही ऐसा करने से आप उन निवेशों से बाहर आ जाते हैं, जो अनुमानित दिशा में नहीं जा रहे होते हैं.
नियमित रूप से पोर्टफोलियो की री-बैलेंसिंग से निवेश का अनुशासन बना रहता है. जोखिम कम करने में भी मदद मिलती है. इसमें इस बात का भी ध्यान रखना पड़ता है कि पोर्टफोलियो आपके फाइनेंशियल लक्ष्य को पूरा करने में मददगार साबित हो.
पर्सनल फाइनेंस पर ताजा अपडेट के लिए Money9 App डाउनलोड करें।