कोरोना महामारी ने देश में कई सेक्टर्स को सीधे नुकसान पहुंचाया है. जिसका खामियाजा सभी को भुगतना पड़ रहा है. हालांकि लोगों को इस मुश्किल दौर से निकालने के लिए केंद्र सरकार ने कई सारी ऐसी स्कीम चलाई हैं. केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस ने हाल ही में लोकसभा में खाने-पीने का कारोबार करने वाले लोगों के लिए चलाई जा रही नई स्कीम की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि जो लोग फूड इंडस्ट्री में अपना काम शुरू करना चाहते हैं, सरकार उन्हें मदद देती है, ये लोग घर बैठे अपना काम शुरू कर सकते हैं. इस स्कीम को पीएम फॉर्मलाइजेशन ऑफ माइक्रो फूड प्रोसेसिंग इंटरप्राइजेज (PMFME) नाम दिया गया है.
इस योजना को मिनिस्ट्री ऑफ फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्रीज की ओर से योजना आगे बढ़ाया जा रहा है. इसे शुरू करने का उद्देश्य छोटे कारोबारियों को बढ़ावा देना है. सरकार को भरोसा है कि इस स्कीम के जरिए अर्थव्यवस्था में 35 हजार करोड़ रुपये का इन्वेस्टमेंट होगा और 9 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा.
मंत्रालय के अनुसार इस समय देश में फूड प्रोसेसिंग से जुड़ी लगभग 25 लाख कंपनियां मौजूद हैं. वहीं 74% लोगों को इस क्षेत्र में रोजगार मिलता है. इस स्कीम में वन डिस्ट्रिक्ट-वन प्रोडक्ट के तौर पर मार्केटिंग करने का फायदा मिलता है. देश में 707 जिलों में वन डिस्ट्रिक्ट, वन प्रोडक्ट योजना लागू की जा चुकी है. राज्यों की जिम्मेदारी होगी कि वो कच्चे माल की उपलब्धता का ध्यान रखते हुए हर जिले के लिए एक फूड प्रोडक्ट की पहचान करें. जिसके आधार पर प्रोडक्ट का प्रोडक्शन करने वाले उद्योगों को प्राथमिक्ता मिलेगी.
सरकार की प्लानिंग है कि वह PMFME स्कीम के तहत 2020- 2025 के 5 वर्षों में 10 हजार करोड़ रुपये खर्च करे. इस पूरे खर्च में 60% भागीदारी केंद्र और 40% राज्यों की होगी. इसी के साथ हिमालय के आसपास के राज्यों और नार्थ ईस्ट के राज्यों में केंद्र सरकार 90% और राज्य सरकार 10% खर्च करेंगी. केंद्र शासित प्रदेशो में भी यह 60:40 के रेशो में होगा.
निर्देशों के अनुसार, एक यूनिट को ज्यादा से ज्यादा 10 लाख रुपये तक की मदद मिलेगी. वहीं राज्य या रीजनल लेवल पर 50% सब्सिडी के साथ छोटे उद्योगों और समूहों के लिए ब्रांड विकसित करने के लिए मार्केटिंग और ब्रांडिंग के लिए भी सहायता दी जाएगी. अगर आप स्वयं सहायता समूह चलाना चाहते हैं तो सरकार की तरफ से 40 हजार रुपये ले सकते हैं.
आवेदन करने के लिए सबसे पहले आपको फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स एफएमई के पोर्टल पर जाना होगा. आप ऑनलाइन आवेदन भी कर सकते हैं. वहीं मिनिस्ट्री ऑफ फूड प्रोसेसिंग की तरफ से हर जिले में रिसोर्स पर्सन बनाए हैं, जो यूनिट्स के लिए डीपीआर तैयार करते हैं, बैंक से लोन लेने, FSSAI के स्टैंडर्ड को पूरा करने और रजिस्ट्रेशन की जानकारी भी इनसे ली जा सकती है. जिन्हें यूनिट्स लगाना है, वे अपना DPR आवेदन सहित राज्य के नोडल अधिकारी को भेज सकते हैं। आवेदन करने के बाद सरकार की ओर से इसकी जांच होगी. जिसके बाद रकम सीधे लाभार्थी के खाते में भेजी जाएगी. वहीं लोन पर भी कुछ छूट मिलेगी उस पर कोई ब्याज नहीं लगेगा.
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