संसद में मानसून सत्र जारी है और बहुप्रतीक्षित पेंशन फंड नियामक एवं विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) संशोधन विधेयक में आने वाले दिनों में कुछ प्रगति देखने को मिल सकती है. अगर संशोधन को पारित कर दिया जाता है तो पेंशन रेगुलेटर्स को राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) के पेंशन ढांचे में लचीलापन और सुधार देखने को मिलेगा. इससे निवेशकों को सीधा फायदा मिलेगा.
प्रमुख संशोधन एनपीएस ट्रस्ट को PFRDA से अलग करने से संबंधित है. साथ ही यह सुनिश्चित किया जाएगा कि एनपीएस ट्रस्ट और नियामक PFRDA के बीच हितों का कोई टकराव नहीं हो. ट्रस्ट एनपीएस योजनाओं के जरिए जमा होने वाले पैसों का मैनेजमेंट करता है.
PFRDA ने सुझाव दिया है कि ग्राहक को रिटायरमेंट तक पूरे 100 फीसदी हिस्से को कम्यूट करने की इजाजत दी जाए. वर्तमान में, NPS ग्राहक रिटायरमेंट पर 60 फीसदी रकम को कर मुक्त करा सकते हैं जबकि पेंशन प्राप्त करने के लिए 40 फीसदी हिस्से को बीमा कंपनियों के पास रखना पड़ता है. हालांकि, जो लोग सेवानिवृत्ति की आयु तक केवल 5 लाख रुपए तक जमा करते हैं, उन्हें पूरी राशि निकालने की अनुमति है.
ग्राहकों के लिए क्यों फायदेमंद?
नए पे-आउट विकल्प जैसे सालाना मिलने वाले वेरिएबल और सिस्टेमेटिक विड्रॉल प्लान भी चर्चा में हैं. सालाना मिलने वाले वेरिएबल 10 साल की सरकारी सिक्योरिटी के लिए महंगाई-इंडेक्स बेंचमार्क हो सकती हैं. वैकल्पिक तौर पर, बेहतर रिटर्न हासिल करने और SWP के माध्यम से पेंशन लेने वाले ग्राहकों को रिटायर फंड का 40% हिस्सा पेंशन फंड मैनेजर्स के पास रखने के लिए मिल सकता है.
इससे पहले पेंशन रेगुलेटर ने अपनी शुरुआती प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि “जिस पल आप ऐसी योजना के बारे में सोचते हैं, आपको Irdai और सेबी को बराबरी पर रखकर सोचना होगा. ताकि स्पष्ट हो कि हम उनसे पीछे नहीं हैं.”
एनपीएस एक स्वैच्छिक सामाजिक सुरक्षा लाभ वाली स्कीम है, जो ग्राहकों को पेंशन फंड हाउसेज द्वारा योजनाओं में निवेश करने की अनुमति देती है, जैसे एचडीएफसी पेंशन मैनेजमेंट और आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल पेंशन फंड मैनेजमेंट. ये स्कीम ग्राहक की पसंद के अनुसार इक्विटी, डेट और सरकारी प्रतिभूतियों में एक्सपोजर देती हैं.
एनपीएस में होने वाले निवेश को आयकर की धारा 80-सी के तहत कटौती से छूट मिलती है. धारा 80CCD(1B) के तहत अतिरिक्त 50,000 रुपए की कटौती का लाभ उठाया जा सकता है. एनपीएस वर्तमान में प्रबंधन के तहत 6 लाख करोड़ की परिसंपत्तियों को मैनेज कर रही हैं.
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