जब सीनियर सिटीजंस को सामाजिक सुरक्षा देने की बात आती है, तो नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) का नाम सबसे पहले लिया जाता है. सरकार समर्थित यह एक ऐसी योजना है, जो देश में सीनियर सिटीजंस को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करती है. यह एक आकर्षक लॉन्ग टर्म सेविंग प्लेटफॉर्म प्रदान करती है, जहां आप सुरक्षित और विनियमित मार्केट बेस्ड रिटर्न के जरिए अपने रिटायर्मेंट के बाद के जीवन को सुखद बना सकते हैं.
दो प्रकार के होते हैं खाते
एनपीएस में खातों के दो प्रकार होते हैं. टियर-1 और टियर-2. एनपीएस में निवेश के लिए टियर-1 खाता खुलवाना आवश्यक है, जबकि टियर-2 खाता स्वैच्छिक होता है, जिसे टियर-1 खाते के अतिरिक्त खोला जा सकता है. टियर-2 खाते में निकासी, मैच्योरिटी और मैच्योरिटी पर रि-इन्वेस्टमेंट पर कुछ प्रतिबंध रहते हैं.
वहीं, टियर-2 खाते में टियर-1 की तरह निकासी पर कोई प्रतिबंध नहीं होते है, लेकिन यहां कोई टैक्स लाभ भी नहीं मिलता है. ऐसे में अगर आप रिटायरमेंट के निवेश नहीं कर रहे हैं और आपको टैक्स लाभ नहीं चाहिए, लेकिन निकासी में लचीलता चाहते हैं, तो आपको एनपीएस के टियर-2 खाते में निवेश करना चाहिए. दूसरी तरफ अगर आप लॉन्ग टर्म वेल्थ क्रिएशन के लिए निवेश करना चाहते हैं, तो आपको टियर-1 खाते के जरिए निवेश करना चाहिए.
डेट और इक्विटी में एसेट अलोकेशन का विकल्प
एनपीएस एक मार्केट लिंक्ड इन्वेस्टमेंट उत्पाद है और इसमें मीडियम से हाई रिस्क होती है. निवेशकों के पास डेट और इक्विटी दोनों में एसेट अलोकेशन का विकल्प होता है. निवेश के समय निवेशक के पास एक्टिव मोड या ऑटो मोड दोनों में से किसी एक को चुनने का विकल्प भी होता है.
ऑटो असेट अलोकेशन निवेशक की उम्र से लिंक्ड होता है और जैसे-जैसे उम्र बढ़ती जाती है, फंड अलोकेशन धीरे-धीरे डेट पॉर्शन की तरफ बढ़ता जाता है. एक्टिव मोड में निवेशक अलोकेशन का अनुपात स्वयं तय कर सकता है. दोनों मोड में अधिकतम इक्विटी अलोकेशन कुल निवेश के 75 फीसदी से अधिक नहीं हो सकता है.
निकासी के नियम
एनपीएस सब्सक्राइबर स्कीम में ज्वाइनिंग के तीन महीने के बाद पीएफआरडीए द्वारा अनुमत विशेष आवश्यकताओं के लिए आंशिक निकासी के योग्य होता है. जीवन को जोखिम में डालने वाली बीमारी, शादी, बच्चों की शादी, प्रॉपर्टी के निर्माण या खरीदारी के लिए अथवा कोई नया उद्यम शुरू करने की स्थिति में आंशिक निकासी की अनुमति मिलती है.
आंशिक निकासी की सीमा
एक सब्सक्राइबर अपने स्वयं के योगदान के 25 फीसदी तक की निकासी कर सकता है. नियम के अनुसार, एक एनपीएस अकाउंट की कुल अवधि के दौरान कुल तीन बार ही आंशिक निकासी की जा सकती है. वहीं, दो निकासी के बीच 5 साल का गेप होना जरूरी है. यदि किसी विशिष्ट बीमारी के इलाज के लिए निकासी की जा रही है, तो गेप की यह शर्त लागू नहीं होती है.
रिटायरमेंट पर कितनी कर सकते हैं निकासी
सामान्य तौर पर रिटायरमेंट पर सब्सक्राइबर्स को कम से कम 40% फंड की एन्युटी करानी होगी और शेष 60% राशि को एकमुश्त निकाला जा सकता है. अब वे एनपीएस ग्राहक बिना एन्युटी खरीदे 100% राशि निकाल सकते हैं, जिनका पेंशन कॉर्पस 5 लाख रुपये के बराबर या उससे कम हो.
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