बुजुर्गों के लिए आय के अवसर बढ़ाना पूरी दुनिया में नीति निर्माताओं के लिए एक चुनौती है. परिवारों के छोटे होने जैसे बदलते सामाजिक पैटर्न और वित्तीय तंगी के कारण वरिष्ठ नागरिक काफी प्रभावित हुए हैं. लगातार घटती ब्याज दरों और महंगाई के कारण सीनियर सिटीजंस वित्तीय मोर्चे पर लगातार पिछड़ रहे हैं. जबकि घटी हुई ब्याज दरें कारोबार के लिए सस्ता लोन चाहने वाले उद्योगों के लिए लाभकारी है. वहीं, आरबीआई की 6% की लिमिट पर या इससे ऊपर रहने वाली मुद्रास्फीति अर्थव्यवस्था में वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए बाजार में डाली गई तरलता की प्रचुरता के कारण है. इसलिए, वरिष्ठ नागरिकों के बीच उच्च और स्थिर रिटर्न देने वाले निवेश विकल्प की आवश्यकता है.
पब्लिक प्रोविडेंट फंड, सीनियर सिटीजन सेविंग्स स्कीम और वय वंदना योजना जैसी स्कीमें FD की तुलना में बेहतर रिटर्न देती हैं, लेकिन नेशनल पेंशन सिस्टम का रिटर्न सबसे बेहतर है, क्योंकि यह मार्केट से जुड़ा हुआ है. पिछले हफ्ते नियामक पीएफआरडीए ने एनपीएस में प्रवेश की उम्र बढ़ाकर स्वागत योग्य कदम उठाया है. 18 से 65 वर्ष के बीच कोई भी इस स्व-वित्त पोषित पेंशन योजना में शामिल हो सकता है. पिछले सप्ताह इस योजना में प्रवेश की आयु में 70 वर्ष तक की छूट दी गई है. यह एक सकारात्मक कदम है. इससे अधिक उम्र वाले कई वरिष्ठ नागरिक भी इस योजना का लाभ ले पाएंगे.
भारत में सरकारी पेंशन पाने वालों की संख्या बहुत कम है. इससे यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि नागरिक एनपीएस और अटल पेंशन योजना (APY) जैसी पेंशन प्रणालियों में बचत करें. एनपीएस के लिए नामांकित लोगों की संख्या 4.35 करोड़ है, जबकि एपीवाई में 3.13 करोड़ लोग नामांकित हैं. APY में केवल 40 वर्ष की आयु तक ही प्रवेश किया जा सकता है. इससे वरिष्ठ नागरिकों के लिए केवल एनपीएस में ही बचत करने का एकमात्र अवसर बचता है.
अगर आप वित्तीय स्वतंत्रता चाहते हैं, तो सेवानिवृत्ति के लिए बचत करना बहुत जरूरी है, लेकिन बहुत कम लोग ही वास्तव में पेंशन प्रणाली में अनुशासित निवेश करते हैं. इसके अलावा, जीवन प्रत्याशा बढ़ने के साथ, वृद्धावस्था के लिए आय सुनिश्चित करना अधिक महत्वपूर्ण होता जा रहा है.
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