म्यूचुअल फंड में निवेश तो कई लोग करते है लेकिन बेहतर रिटर्न कमाने के लिए कुछ नियमों का पालन करना बेहद आवश्यक होता है. म्यूचुअल फंड निवेश में स्कीम सिलेक्शन, मोनीटरिंग, स्विचिंग, रिडंप्शन, एसेट अलोकेशन, रि-बैलेंसिंग, रिव्यू जैसे कई पहलू पर फोकस करके ज्यादा रिटर्न कमाया जा सकता है. यदि आप बडे निवेशक है तो वैल्थ मेनेजर के जरिए ये सब कर सकते है, लेकिन छोटे निवेशक के लिए ऐसा करना मुश्किल है. मगर MARS स्ट्रैटेजी के जरिए छोटे निवेशक भी यह नियमों का पालन करते हुए अधिकतम रिटर्न कमा सकते है.
MARS यानि म्यूचुअल फंड्स ओटोमेटेड रि-बैलेंसिंग सिस्टम. ये ऐसा टूल है जो निवेशक को एसेट अलोकेशन और रि-बैलेंसिंग करने के काम से छूटकारा दिलाता है और ओटो मोड पर ये काम कर लेता है. MARS आपके पोर्टफोलियो के एसेट एलोकेशन को रिसर्च के आधार पर मार्केट मूवमेंट के अनुरूप मैनेज करता है. “आपके पोर्टफोलयो में यदि किसी स्कीम का पर्फोर्मंस नेगेटिव है तो उसे बेहतर योजनाओं से बदल दिया जाता है. आपका पैसा लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रही स्कीम में लगाया जाता है, ऐसा करते रहने से आपको मार्केट में तेजी का फायदा मिलता है और मंदी के वक्त सुरक्षा मिलती है,” ऐसा AMFI-रजिस्टर्ड म्यूचुअल फंड डिस्ट्रिब्युटर परेश धानानी बताते है.
– स्कीम सिलेक्शन – स्कीम मोनीटरिंग – एसेट अलोकेशन – रि-बैलेंसिंग
MARS के जरिए निवेश करने के लिए आपको इस स्ट्रैटेजी के तहत काम कर रहे म्यूचुयअल फंड डिस्ट्रिब्युटर या एग्रीगेटर का संपर्क करना होगा. आप कम से कम एक लाख रूपए से निवेश शुरु कर सकते है और मिनिमम 10,000 रूपए का टोप-अप चुन सकते है.
MARS स्ट्रैटेजी के तहत निवेशक को उनके फाइनेंशियल टार्गेट और रिस्क-केपेसिटी के अनुसार विभिन्न तरह के डाइवर्सिफाइड पोर्टफोलियो का चयन करने का मौका मिलता है. इसमें रि-बैलेंसिंग का काम सिस्टम के तहत होता है, इसलिए आप बिहेवियरल बायस से बचे रहते है. यह स्ट्रैटेजी के तहत साल में दो बार रिव्यू किया जाता है और एक बार रि-बैलेंसिंग किया जाता है.
MARS एक एड्वाइजरी टूल की तरह है जो आपकी स्ट्रैटेजिक एसेट अलोकेशन और स्कीम सिलेक्शन की परेशानी को दूर करता है. MARS के तहत दो तरह के एसेट अलोकेशन को चुनना होता हैः फिक्स्ड एसेट अलोकेशनः इसमें ऐसा पोर्टफोलियो तैयार किया जाता है जो आपकी रिस्क-केपेसिटी के आधार पर इक्विटी में 10% से 100% तक का फिक्स्ड निवेश करे, बाकी निवेश डेट में होता है. डायनेमिक एसेट अलोकेशनः वैल्यूएशन के विभिन्न पहलू को ध्यान में रखते हुए एक्सपर्ट की टीम द्वारा पूरा पोर्टफोलियो मेनेज होता है और एसेट अलोकेशन किया जाता है.
SEBI-रजिस्टर्ड इंवेस्टमेंट एड्वाइजर चैतन्य पटेल बताते है कि, वैसे तो आप म्यूचुअल फंड में डायरेक्ट प्लान चुन कर निवेश कर सकते है, जो आपको कमिशन देने से बचाता है, लेकिन आपको एड्वाइजरी सर्विस नहीं मिलती. यदि आप समजदार है तो ऐसा कर सकते है, लेकिन आपको मार्केट की जटिलता समझ नहीं आती तो ऐसी स्ट्रैटेजी के जरिए निवेश करना चाहिए, क्योंकि आपको एक्सपर्ट टीम की मदद मिलती है.
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