छोटी सेविंग स्कीम अभी भी निवेशकों को लुभाती हैं. इन स्कीम का सबसे बड़ा आकर्षण यह है कि वो सरकार द्वारा गारंटीड होने के साथ ही सुरक्षित होती हैं. पोस्ट ऑफिस मंथली इनकम स्कीम (POMIS) और पांच साल का फिक्स्ड डिपॉजिट दो छोटी सेविंग स्कीम हैं जो लगभग एक समान हैं. लेकिन फिर भी, उनके बीच कुछ अंतर हैं. Money9 आपको बता रहा है दोनों विकल्पों के फायदे और नुकसान के बारे में.
MIS का पांच साल का फिक्स्ड टेन्योर होता है. MIS सहित सभी छोटी सेविंग स्कीम का इंटरेस्ट रेट केंद्र सरकार द्वारा तिमाही आधार पर नोटिफाई किया जाता है. जैसा कि नाम से पता चलता है, MIS में इंटरेस्ट मंथली बेसिस पर दिया जाता है, जबकि इन्वेस्ट किया प्रिंसिपल मैच्योरिटी पर वापस मिलता है. फिलहाल इंटरेस्ट रेट 6.6 % सालाना है. एक नाम पर अधिकतम 4.5 लाख रुपये या दो के नाम पर अधिकतम 9 लाख रुपये का निवेश किया जा सकता है.
पांच साल की FD में निवेशक के पास MIS की तरह ही पांच साल का लॉक इन पीरियड होता है. लेकिन यहां इंटरेस्ट क्वाटरली जनरेट होता है और प्रिंसिपल अमाउंट के साथ फिर से निवेश किया जाता है. अगर कोई कुछ पैसे निकालता है, तो निवेशक को जुर्माने के रूप में एक निश्चित प्रतिशत का भुगतान करना पड़ता है. वर्तमान में पोस्ट ऑफिस में पांच साल की FD पर 6.7% इंटरेस्ट रेट मिलता है. यह भी सरकार द्वारा हर तिमाही में संशोधित किया जाता है.
यहां हम कुछ कॉमन फैक्टर पर चर्चा करने जा रहे हैं जो आपके लिए यह तय करने में मददगार हो सकते हैं कि अपनी मेहनत की कमाई को कहां निवेश करें.
FD और MIS दोनों ही सेफ और सिक्योर इन्वेस्टमेंट ऑप्शन हैं. लेकिन FD में आपको पता होता है कि मैच्योरिटी अमाउंट क्या होगा. डिपॉजिटर को वही अमाउंट मिलता है चाहें मार्केट की स्थिति कुछ भी रहे. लेकिन MIS में, निवेश किए अमाउंट का एक हिस्सा इक्विटी मार्केट में दोबारा निवेश किया जाता है, इसलिए थोड़ा रिस्क हो सकता है लेकिन कुल मिलाकर निवेश सुरक्षित है.
FD में इंटरेस्ट रेट पूरे टेन्योर के दौरान फिक्स्ड होता है. लेकिन MIS के मामले में इंटरेस्ट रेट केंद्र सरकार द्वारा हर तिमाही में तय किए गए रेट के अनुसार बदलता रहता है. वर्तमान में पांच साल की पोस्ट ऑफिस FD 6.7% सालाना इंटरेस्ट देती है. वहीं MIS 6.6% इंटरेस्ट देता है.
FD में टेन्योर खत्म होने से पहले विड्रॉल की सुविधा नहीं है. यदि कोई किसी इमरजेंसी के लिए कोई रकम निकालना चाहता है तो उसे कुल कॉर्पस का 3% तक जुर्माना देना होगा. प्रिंसिपल अमाउंट और उस पर कमाए इंटरेस्ट का भुगतान पांच साल के मैच्योरिटी पीरियड के बाद किया जाएगा.
दूसरी ओर, MIS भी पांच साल की मैच्योरिटी से पहले विड्रॉल की परमिशन नहीं देता है. यदि कोई फिर भी विड्रॉ करना चाहता है, तो उस व्यक्ति को अवधि के आधार पर 2% तक का जुर्माना देना होगा. MIS में इंटरेस्ट का भुगतान मंथली इंस्टॉलमेंट में किया जाता है और प्रिंसिपल का भुगतान मैच्योरिटी के बाद किया जाता है.
पांच साल की FD को अक्सर टैक्स सेविंग FD के रूप में जाना जाता है. ये बैंक और पोस्ट ऑफिस दोनों में उपलब्ध हैं. लेकिन MIS केवल पोस्ट ऑफिस में उपलब्ध है.
पांच साल की FD के लिए कोई इन्वेस्टमेंट कैप नहीं है. कोई जितना हो सके उतना निवेश कर सकता है. सभी व्यक्तियों के लिए पांच साल की FD की न्यूनतम सीमा 1,000 रुपये है.
दूसरी ओर, कोई केवल 1,000 रुपये से MIS निवेश शुरू कर सकता है, लेकिन एक ही नाम में अधिकतम 4.5 लाख रुपये का निवेश कर सकता है जबकि ज्वाइंट अकाउंट होल्डर अधिकतम 9 लाख रुपये निवेश कर सकते हैं.
IT एक्ट, 1961 के सेक्शन 80C के तहत पांच साल की FD पर एक फाइनेंशियल ईयर में 1.5 लाख रुपये की लिमिट तक टैक्स छूट है. लेकिन MIS, IT एक्ट के किसी भी सेक्शन के तहत कोई टैक्स छूट प्रदान नहीं करता है. लेकिन मंथली इंटरेस्ट इनकम व्यक्ति के टैक्स स्लैब के अनुसार पूरी तरह से टैक्सेबल है.
मान लीजिए आपने पांच साल की FD और MIS में 4 लाख रुपये लगाए हैं. FD के इंटरेस्ट रेट क्वाटरली कंपाउंडेड होते हैं. यह वर्तमान में 6.7% इंटरेस्ट रेट देती है. तो आप पांच साल बाद इससे 5.58 लाख रुपये कमा सकते हैं.
MIS में आपको 6.6% के इंटरेस्ट रेट के साथ 60 महीने के लिए 2,188 रुपये का मासिक भुगतान और मैच्योरिटी पर 4 लाख रुपये प्रिंसिपल अमाउंट मिलेगा. आपको मिलने वाला कुल अमाउंट 2188 X 60 = 1.31 लाख रुपये, यानी 4 लाख रुपये + 1.31 लाख रुपये = 5.31 लाख रुपये होगा.
साफ है कि पांच साल की FD में 27,000 रुपये का फायदा है. हालांकि, आपको यह हर महीने नहीं मिलेगा जैसा कि आपको MIS में मिलेगा. इसलिए, निवेशकों को अपनी फाइनेंशियल जरूरतों के हिसाब से विकल्प चुनना चाहिए.
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