Laddering Strategy: फिक्स्ड रिटर्न पाने के लिए निवेशक कई तरह के निवेश करते हैं, लेकिन जब ब्याज दर कम हो और इंटरेस्ट रेट में उतार-चढ़ाव आते हों तब उनका काम चुनौतीपूर्ण बन सकता है. ऐसे माहौल में इफेक्टिव इन्वेस्टमेंट के लिए एक आसान और प्रभावी स्ट्रैटेजी का सहारा लिया जा सकता है, जिसे लैडरिंग (laddering) यानी सीढ़ी कहते हैं. इस स्ट्रैटेजी से आपको रिटर्न बढ़ाने के साथ साथ ब्याज दरों में बदलाव के कारण इनकम लॉस होने से बचने में भी मदद मिलती है.
Laddering यानि सीढी. जैसे हम सीढ़ी चढ़ते वक्त एक के बाद एक स्टेप ऊपर जाते हैं ऐसे ही इस स्ट्रैटेजी में मैच्योर होने वाली राशि को फिर से निवेश किया जाता है. ये एक निवेश तकनीक है जिसके तहत विभिन्न परिपक्वता अवधि वाले मल्टिपल निवेश उत्पादों का उपयोग किया जाता है.
इन्वेस्टर अलग-अलग मैच्योरिटी वाले साधनों में निवेश करते हैं, जैसे ही एक निवेश मैच्योर होता है तो उसे फिर से निवेश किया जाता है. इन्वेस्टमेंट का प्रबंधन करने की ये कंजर्वेटिव स्ट्रैटेजी है, जिसके कारण इंटरेस्ट रेट में बदलाव होने का संभवित रिस्क कम हो जाता है. आपके पोर्टफोलियो को अतिरिक्त इनकम देने में भी ये स्ट्रैटेजी काम आती है. दूसरे देशो में फाइनेंस एक्सपर्ट विशेष रूप से डेट इंवेस्टमेंट में बॉन्ड लैडरिंग और FD लैडरिंग का उपयोग करते है.
FD लैडरिंग के मामले में, आप अपने पैसे का निवेश करने के लिए अलग-अलग मैच्योरिटी वाले FD इंस्ट्रूमेंट्स का उपयोग कर सकते हैं. पूरे फंड को एक FD में निवेश करने के बजाय, अपने फंड को समान रूप से विभाजित किया जाता है और इसे अलग-अलग मैच्योरिटी वाली FD में निवेश किया जाता है.
मान लीजिए, आपके पास 5 लाख रुपये हैं, तो इसे पांच समान हिस्से में विभाजित करना होगा और रू.1 लाख की पांच FDs में निवेश करना होगा. इन सबकी मैच्योरिटी अलग-अलग होनी चाहिए. अर्थात, 1 साल, 2 साल, 3 साल, 4 साल और 5 साल की अवधि वाली पांच FD में 5 लाख रुपये निवेश करना होगा.
1 साल वाली FD मैच्योर होगी तब उसे फिर से निवेश करना होगा, मान लीजिए आप प्रत्येक FD को मैच्योर होने के बाद पांच साल वाली FD में निवेश करते है. यानि, 1 साल के बाद जो FD मैच्योर हुई है वो छठ्ठे साल फिर मैच्योर होगी. दो साल की मैच्योरिटी वाली अवधि सातवे साल में, 3 साल वाली आठवें साल में, 4 साल वाली FD 9 साल में और पांच साल वाली FD दसवे साल फिर से मैच्योर होगी.
इतना समझ में आता है कि, यहां इन्वेस्टमेंट लूप बनाया जाता है, जहां हर एक साल में आपकी FD मैच्योर होती है और आपको लिक्विडिटी की समस्या परेशान नहीं कर पाती.
इससे आपको लंबी अवधि में ब्याज दर में होने वाले उतार-चढ़ाव को औसत करने में मदद मिलती है. आपको कभी इमर्जंसी के वक्त पैसे की जरूरत हो तो पूरी FD तोडने की जरूरत नहीं पडती क्योंकि आपकी एक एफडी मैच्योर होने से आपके पास लिक्विडिटी आ जाती है. ये स्ट्रैटेजी से आप लंबी अवधि में अधिक सुसंगत रिटर्न कमा सकते हैं.
यदि आप ज्यादा यील्ड पाना चाहते है तो लंबी अवधि के लिए बॉन्ड या FD में निवेश करना पडता है, लेकिन इसमें लिक्विडिटी रिस्क, क्रेडिट रिस्क और इंटरेस्ट रेट रिस्क रहता है. चूंकि आपने विभिन्न अवधि वाले साधनो में निवेश किया होता है इसलिए ये सारे रिस्क कम हो जाते है.
सेबी-रजिस्टर्ड इन्वेस्टमेंट एडवाइजर समीर शाह बताते है, बैंक एफडी और बॉन्ड में इस स्ट्रैटेजी का उपयोग कर सकते है. इस स्ट्रैटेजी के तहत आपने विभिन्न अवधि वाले बॉन्ड में निवेश किया है और क्रेडिट रिस्क का प्रश्न आता है तो आपका निवेश विभाजित होने से लोस कम हो जाएगा.
यदि आपने बैंक एफडी में निवेश के लिए ये स्ट्रैटेजी को चुना है और पैसे की जरूरत पडती है तो आप सबसे कम अवधि वाली एफडी तोड कर या उसके मैच्योर होने पर फंड का उपयोग कर सकते है और बाकी की FD को सुरक्षित रख सकते है.
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