Mutual Funds: निवेश का बाजार विकल्पों से भरा हुआ होता है. सवाल यह है कि कैसे आप कम लागत पर अधिक से अधिक रिटर्न हासिल कर सकते हैं? एक विकल्प, सीधे शेयरों पर निवेश कर रिटर्न प्राप्त करने का होता है, तो दूसरा तरीका विभिन्न तरह फंडों में निवेश के जरिए. सभी विकल्पों के अपने-अपने फायदे और नुकसान हैं. लेकिन कौन-सा विकल्प अच्छा है, यह कैसे तय किया जाए?
एक्सचेंज ट्रेडेड फंड(ETF) औऱ म्यूचुअल फंड, अपने थीम के मुताबिक बाजार में निवेश करते हैं. ये शेयर, बॉन्ड और गोल्ड में निवेश करते हैं. इन पर मिलने वाले रिटर्न पर समान टैक्स लगता है. फिर भी इन दोनों में कुछ अंतर हैं.
ETF निफ्टी या सेंसेक्स को फॉलो करते हैं. अक्सर इनका रिटर्न इन सूचकांकों के जैसा ही होता है. उदाहरण के लिए, यदि कोई ETF निफ्टी50 पर आधारित है तो उसमें इसी की तरह तेजी या कमी देखी जाएगी. इसमें एक्टिव मैनेजमेंट की जरूरत नहीं होती. इसलिए इसकी लागत कम होती है. ये 0.07 से लेकर 0.30 फीसदी तक चार्ज करते हैं. दूसरी ओर म्यूचुअल फंड, लॉर्ज कैप, मिडकैप, स्मॉलकैप जैसे थीम पर आधारित होते हैं. फंड मैनेजर इनका प्रबंधन करते हैं. ये फंड सूचकांकों को फॉलो तो करते हैं, लेकिन जरूरी नहीं कि उसी के मुताबिक, उतार-चढ़ाव प्रदर्शित करें. कई बार तो ये सूचकांकों से भी बेहतर रिटर्न देते हैं. यह फंड मैनेजर पर निर्भर करता है. ये 0.75 से 2.50 फीसदी तक चार्ज लेते हैं.
इंडेक्स आधारित निवेश की शुरुआत अमेरिकी निवेशक जैक बोग्ली ने की थी. उन्होंने वैनगार्ड ग्रुप की स्थापनी की थी. उनका मानना था कि इंडेक्स फंड में कम लागत पर पूरे बाजार को ट्रैक किया जा सकता है. उनके मुताबिक, किसी एक हाई-परफार्मिंग शेयर के पीछे भागने के बजाए, बहुत से शेयरों को चुनना चाहिए. और ETF में यह सुविधा मिलती है.
अब भारत में भी ETF फंड के जरिए निवेश करने की प्रवृति बढ़ती जा रही है. जनवरी से अक्टूबर 2020 के बीच इनके AUM में 61 फीसदी की बढ़ोतरी देखने को मिली है. जबकि इसी अवधि में एक्टिव फंड यानि म्यूचुअल फंडों ने अंडरपरफार्म किया है. डाउ जोंस के एक एनालिस्ट के अनुसार, 2020 में करीब 80 फीसदी लॉर्ज कैप फंडों ने S&P BSE 100 इंडेक्स की तुलना में अंडरपरफार्म किया है.
दूसरी ओर, एक्टिव फंड, अपने फंड मैनेजर की कुशलता से बेंचमार्क को पीछे छोड़ पाते हैं. इनकी लागत भी ETF से अधिक होती है. अच्छा शेयर चुनना कोई आसान काम नहीं होता, यहीं पर फंड मैनेजर की योग्यता काम आती है. बीते साल, 20 फीसदी लॉर्जकैप फंड ही BSE100 से बेहतर रिटर्न दे पाए.
इसलिए, छोटे निवेशकों के लिए विकल्प बेहद स्पष्ट है. क्या वह बेंचमार्क रिटर्न हासिल करना चाहता है या फिर और रिटर्न के लिए ज्यादा जोखिम लेना चाहता है? हालिया, रुझान को देखें तो पता चलता है कि छोटे निवेशक ETF को ज्यादा पसंद कर रहे हैं. लॉर्ज कैप शेयरों पर अच्छा निवेश हो रहा है. जबकि इसी सेगमेंट में एक्विट फंड पीछे रहे हैं.
पर्सनल फाइनेंस पर ताजा अपडेट के लिए Money9 App डाउनलोड करें।