दोस्ती के रिश्ते में पैसा महंगा सौदा ना साबित हो जाए. बैंकों से लोन लेना महंगा पड़ता है इसलिए कुछ छोटी जरूरतों के लिए परिवार में ही किसी से कर्ज लेने या दोस्तों से उधार (lending money) लेकर काम चलाना पड़ता है. ऐसे समय में दोस्तों की मदद से आप हाथ पीछे भी नहीं खींच सकते. लेकिन, इसे कैसे मैनेज किया जाए कि कबीर दास जी की बात पर अमल हो सके – मैं भी भूखा ना रहूं, साधु ना भूखा जाए.
दोस्ती और मधुर संबंध बरकरार रहें, इसके लिए जरूरी है कि आप पैसे उधार देते वक्त कुछ बातों का ख्याल रखें. ऐसे स्मार्टली मैनेज करें कि आप अपनी चादर के हिसाब से ही दें ताकि अपने घर पर ही जरूरत होने पर आपको हाथ ना फैलाने पड़े.
पर्सनल लोन जैसे कर्ज उठाने पर बैंक आपसे 10 फीसदी से ज्यादा ब्याज वसूलते हैं. माली हालत खराब होने पर ब्याज का बोझ और पड़ना किसी के लिए भी चिंता का विषय हो सकता है. अनसिक्योर्ड लोन होने की वजह से इन पर ज्यादा ब्याज देना पड़ता है. और इसे जितना लंबा खींचेंगे उतना और बोझ बढ़ेगा. अगर आपसे कोई दोस्त या रिश्तेदार पैसे उधार मांगे तो इन बातों का रखें ख्याल –
उधार देने पर कोई टैक्स नहीं लगता, लेकिन बड़ी रकम के ट्रांजैक्शन पर इनकम टैक्स विभाग की नजर रहती है. लोन देते वक्त ध्यान दें कि ये ट्रांजैक्शन आप कैश में ना कर रहे हों. 20,000 रुपये से ज्यादा की उधारी देते वक्त हमेशा चेक, ऑनलाइन पेमेंट या बैंक ड्राफ्ट का ही इस्तेमाल करें. अगर आप अपने दोस्तों से इस कर्ज पर ब्याज ले रहे हैं तो उसे आपको इसे अन्य स्रोत से आय में दिखाना होगा.
इनकम टैक्स के सेक्शन 269SS के तहत टैक्सपेयर को 20,000 रुपये से ज्यादा की रकम का कर्ज कैश में नहीं देना या लेना चाहिए. हालांकि, अगर दोनों व्यक्ति की आय कृषि से ही आती है और वे इनकम टैक्स के दायरे में नहीं आते तो ये प्रतिबंध नहीं है.
इस सेक्शन के उल्लंघन पर आपको पेनल्टी देनी पड़ सकती है जो कैश में दी गई रकम के बराबर हो सकती है.
ध्यान रहे कि जब आप दोस्तों या रिश्तेदारों को कर्ज देते हैं तो ये भरोसे के आधार पर देते हैं. अगर, कर्ज लेने वाले की किसी कारण मृत्यु हो जाती है तो आपको ये सोचना पड़ेगा कि ये रकम वापस मिलेगी या नहीं. ऐसी परिस्थिति से बचने के लिए आप एक कानूनी दस्तावेज या एग्रीमेंट तैयार कर सकते हैं जिसमें नियम और शर्तें साफ-साफ लिखी हों.
मनीमंत्रा के फाउंडर विरल भट्ट के मुताबिक, किसी को पैसे उधार देने से पहले आप ये जरूर सोचें कि क्या आप इतना सामर्थ्य रखते हैं या नहीं. आप अपनी सेविंग्स में ये बोझ होने पर इसका वहन कर सकते हैं या नहीं. विरल भट्ट कहते हैं, “ध्यान रहे कि ये पैसे आपको लंबे समय तक वापस नहीं मिलने वाले, अगर मिलने की संभावना भी है तो. आप पहले से प्लान करें कि आपके पास जो बचता है वो आपकी इमरजेंसी के लिए काफी है या नहीं.”
अपनी सेविंग्स से ऐसे पैसे उधार देते वक्त अपने जेब की हालत जरूर देखें. आपपर कितनी जिम्मेदारियां हैं, आगे कौन से जरूर लक्ष्य हैं जिन्हें टाला नहीं जा सकता और कौन-कौन से बड़े खर्च हो सकते हैं. भट्ट कहते हैं कि अगर आप घर खरीदने की तैयारी कर रहे हैं या बच्चों की पढ़ाई के लिए पैसे बचा रहे हैं तो आकलन करें कि आप कितना दे सकते हैं. ज्यादा उधारी से आपके प्लान्स को धक्का लग सकता है.
भट्ट के मुताबिक जब आपके पास कोई पैसे मांगने आए तो सोचने का वक्त लें और तुंरत पैसे ना दे दें. कुछ समय जरूरतों का आकलन करने के लिए मांगें. इस दौरान संभव है कि आपके परिजन किसी और से भी कुछ राहत मांग लें.
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