Bond Investment: एक्सपर्ट अक्सर सलाह देते हैं कि किसी भी उपलब्ध विकल्प में निवेश करते वक्त विविधीकरण (डाइवर्सिफिकेशन) जरूरी है. इसके लिए आप बॉन्ड को पसंद कर सकते हैं और अपने निवेश पोर्टफॉलियो को डाइवर्सिफाई रख सकते हैं. आप गैर-प्रणालीगत जोखिम को और कम करने या समाप्त करने के लिए विभिन्न प्रकार के बॉन्ड में निवेश कर सकते हैं. पिछले कुछ सालों से रिटेल इन्वेस्टर्स में बॉन्ड के प्रति लगाव देखा गया है. उनकी मांग के कारण ही बड़ी संख्या में कंपनियां बॉन्ड इश्यू कर रही हैं या इश्यू करने की योजना बना रही हैं. बॉन्ड में निवेश करने से पहले आपको कुछ पहलूओं को ध्यान में लेना चाहिए.
अपनी लिक्विडिटी की स्थिति को समझें
अधिकांश बॉन्ड 5 से 10 वर्षों के बीच की परिपक्वता अवधि के साथ आते हैं. यदि आप समय से पहले बॉन्ड बेचने जाते हैं तो आपको कम कीमत पर नुकसान हो सकता है. इस स्थिति से बचने के लिए आपको मैच्योरिटी पीरियड तक की अपनी तरलता की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए इसमें निवेश करना चाहिए.
डिमांड वाले बॉन्ड चुनें
यदि मैच्योरिटी अवधि से पहले बॉन्ड बेचना चाहते है तो ऐसे बॉन्ड को पसंद करना चाहिए जिसकी डिमांड अच्छी हो. अगर आपके बॉन्ड की डिमांड होगी तो आप आसानी से सेकेंडरी मार्केट में उसे बेच सकेंगे और अपनी लिक्विडिटी की जरूरत को पूरा कर सकेंगे.
जोखिम को पहचानें
बॉन्ड की रेटिंग से आपको उसकी विश्वसनीयता का उचित अनुमान लगाने में मदद मिलती है, लेकिन आपको यह समझने और विश्लेषण करने की आवश्यकता है कि आप कितना जोखिम उठा सकते हैं. आपको अपने निवेश की रणनीति बनानी चाहिए और अपने पोर्टफोलियो को संतुलित करना चाहिए. ऐसा करने से आप एक कदम आगे चल सकेंगे और ऐसे बॉन्ड में निवेश करने से बचेंगे जो निकट भविष्य में कीमत में कमी का सामना कर सकता है.
रिटर्न
बॉन्ड आपको लगभग 9% की यील्ड के साथ 8-11% से वार्षिक ब्याज दर की पेशकश कर रहे हैं. चूंकि यह बैंक डिपॉजिट पर दी जाने वाली ब्याज दर से अधिक है, इसलिए आप बॉन्ड में निवेश करने पर विचार कर सकते हैं. हालांकि, यह इतना रिटर्न सिर्फ कॉरपोरेट बॉन्ड में मिलता हैं, वहीं सरकारी बॉन्ड में इतना रिटर्न मिलना मुश्किल है. जहां रिटर्न ज्यादा होता है वहां रिस्क भी ज्यादा होता है, इसलिए आपको खुद की रिस्क लेने की क्षमता देखते हुए विचार करना चाहिए.
बॉन्ड जारीकर्ता की साख को पहचानें
बॉन्ड में निवेश करने के लिए सबसे जरूरी है जारीकर्ता की साख. यदि जारीकर्ता पेमेंट करने में या ब्याज चुकाने में डिफॉल्ट होता है तो आपकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं. आपको बॉन्ड सिलेक्शन के वक्त विभिन्न अधिकृत एजेंसियों से उस बॉन्ड के बारे में जानकारी प्राप्त करनी चाहिए. बॉन्ड इश्यू करने वाली कंपनी का पिछला रिकॉर्ड कैसा है और उसके प्रमोटर का इतिहास कैसा हे वह जानने की कोशिश करनी चाहिए.
बॉन्ड इश्यूअर की रेटिंग जितनी अच्छी होगी उतना ही उसके डिफॉल्ट होने के चान्स कम हो जाएंगे. बॉन्ड जारी करने वाली कंपनी किस उद्योग से संबंधित है यह पता करें. यदि उक्त उद्योग के लिए बाजार की अटकलें किसी न किसी पैच का संकेत देती हैं, तो संभावना है कि कंपनी डिफॉल्ट हो सकती है.
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