हमने कई बार एक्सपर्ट्स को फाइनेंशियल स्ट्रैटेजी को लेकर काफी कुछ कहते सुना होगा. लेकिन कई बार वो ऐसी सलाह देते हैं जिनका पालन करना काफी मुश्किल हो जाता है. या वो आपके इन्वेस्टमेंट के लिहाज से अच्छा नहीं होता है. एक निवेशक के तौर पर पर्सनल इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटेजी को तैयार करने के कई तरीके होते हैं. इन्वेस्टमेंट के हिसाब से सरप्लस को आवंटित करने और अपने खास फाइनेंशियल गोल्स और उद्देश्यों को आगे बढ़ाने के लिए पर्सनल इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटेजी तैयार की जा सकती है. यह किसी व्यक्ति के इन्वेस्टमेंट के तरीके में अनुशासन की ज्यादा भावना पैदा करता है. हालांकि, कई एक्सपर्ट्स का मानना है कि पर्सनल इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटेजी बनाने के लिए आपको क्वालिफाइड और अनुभवी फाइनेंशियल प्लानर की भी जरूरत होती है.
एमके वेल्थ मैनेजमेंट के रिसर्च हेड, जोसेफ थॉमस के मुताबिक एक पर्सनल इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटेजी किसी निवेश के सभी खास पहलुओं को और अधिक व्यापक रूप से शामिल करेगी. इसलिए एक एडवाइजर पर निर्भरता जिसके पास जरूरी ट्रैक रिकॉर्ड और अनुभव है, बेहद महत्वपूर्ण हो जाती है.
पर्सनल इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटेजी तैयार करने और भविष्य के लक्ष्य को हासिल करने के लिए हमें कुछ साधारण सी बातों के साथ शुरुआत करनी होगी, जिसे हम डू-इट-योरसेल्फ कहेंगे. आपको अपनी रिस्क लेने की क्षमता, मुनाफे और भविष्य के लक्ष्यों को ध्यान में रखकर पर्सनल इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटेजी को तैयार करना चाहिए.
Fintoo के संस्थापक मनीष पी. हिंगर के मुताबिक “DIY” पर्सनल इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटेजी की मदद से आप सलाहकार की फीस को बचा सकते हैं लेकिन छोटी रकम को बचाने के चक्कर में आप भविष्य में बड़ा नुकसान कर बैठेंगे. साथ ही अपनी निवेश की रणनीति बनाने के लिए आपको रिसर्च से लेकर प्लानिंग बनाने और उसे लागू करने से लेकर निगरानी तक, सब कुछ स्वयं करने की आवश्यकता होगी.
हिंगर ने आगे कहा कि आपके पास इन्वेस्टमेंट प्लानिंग के सभी पहलुओं का मैनेजमेंट करने के लिए जरूरी विशेषज्ञता और समय है, तो आप निश्चित रूप से इसे खुद कर सकते हैं. ध्यान देने की बात यह है कि जब बाजार में इन्वेस्टमेंट की बात आती है, तो शेयर बाजार में उपलब्ध अवसरों के आधार पर इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटेजी समय के साथ बदल सकती है.
PHD चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के कैपिटल मार्केट और कमोडिटी मार्केट के चेयरमैन विजय भूषण के मुताबिक व्यवसाय मॉडल में तेजी से बदलाव के कारण निवेश में आने वाली अड़चन का पूरी तरह से अनुमान लगाना संभव नहीं हो सकता है.
फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स इस बात से सहमत हैं कि निजी इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटेजी को बनाने में बड़ा नुकसान यह है कि एक बार एक स्ट्रैटेजी प्लानिंग तैयार हो जाने के बाद, आमतौर पर अक्सर समीक्षा करने और जरूरत पड़ने पर इसमें बदलाव करने पर इच्छा खत्म हो जाती है.
थॉमस के मुताबिक चारों तरफ क्या हो रहा है, इस पर ध्यान नहीं देना चाहिए और किसी भी विपरीत परिस्थितियों की जांच करते रहना चाहिए. यदि ऐसा नहीं किया जाता है, तो पोर्टफोलियो के परिणाम और प्रदर्शन का मन मुताबिक आना मुश्किल है.
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