Investment: आप 15-20 साल से नौकरी या बिजनेस कर रहे हैं. जीवन के इस पड़ाव में आपकी उम्र 37-50 साल के बीच हो सकती है.
आपके ऊपर अनेक जिम्मेदारियां होती है, तो आपको इंवेस्टमेंट (Investment) से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण निर्णय लेने चाहिए.
यदि आपने शुरुआत से निवेश औऱ बचत को गंभीरता से नहीं लिया है, तो इस उम्र में आपको बच्चों की एजुकेशन, उनकी शादी, आपके रिटायरमेंट जैसे टार्गेट पर फोकस करना चाहिए.
सर्टिफाइड फाइनेंशियल प्लानर महेश भट्ट बताते है, “वर्किंग लाइफ की शुरुआत के वर्षों के मुकाबले 15-20 साल बाद संभव है कि आपकी आय काफी ज्यादा होगी, लेकिन आपके खर्चे भी बढ़ चुके होंगे.
मिड-करियर में पहुंचे व्यक्ति की आय का बहुत बड़ा हिस्सा लोन का भुगतान करने में, बच्चों की शिक्षा के पीछे खर्च होता है. आपके मा-बाप भी रिटायर्ड हो चुके होते हैं और उन्हें संभालने का खर्च भी आपके कंधो पर होता है.
रिस्क, टार्गेट और आय की नींव पर फाइनेंस प्लानिंग करनी चाहिए. अच्छे से प्लानिंग करेंगे और अनुशासित तरीके से इंवेस्ट करेंगे, तो लंबे वक्त के सारे टार्गेट आसानी से हासिल कर सकेंगे.
1-अगर बच्चे 15-20 साल के हो जाते हैं और अगले 5-7 साल में उनके एजुकेशन में बड़ा खर्च होने की संभावना है. 3-5 साल का टार्गेट बनाकर हाइब्रीड फंड में निवेश कर सकते हैं.
क्योंकि इसमें लिमिटेड रिस्क होता है. यदि 3 साल से भी कम अवधि के लिए निवेश करना है, तो डेट फंड्स या एफडी में पैसे रख सकते हैं.
2- उम्र के इस पड़ाव में आपको रिटायरमेंट की चिंता सतानी शुरू कर देगी, जो 10 साल पहले नहीं सताती थी.
मान लीजिए, आप 40 साल के हैं और रिटायरमेंट के लिए 1 करोड़ रुपये (करन्ट प्राइस) जमा करना चाहते हैं, तो 5% महंगाई दर को गिनती में लेने के बाद 2.7 करोड़ रुपये का फंड इकट्ठा करना होगा.
यदि 10% रिटर्न मिलने वाले एसेट में निवेश करेंगे, तो भी इतना फंड जुटाने के लिए आपको हर माह 35,000 रुपये इंवेस्ट करना पड़ेगा. आप थोड़ा रिस्क लेकर इक्विटी फंड पसंद कर सकते हैं.
3-उम्र के इस वक्त में आपके कंधो पर सबसे बड़ी जिम्मेदारी लोन की होती है. यदि क्रेडिट कार्ड, पर्सनल लोन या कार लोन है, तो सबसे पहले ऐसे महंगे ऋण से छुटकारा पाएं.
होम लोन से टैक्स बेनिफिट मिलता है, इसलिए हो सके तो उसे चालू रखें, लेकिन अतिरिक्त कैश का उपयोग प्रि-पेमेंट के लिए करें.
4-अपने लिए पर्याप्त अमाउंट के इंश्योरेंस कवर खरीदें. टर्म प्लान आपकी मृत्यु के बाद आपके परिवार को संभालेगा.
वहीं हेल्थ इंश्योरेंस से आप किसी भी बीमारी या सर्जरी के खर्च को आसानी से निपटा सकेंगे. हेल्थ प्लान खरीदने से पहले मेडिकल कॉस्ट को ध्यान में रखें.
निजी कंपनी के कर्मचारी हैं और कंपनी हेल्थ इंश्योरेंस प्रदान कर रही है, फिर भी अलग से हेल्थ इंश्योरेंस खरीद लें.
5-उम्र के इस पड़ाव पर इमरजेंसी फंड रखना बेहद जरूरी है. इस समय में आपके पास कम से कम छह माह का खर्च निकले उतना फंड होना चाहिए, लेकिन आपको 12 माह को ध्यान में रख कर ही फंड इकट्ठा करना चाहिए.
इस फंड के लिए लिक्विड या सुरक्षित फिक्सड एसेट में निवेश करें.
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