Investment In Gold: अक्टूबर, 2021 में सोने की कीमत घटकर करीब 45,000 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गई है जो करीब एक साल पहले अगस्त से लगभग 11,000 रुपये प्रति 10 ग्रा. की गिरावट है. अगस्त 2020 में सोना 56,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया था. सोने की कीमतों में यह भारी उतार-चढ़ाव निवेशक को बड़ी अनिश्चितता में डाल देता है. जो लोग इस त्योहारी सीजन में सोने में निवेश करने की योजना बना रहे हैं, वो सोच रहे होंगे कि उन्हें सोने के किस रूप में निवेश करना चाहिए? अगर कोई निवेशक सोने में निवेश करना चाहता है तो उसके पास कई विकल्प मैजूद हैं – गोल्ड ईटीएफ, गोल्ड बॉन्ड, डिजिटल गोल्ड समेत कई रूप में. लेकिन हर तरह के सोने के निवेश के विकल्प में एक लागत जुड़ी हुई है। ये लागतें क्या हैं? Money9 आपको एक संक्षिप्त जानकारी दे रहा है.
आप धातु के रूप में भौतिक सोने को गहनों, बार, बिस्किट या सिक्कों के रूप में निवेश कर सकते हैं. इसमें निवेश की कोई सीमा नहीं है मगर आप जितना भी निवेश करेंगे उस पर 3 फीसदी जीएसटी लगेगी.
अगर आप गहने खरीद रहे हैं तो आपको डिजाइन और मेकिंग चार्ज भी देना होगा जो धातु सोने की कीमत का करीब 10 फीसदी होगा.
मगर कल होकर अगर आप इस गहने को बेचने जाएंगे तो भौतिक धातु के उस वक्त के मूल्य से 10 फीसदी कम पर सुनार आपसे सोना खरीदेगा.
आपका आभूषण कितना भी आकर्षक क्यों ना हो, आपने खरीदते वक्त जो डिजाइन और मेकिंग चार्ज दिया था वो बेचते वक्त नहीं मिलेगा.
भारतीय रिजर्व बैंक सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) जारी करता है. कोई भी इसे किसी भी कमर्शियल बैंक, स्टॉक होल्डिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया या डाकघरों से खरीद सकता है. आप अधिकतम आठ साल की अवधि के लिए एसजीबी अपने पास रख सकते हैं.
यह आपको सालाना 2.5 फीसदी का फिक्स्ड रिटर्न देगा. ये खरीदारी आभासी (वर्चुअल) होगी यानी केवल कागजों पर होगी. आपको सोना हाथ में नहीं मिलेगा.
यह आभासी खरीदारी या कागज की खरीदारी है. मियाद पूरी होने के बाद आपको हाथ में कोई भौतिक सोना नहीं मिलेगा. हालांकि इस पर कोई अतिरिक्त लागत या जीएसटी नहीं लगेगी.
आप अपनी क्षमता के मुताबिक गोल्ड ईटीएफ (एक्सचेंज ट्रेडेड फंड) में निवेश कर सकते हैं. इसकी कोई ऊपरी सीमा नहीं है. लेकिन कुल टर्नओवर मूल्य पर 0.003% का अतिरिक्त ट्रांजेक्शन चार्ज लगेगा. इसके अलावा ग्राहक से रऊपर से 18 फीसदी का ट्रांजैक्शन चार्ज और लिया जाता है.
इसके अलावा, सेबी हर 1 करोड़ रुपये के लेनदेन पर 10 रुपये का स्टांप शुल्क लेता है. हालांकि, ईटीएफ में इनपुट टैक्स क्रेडिट मिलती है.
यदि आप 36 महीने से कम समय में बेचते हैं, तो आप पर अल्पकालिक पूंजीगत लाभ (short term capital gains) लगता है। इनमें होने वाले लाभ पर आप पर लागू होने वाले स्लैब के मुताबिक इनकम टैक्स लगता है.
अगर आप 36 महीने या उससे अधिक समय तक ईटीएफ अपने पास रखते हैं तो आप पर दीर्घकालिक पूंजिगत लाभ (long-term capital gains) लगता है. इससे होने वाले लाभ पर कुल राशि का 20 फीसदी टैक्स और संबंधित सेस या उपकर लगाया जाता है.
आप फोनपे, पेटीएम या स्टॉक होल्डिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया या तनिष्क, कल्याण ज्वैलर्स जैसे किसी बड़े ज्वैलरी ब्रांड और कई वाणिज्यिक बैंकों से डिजिटल सोना भी खरीद सकते हैं. इसे SafeGold या MMTC-PAMP प्लेटफॉर्म के माध्यम से भी खरीदा जा सकता है.
कोई चाहे तो 10 रुपये या 100 रुपये का भी डिजिटल सोना खरीद सकता है और जब चाहे इसे बेच सकता है. हालांकि डिजिटल सोना अधिकतम पांच साल तक के लिए खरीदा जा सकता है. उसके बाद आपको इसे सिक्के या बार में बदलना होगा या इसे बेच देना होगा.
सेफगोल्ड प्लेटफॉर्म पर आप इसे दो साल तक बगैर किसी चार्ज के रख सकते हैं. उसके बाद हर 2 ग्राम सोने के लिए आपसे हर महीने कुल सोने के मूल्य का 0.05% शुल्क लिया जाएगा.
डिजिटल सोना खरीदने पर भी आपको भौतिक सोना खरीदने की तरह सोने की कुल कीमत पर 3% जीएसटी देनी होगी.
मार्केट रिसर्च फर्म YouGov के दिवाली स्पेंडिंग इंडेक्स के मुताबिक, 10 में से करीब तीन शहरों में रहने वाले भारतीय अगले तीन महीनों में सोना खरीदने की योजना बना रहे हैं.
रिसर्च के दौरान जबाव देने वाले 58% लोगों ने व्यक्तिगत या पारिवार के उपयोग के लिए भौतिक, डिजिटल या गोल्ड स्कीम के माध्यम से सोना खरीदने की योजना बना रहे हैं.
बाकी बचे 38 फीसदी लोग भी गोल्ड फंड या भौतिक सोना खरीद सकते हैं.
69 फीसदी सोना खरीदने वालों का मानना है कि दिवाली सोना खरीदने का सबसे सही वक्त होता है.
विशलिस्ट कैपिटल सर्विसेज के निदेशक नीलांजन डे के मुताबिक, “सोना निवेश का सबसे अच्छा माध्यम है. गोल्ड ईटीएफ और गोल्ड बॉन्ड निवेश के दो आकर्षक माध्यम हैं.
कुछ राज्यों में सोने के गहनों में निवेश करना सामाजिक रिवाज का हिस्सा है. सोने के गहनों में निवेश करने पर बेचते वक्त इसके मूल्य में भारी गिरावट का जोखिम रहता है.“
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