भारतीय बाजार में लगातार आ रही तेजी दुनियाभर के निवेशकों का ध्यान खींच रही है, क्योंकि भारत इस साल अब तक दुनिया में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाला मार्केट बन गया है, जिसमें 22% से ज्यादा की वृद्धि हुई है. यूनिक इन्वेस्टर अकाउंट खोलने के मामले में भारत ने आठ करोड़ का आंकड़ा पार कर लिया है. जिसमें से एक करोड़ अकाउंट तो पिछले 107 दिनों में खोले गए हैं. वैक्सीनेशन का बढ़ना और मार्केट का रिकॉर्ड स्तर रहना, बाजार में आ रहे सुधार की ओर इशारा कर रहा है. वहीं लिक्विडिटी के ग्लोबल फ्लो के साथ ही भारतीय इक्विटी बाजार पिछले 18 महीनों की अवधि में उछाल पर रहा है.
सेंसेक्स पहली बार 60,000 के ऊपर बंद हुआ है. ऐसा लगता है कि तेजी से बढ़ते वैल्यूएशन और ग्लोबल लिक्विडिटी के दूर होने की चिंताओं के बावजूद बुल मार्केट को रोकने वाला कुछ भी नहीं है. ग्लोबल वेल्थ मैनेजमेंट फर्म क्रेडिट सुइस का मानना है कि बाजार के बेहतर फंडामेंटल को देखते हुए भारतीय इक्विटी के लिए प्रीमियम जारी रहने की उम्मीद है.
हालांकि पारंपरिक ज्ञान बताता है कि जैसे ही उत्साह बढ़ता है, निवेशकों की बाजार में एंट्री बढ़ जाती है. बाजार में एंट्री करते समय और ज्यादा सावधान रहने की जरूरत होती है. साथ ही जिस भी कंपनी में आप इन्वेस्ट करने की योजना बना रहे हैं उन कंपनियों की डिटेल, उनके काम करने के तरीके और साधन को समझना आपके लिए जरूरी है.
इसके अलावा, निवेशकों को यह भी समझने की जरूरत है कि उन्हें अपने पोर्टफोलियो में बीटा को कम करने की आवश्यकता है. छोटे और मिडकैप शेयरों के निवेश में कटौती करके, लार्ज कैप कंपनियों को अपने पोर्टफोलियो में जोड़ना चाहिए. .
इसके अलावा निवेशकों को किसी की टिप्स या फिर किसी भी प्रकार की अफवाह के आधार पर शेयरों में निवेश नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे उनका बड़ा नुकसान होने की संभावना बढ़ जाती है. निवेशकों को अपना होमवर्क बढ़ाना चाहिए और केवल उन शेयरों में निवेश करना चाहिए जहां वे बिजनेस को समझते हैं और जो बाजार में बड़ी हिस्सेदारी रखते हैं. सम्मानजनक प्रमोटर के साथ ही जो ग्रोथ के पर्याप्त अवसर उपलब्ध कराते हैं.