Invest In Real Estate: भारतीय रियल स्टेट मार्केट में लंबी सुस्ती के बाद अब डिमांड और ग्रोथ देखने को मिल रही है. कोरोना महामारी के बाद ज्यादातर मार्केट में तेज कारोबार देखने को मिल रहा है. घरेलू ग्राहकों के अलावा गैर-प्रवासी भारतीयों में भी भारत में संपत्ति खरीदने को लेकर अच्छा रुझान दिखाई दे रहा है. इससे बाजार को और मजबूती प्रदान कर रहा है. “NRIs हमेशा भारत में निवेश करते हैं लेकिन वो ज्यादातर निवेश या किराए के मकसद से होता है. हालांकि जब कोरोना महामारी आई और लोग एक दूसरे से अलग रहने के लिए मजबूर हुए तो उन्हें भविष्य के लिए एक अलग आवासीय संपत्ति होने का अहसास हुआ. स्टेरलिंग डेवलपर्स की मार्केटिंग डायरेक्टर अंजना शास्त्री के मुताबिक NRI को लग रहा है कि अभी इस वक्त प्रॉपर्टी खरीदने का बेस्ट टाइम है क्योंकि होम लोन ब्याज दर अपने सबसे निचले दर पर है.
स्क्वायर यार्ड्स के को-फाउंडर और हेड ऑफ सेल्स अनुपम रस्तोगी के मुताबिक अमेरिका में रहने वाले एनआरआई की तरफ से सबसे ज्यादा मांग आ रही है. इसके बाद सबसे ज्यादा मांग GCC और यूके जैसे देशों से आ रही है.
उनके मुताबिक प्रॉपर्टी के मामले में निवेशकों की पहली पसंद बेंगलुरु है. रस्तोरी के मुताबिक “बेंगलुरु, पुणे, हैदराबाद, चेन्नई, MMR और दिल्ली एनसीआर उन बाजारों में सबसे ऊपर हैं, जो एनआरआई लोगों की पसंदीदा लिस्ट में सबसे ऊपर हैं.
उन्हें इन इलाकों में निवेश करने पर सबसे ज्यादा फायदा नजर आ रहा है. टियर II और III शहरों की बात करें तो उनमें चंडीगढ़, अहमदाबाद, लखनऊ, कोच्चि और दूसरे शहरों के नाम सबसे ऊपर हैं”
एनआरआई निवेश के लिए रेडी टू मूव इन प्रॉपर्टी और लग्जरी सेगमेंट में सबसे ज्यादा उम्मीदें तलाश रहे हैं. रस्तोगी ने कहा कि “एनआरआई 70 लाख से लेकर 2 करोड़ रुपए तक और उससे ऊपर की रेडी टू मूव इन प्रॉपर्टी में सबसे ज्यादा सेल देख रहे हैं.
रेरा के आने के बाद से प्रॉपर्टी मार्केट में रियल स्टेट में पारदर्शिता की उम्मीद बढ़ गई है, इसके चलते भी एनआरआई का भारतीय रियल स्टेट सेक्टर में निवेश के मकसद से रुझान देखने को मिल रहा है.
द बेनेट एंड बर्नाड कंपनी के चेयरमैन और फाउंडर लिंकन बेनेट रॉड्रिक्स के मुताबिक लग्जरी सेगमेंट में एनआरआई निवेशकों का अच्छा रुझान देखने को मिल रहा है.
“एनआरआई के कारण है, लग्जरी हाउसिंग में डिमांड देखने को मिल रही है. इस बढ़ती डिमांड रे पीछे का कारण हाथ में अतिरिक्त पैसों का आना और बेहतर जिंदगी बिताने की चाहत है.”
एनआरआई व्यक्ति के लिए भारत में प्रॉपर्टी खरीदना बेहद आसान है. रॉड्रिक्स के मुताबिक “एनआरआई के रूप में भारतीय बाजारों में निवेश करना कोई बोझिल काम नहीं है क्योंकि अब प्रोसेस ऑनलाइन मोड में होने के चलते काम आसान हो जाता है.
इससे निवेशकों को लेन-देन में बहुत आसानी होती है, भले ही वे सीमाओं के पार हों.”
टेक्नोलॉजी के चलते डील को फाइनल होने में काफी कम समय लगता है. शास्त्री के मुताबिक “कोविड -19 महामारी ने सभी एरिया में डिजिटलीकरण को गति दी है और रियल एस्टेट भी इससे अछूता नहीं रह गया है.
डेवलपर्स अब उन्नत तकनीक जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, वर्चुअल रियल्टी और ऑग्यूमेंटेड रियल्टी का लाभ उठा रहे हैं ताकि ग्राहक के अच्छे अनुभव को बढ़ावा दिया जा सके और सेल्स को को बढ़ाया जा सके.”
विदेश से किसी सौदे पर बातचीत करना कई लोगों के लिए कठिन हो सकता है. हालांकि, खरीदारों को डील फाइनल करने से पहले अपनी रिसर्च अच्छे से कर लेनी चाहिए और प्रोफेशनल व्यक्ति की मदद करनी चाहिए.
रस्तोगी के मुताबिक “भारत में संपत्ति निवेश करने के इच्छुक एनआरआई भारतीयों को फाइनेंशियल लैंडस्केप के बारे में एक अंदाजा होना चाहिए.
उन्हें अलग अलग तरह की संपत्तियों के बारे में व्यापक रिसर्च करनी चाहिए और सौदे पर हस्ताक्षर करने से पहले एक वकील द्वारा वेरिफाइड किए गए लोन अमाउंट सर्टिफिकेट सहित कागजात लेने चाहिए”.
एनआरआई भारतीयों को सावधान रहना चाहिए कि वे विदेशी मुद्रा नियमों का उल्लंघन न करें. रॉड्रिक्स ने बताया कि “एक प्रॉपर्टी खरीदने वाले एनआरआई को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि निवेश विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) और भारतीय रिजर्व बैंक के नियमों का उल्लंघन नहीं करता है.
एक एनआरआई को भारत में संपत्ति खरीदने से पहले उससे जुड़े टैक्सेशन के बारे में भी सही जानकारी होनी चाहिए.
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