इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस ने सिक्योर्ड और अनसिक्योर्ड नॉन-कनवर्टिबल डिबेंचर (NCD) इश्यू करने की घोषणा की है. सालाना इसपर 8.05 से 9.75 प्रतिशत तक रिटर्न का ऑफर है. NCD की 10 सीरीज होंगी. तय ब्याज दर पर इसकी अवधि 24 से 87 महीने होगी.
इससे सालाना, मासिक और क्यूमुलेटिव यील्ड के विकल्प जुड़े होंगे. इश्यू का पहला हिस्सा 6 सितंबर को खुलकर 20 सितंबर को बंद होगा.
तीसरी (high net-worth individual – HNI) और चौथी (रिटेल) श्रेणी के निवेशकों को अधिकतम 0.25 प्रति सालाना का अतिरिक्त इंसेंटिव भी दिया जाएगा. इंडियाबुल्स हाउसिंग ने बताया इसमें वे निवेशक शामिल होंगे जिन्होंने या तो कंपनी के पुराने NCD/बॉन्ड खरीदे होंगे, या इक्विटी शेयरहोल्डर हैं.
NCD की फेस वैल्यू हजार रुपये होगी. यानी, पूरे इश्यू का साइज 200 करोड़ रुपये होगा. इसमें अन्य 800 करोड़ रुपये शामिल करने का विकल्प मौजूद है, जिसके बाद कुल आकार हजार करोड़ रुपये का हो जाएगा.
NCD दो तरह के होते हैं – सिक्योर्ड और अनसिक्योर्ड. सुरक्षित NCD में लिक्विडेशन के दौरान फायदा मिलता है. मगर इनका रेट ऑफ इंटरेस्ट असुरक्षित NCD से कम होता है. NCD वो निवेश विकल्प होते हैं, जिन्हें मैच्योरिटी के समय इक्विटी शेयर में परिवर्तित नहीं किया जा सकता. फिक्स्ड डिपॉजिट की तुलना में इनका इंटरेस्ट रेट आमतौर पर अधिक होता है.
इश्यू के जरिए जुटाए जाने वाले पैसों में से कम से कम 75 फीसदी का इस्तेमाल लेंडिंग, फाइनेंसिग और कंपनी की मौजूदा देनदारी खत्म करने के लिए किया जाएगा. बची हुए फंड को आम कॉरपोरेट कामकाज में लगाया जाएगा.
रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने इश्यू को AA/स्टेबल रेट किया है. वहीं, ब्रिकवर्क रेटिंग्स ने इसे BWR AA+/नेगेटिव रेट किया है.
NCD को NSE और BSE, दोनों एक्सचेंज पर लिस्ट किया जाएगा. यहां इनकी ट्रेडिंग हो सकती है, मगर आमतौर पर NCD की लिक्विडिटी कम होती है.
NCD को अगर सालभर के अंदर बेच दिया जाएगा, तो इसपर शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगेगा. इसे मार्जिनल टैक्स रेट के हिसाब से लगाया जाता है. अगर सालभर बाद बिक्री की गई, तो 20 प्रतिशत का लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगेगा.
एक्सपर्ट्स का सुझाव है कि इस तरह के निवेश के लिए क्रेडिट रिस्क म्यूचुअल फंड में डायवर्सिफाई करने पर विचार किया जा सकता है. ये लो-क्रेडिट क्वॉलिटी वाली डेट सिक्योरिटी में पैसे लगाते हैं. अधिक जोखिम लेने की स्थिति में जो निवेशक हैं, वे रिटर्न के लिहाज से सिक्योर्ड हिस्से में निवेश कर सकते हैं. हाई-रिस्क वाले ऐसे निवेश विकल्पों में पैसे लगाते समय पूरी सतर्कता बरतनी चाहिए.
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