Importance of AUM in Mutual Fund Selection: बहुत से निवेशक ऐसा मानते हैं कि म्यूचुअल फंड का एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) महत्वपूर्ण होता है. ऐसे निवेशक म्यूचुअल फंड को चुनने से पहले AUM को अधिक महत्व देते हैं, लेकिन इस बात के पीछे कोई तर्क नहीं है कि कोई फंड सिर्फ इस वजह से बेहतर हो सकता है कि उसका AUM अधिक है. अगर किसी छोटे फंड का ट्रैक रिकॉर्ड बहुत अच्छा है, तो उसी टाइप के बड़े फंड की तुलना में उसे चुनना निवेश के लिहाज से समझदारी का फैसला है. निवेशकों को बड़ा है तो बेहतर है की रणनीति पर नहीं चलना चाहिए.
एसेट्स अंडर मैनेजमेंट (AUM) या फंड साइज मौजूदा बाजार में म्यूचुअल फंड द्वारा रखी गई पूंजी का समग्र मूल्य है. AUM का तात्पर्य उन परिसंपत्तियों के कुल बाजार मूल्य से है जो म्यूचुअल फंड द्वारा प्रबंधित की जा रही हैं. इन परिसंपत्तियों का प्रबंधन फंड मैनेजर नामक एक विशेषज्ञ द्वारा किया जाता है जो निवेशक की ओर से म्यूचुअल फंड के संबंध में सभी महत्वपूर्ण निर्णय लेता है. AUM एक म्यूचुअल फंड की लोकप्रियता को मापने के लिए एक उत्कृष्ट स्रोत है.
छोटे फंड की तुलना में बड़े फंड तुलनात्मक रूप से बेहतर प्रदर्शन करते रहे हैं. यह ट्रेंड हालाँकि बहुत छोटा है. असल में कई ऐसे बड़े फंड हैं, जो बिल्कुल अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रहे हैं और कई छोटे फंड बेहतरीन प्रदर्शन कर रहे हैं. यह वास्तव में एक भ्रम है जो बड़े फंड के वितरक द्वारा फैलाया गया है. इससे उन्हें किसी फंड को प्रमोट करने में आसानी होती है.
क्या फंड की साइज का कोई महत्व नहीं है? महत्व है और उस वजह से काफी फर्क भी पड़ता है. मसलन इक्विटी फंड के लिए बड़ा आकार कई बार नुकसान का सौदा हो सकता है. स्मॉल और मिड कैप पर फोकस करने वाले फंड के लिए यह चुनना मुश्किल हो सकता है कि वे कहां निवेश करें? ऐसे में शेयर बाजार की कमजोरी के दौर में ये फंड ज्यादा गिरावट का शिकार हो सकते हैं और उस वजह से उनकी वैल्यू में काफी कमी आ सकती है. छोटी कंपनियों में निवेश से उतार-चढ़ाव दोनों का सामना करना पड़ सकता है और इससे फंड के आकार का खास संबंध नहीं है.
इक्विटी फंडः यदि इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश करना हैं तो एयूएम का महत्व ज्यादा नहीं हैं. इसमें आपको यह देखना चाहिए कि, बाजार में उतार-चढ़ाव के दौरान म्यूचुअल फंड कितना अच्छा प्रदर्शन करता है.
डेट फंडः डेट म्यूचुअल फंड निवेशकों को रिटर्न और डिविडेंड देने के लिए अपने AUM पर अत्यधिक भरोसा करते हैं. जिस डेट म्युचुअल फंड का AUM बडा है, वह अपने निवेशकों के बीच फिक्स्ड फंड खर्चों को वितरित करने की बेहतर स्थिति में है.
आपको निवेश के वक्त फंड का ट्रैक रिकॉर्ड और अच्छी रेटिंग पर ध्यान देने की जरूरत है और कुछ नहीं. आपको पिछले 3, 5 और 10 साल का ट्रैक रिकॉर्ड देखना चाहिए. आपको पता करना चाहिए कि, बाजार में भारी गीरावट के वक्त जब सभी फंड ने नेगेटिव रिटर्न दिया था तब आपके फंड का प्रदर्शन कैसा रहा था. अगर आपका फंड छोटा हैं, लेकिन उसने नेगेटिव माहौल में अच्छा प्रदर्शन किया हैं तो बडे AUM वाले फंड के मुकाबले यह बेहतर है.
फंड के प्रदर्शन में प्रमुख योगदान फंड मैनेजर का कौशल सेट है जो म्यूचुअल फंड में प्रवेश करने या बाहर निकलने के सही समय पर सही निर्णय लेने के द्वारा फंड का प्रबंधन करता है. एक फंड मैनेजर एक विशेषज्ञ होता है जो अपनी क्षमताओं के साथ फंड चलाता है और बाजार में उतार-चढ़ाव होने पर भी सराहनीय रिटर्न उत्पन्न करने का प्रबंधन करता है.
एक निवेशक के रूप में आपको सिर्फ आकार के हिसाब से फैलाये जा रहे भ्रम में नहीं पड़ना चाहिए. जिस फंड का ऐतिहासिक प्रदर्शन बढ़िया है, वह निवेशकों से अधिक पैसे जुटाने में सफल होता है और इस वजह से उसका AUM बढ़ जाता है. इस पैसे को बढ़ने में काफी समय लगता है.
निवेशकों को केवल AUM पर निर्भर रहने की बजाय कई अन्य कारकों को ध्यान में रखना चाहिए जो म्यूचुअल फंड के प्रदर्शन पर अधिक प्रभाव डालते हैं.
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