अपार्टमेंट या विला खरीदना एक आम बात है. हालांकि, कई खरीदार प्लॉट खरीदकर अपना घर बनाना या इसे सिर्फ निवेश के रूप में खरीदना पसंद करते हैं. अंडर कंस्ट्रक्शन या रेडी-टू-मूव घर खरीदने की तुलना में प्लॉट खरीदने के बहुत सारे एंगल हैं.
लोन की उपलब्धता, टाइटल और रजिस्ट्रेशन जैसे कई मुद्दे हैं, जिन्हें प्लॉट खरीदने से पहले समझना होगा. यहां प्लॉट खरीदने के कुछ पॉजिटिव और निगेटिव पहलू दिए गए हैं और साथ ही वो बातें जो फैसला लेते समय आपको ध्यान में रखनी चाहिए.
यदि आप प्लॉट खरीदते हैं तो अपनी पसंद के मुताबिक घर बनाने के लिए खुद कंसल्टेंट और आर्किटेक्ट को हायर कर सकते हैं. स्क्वायर यार्ड्स के प्रिंसिपल पार्टनर और बिजनेस डेवलपमेंट हेड, इंद्रजीत सिद्धांत ने कहा, ‘प्लॉट ओनर के पास फ्लेक्सिबिलिटी होती है कि वो अपना घर अपनी पसंद के मुताबिक और जितने समय में बनाना चाहे, बना सकते हैं.’
प्लॉट को आपके अटेंशन की ज्यादा जरूरत नहीं होती है. सिद्धांत ने कहा, ‘ऐसे एसेट का मेंटेनेंस कॉस्ट बहुत ही कम है और प्लॉट का प्रॉपर्टी टैक्स भी रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी की तुलना में कम है.’
प्लॉट खरीदने के लिए लोन लेना, अपार्टमेंट या विला खरीदने के लिए लोन लेने जितना आसान नहीं है. सिद्धांत ने कहा, ‘रेजिडेंशियल लैंड में निवेश के लिए लैंड लोन के माध्यम से कोई उधार ले सकता है. हालांकि, उधार बहुत सीमित होता है और केवल स्पेसिफिक टाइप के लैंड पर ही मिलता है. यदि किसी डेवलपमेंट अथॉरिटी द्वारा लैंड अलॉट की जाती है, तभी लेंडर आपके लिए लोन अरेंज करेंगे. साथ ही, लैंड रेजिडेंशियल होना चाहिए और किसी गांव या इंडस्ट्रीयल एरिया में नहीं होनी चाहिए. इसके अलावा, कुछ बैंक लोन के लिए कंडीशन लगाते हैं, जहां वे आपसे प्रॉपर्टी की खरीद के कुछ महीनों के भीतर घर का निर्माण शुरू करने के लिए कह सकते हैं.’
सभी प्रॉपर्टी परचेज की तरह, लोकेशन एक महत्वपूर्ण फैक्टर है. चाहे आप खुद का घर बनाने का फैसला करें या मुनाफा कमाने के लिए इसे बाद में बेचने की योजना बना रहे हों. अच्छा इंफ्रास्ट्रक्चर और अच्छे स्कूलों और अस्पतालों से इसकी नजदीकी लैंड की कीमत में इजाफा करेगी. एरिया को शहर या कस्बे के मुख्य इलाकों से अच्छी तरह जुड़ा होना चाहिए.
इससे पहले कि आप प्लॉट खरीदें, आपको बहुत सारा बैकग्राउंड चेक करना चाहिए. इसमें यह चेक करना भी शामिल है कि क्या प्रॉपर्टी सभी तरह के चार्ज से फ्री है.
सिद्धांत ने सलाह दी, ‘प्लॉट खरीदने से पहले प्लॉट का बिल्टअप एरिया, टोपोग्राफी, क्षेत्र की मिट्टी की संरचना और इसकी कीमत बढ़ने की क्षमता की जांच करें. इसके अलावा, यह जांचना चाहिए कि प्रॉपर्टी मुकदमेबाजी या अन्य भूमि संबंधी मुद्दों में उलझी न हो. बेचने वाले का नाम सही है और जमीन बेचने का पूरा अधिकार उसके पास है या नहीं. अंत में, डेवलपमेंट अथॉरिटी और लोकल बॉडी से लैंड के जरूरी अप्रूवल चेक करें.’
हो सकता है कि आप लॉ और रेगुलेशन से परिचित न हों. फैक्ट-चेक करने के लिए एक्सपर्ट की मदद लेनी चाहिए.
सिद्धांत ने कहा, ‘यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बेचने वाले के पास लैंड की अनडिस्प्यूटेड ओनरशिप (निर्विवाद स्वामित्व) है और उसे वेरीफाई करने के लिए ओरिजिनल टाइटल डीड की मांग करें. कोई भी राज्य सरकार की लैंड रजिस्ट्रेशन वेबसाइट पर जाकर उस टाइटल को सर्च कर सकता है, और यदि जरूरी हो तो किसी वकील से कंसल्ट करें. टाइटल डीड के अलावा, सुनिश्चित करें कि पूरा डॉक्युमेंटेशन प्रोसेस ट्रांसपेरेंट हो और ओरीजनल बिल और टैक्स रिसीप्ट आपको दी गई हों. अंत में, एक सर्वेक्षक और लैंड के FSI द्वारा प्लॉट के डायमेंशन को चेक करवाएं.’
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