शेयर बाजार के नए हाई पर पहुंचने पर ज्यादातर निवेशकों ने प्रॉफिट बुकिंग शुरू कर दी है, जिसके परिणामस्वरूप जुलाई 2021 की तुलना में अगस्त 2021 में इक्विटी का इनफ्लो कम हो गया है. क्योंकि यह रैली काफी लम्बे समय से चल रही है, इसीलिए निवेशकों को एक करेक्शन आने की उम्मीद है, जिसके कारण वह अब लगातार प्रॉफिट बुकिंग कर रहे हैं. एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) के आंकड़ों से पता चलता है कि इक्विटी म्यूचुअल फंड में अगस्त में 8,666.68 करोड़ रुपये का इनफ्लो रहा है. जबकि जुलाई में 22,583.52 करोड़ रुपये का इनफ्लो हुआ था.
इसके अलावा फंड फोलियो पर मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज की हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि अगस्त 2021 में टॉप 20 AMC के लिए कुल इक्विटी मूल्य में महीने-दर-महीने 6.3% की वृद्धि हुई. टॉप 10 फंडों में एक्सिस म्यूचुअल में हाईएस्ट एमओएम (MoM) देखा गया है. आंकड़ों की मानें तो एक्सिस म्यूचुअल में हाईएस्ट (11%), एसबीआई म्यूचुअल फंड में (10.1%), यूटीआई म्यूचुअल फंड में (8.7%), मिराए एसेट म्यूचुअल फंड में (6.7%), और आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल म्यूचुअल फंड में (6.4%) का एमओएम (MoM) हुआ है.
वैल्यू रिसर्च डेटा के मुताबिक ईएलएसएस (ELSS) फंड की बात करें तो इस फंड ने 14 सितंबर 2021 तक एक, तीन और पांच वर्षों में क्रमश: 56.64%, 15.64% और 14.74% का रिटर्न दिया है. स्क्रिपबॉक्स के को फॉउंडर और चीफ बिज़नेस ऑफीसर प्रतीक मेहता के मुताबिक औसतन पिछले 10 सालों में फंड ने 11.3 फीसदी का रिटर्न दिया है. यह रिटर्न इन्फ्लेशन से बहुत ज्यादा है. साथ ही बाजार के अन्य विकल्पों से भी बेहतर है. (ईएलएसएस (ELSS) रिटर्न की तालिका देखें)
क्योंकि ELSS सीधे इक्विटी बाजारों से जुड़े होते हैं. इसीलिए इनका रिटर्न बाजार की चाल पर निर्भर करता है. शॉर्ट-टर्म में बाजार में उतार-चढ़ाव होता रहता है. इसीलिए इक्विटी बाजारों में निवेश करते समय इस प्रकार के उतार-चढ़ाव की उम्मीद की जा सकती है.
प्रतीक मेहता के मुताबिक निवेश के फैसले बाजार के समय पर आधारित नहीं होने चाहिए और ईएलएसएस (ELSS) निवेश को शॉर्ट-टर्म दृष्टिकोण से नहीं देखा जाना चाहिए. भले ही ईएलएसएस (ELSS) निवेश में आमतौर पर तीन साल का न्यूनतम लॉक-इन पीरियड होता है. फिर भी इन निवेशों को अपने दीर्घकालिक लक्ष्यों से जोड़ना फायदेमंद होता है. अपने निवेश के समय को लंबा रखें और अनुकूल परिणाम प्राप्त करने के लिए धैर्य बनाए रखें.
प्रतीक मेहता का यह भी कहना है कि अपने निवेश को SIP (सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान ) के माध्यम से पूरे वर्ष समान रूप से करना बेहतर होता है, न कि शॉर्ट-टर्म बाजार के उतार-चढ़ाव के प्रभाव से बचने के लिए एक ही बार में सारा निवेश कर दिया जाय. यह बाजार के उतार-चढ़ाव के आधार पर रिस्क को कम करने में भी मदद करता है. क्योंकि ये उच्च भविष्य की अपेक्षाओं को दर्शाते हैं.
फिंटू के संस्थापक मनीष पी हिंगर के मुताबिक यदि आप एक बार में एकमुश्त राशि का निवेश कर रहे हैं, तो आपको 3 साल के बाद आपका निवेश और ब्याज मिलेगा. लेकिन यदि आप एसआईपी प्रारूप में निवेश कर रहे हैं, तो आपको यह याद रखना चाहिए कि आपकी प्रत्येक मासिक एसआईपी किस्त तीन साल के लिए लॉक-इन हो जाती है.
क्योंकि बाजार अभी अपने आल टाइम हाई के लेवल पर आ गए हैं. बाजार की आगे की दिशा का अनुमान लगा पाना अभी मुश्किल है. इसलिए बाजार को समय देने का प्रयास करने के बजाय फाइनेंशियल एडवाइजर आपको सलाह देते हैं कि आप अभी निवेश करें और अपना शेष समय एसेट्स तैयार करने में लगाये.
हिंगर का यह भी कहना है की अगर आपको निवेश करना है तो यह सही समय है. वरना बाजार में उतार-चढ़ाव के आधार पर निवेश करने के सही अवसर की प्रतीक्षा करने से आपके लिए निवेश शुरू करने के लिए सबसे अच्छे समय की पहचान करना बेहद मुश्किल हो जाएगा और आपके निवेश में अनावश्यक रूप से देरी होगी.
कोरोना महामारी ने निवेशकों को कई फंडामेंटल इन्वेस्टमेंट सिद्धांतों के मूल्य से अवगत कराया है. जैसे कि बाजार को समय देने का प्रयास नहीं करना और एसेट एलोकेशन करते रहना चाहिए. कोरोना ने निवेशकों को निवेश निर्णयों से इमोशंस को दूर करने, साथ ही उन्हें मजबूत बुनियादी बातों और उनके जोखिम प्रोफाइल के आधार पर सही निर्णंय लेने की सीख दी है.
निवेशकों को टैक्स सेविंग का लाभ उठाने के लिए कम से कम तीन साल के समय के साथ निवेश करना चाहिए. इसके अतिरिक्त, यह एक ऐसा प्रोडक्ट है जिसके लिए सेबी ने मार्केट कैपिटलाइजेशन के आधार पर कोई एलोकेशन लिमिट नहीं लगाई है (जैसा कि मल्टी-कैप फंडों के लिए किया गया है), जो फंड मैनेजमेंट को कई मार्केट कैपिटलाइजेशन वाले शेयरों में निवेश करने की अनुमति देता है.
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