अधिकांश भारतीय माता-पिता अपने बच्चों के लिए हायर एजूकेशन का ख्वाब देखते हैं. कोई भी मां-बाप इससे समझौता नहीं करना चाहते. लेकिन प्राइमरी और सेकेंडरी एजुकेशन महंगी होने चलते वो बच्चों की हायर एजुकेशन के लिए उतनी सेविंग (fund) नहीं कर पाते. वो अपने बच्चों के लिए जितना हो सकता है बचत करते हैं लेकिन कई बार वो पर्याप्त नहीं होती. कोविड -19 महामारी ने कई माता पिता की मुश्किलें और बढ़ा दीं हैं. इन बिगडे हालातों ने कई बच्चों को विदेश में उच्च शिक्षा के लिए अपनी फीस मैनेज करने के लिए क्राउडफंडिंग पर निर्भर रहने के लिए मजबूर किया. जिसमें कुछ सफल हुए कुछ नहीं. इन्वेस्टोग्राफी की फाउंडर और फाइनेंशियल प्लानर श्वेता जैन ने कहा "मुझे लगता है कि हम भूल रहे हैं कि पैसों को आसानी से बढ़ाया जा सकता है. क्योंकि यह 17 से 18 साल का लॉन्ग टर्म गोल है जिसमें एक रकम को काफी बढ़ा किया जा सकता है. लेकिन हम इंश्योरेंस और FD से ही चिपके रहते हैं, जिससे पोर्टफोलियो की ग्रोथ सीमित हो जाती है” एक इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो सेट करने से पहले, हमेशा अपने फाइनेंशियल गोल्स को शॉर्ट, मिड और लॉन्ग टर्म कैटेगरी में बांटे. अपने रिस्क उठाने की क्षमता के अनुसार इक्विटी और डेट फंड में निवेश करें. सही पोर्टफोलियो जहां अच्छा रिटर्न देगा वहीं कैपिटल को सुरक्षित रखेगा. MyMoneyMantra.com के फाउंडर राज खोसला ने कहा “बच्चों की शिक्षा के लिए एक अलग फंड लेना बेहतर होगा. जल्दी निवेश शुरू करना सबसे अच्छा है, ताकि आप समय पर एक बड़ा और पर्याप्त कॉर्पस जुटा पाए. लंबी अवधि के लक्ष्यों के लिए इक्विटी ओरिएंटेड फंड चुनें. काफी सारे इन्वेस्टमेंट के ऑपशन हैं जैसे इक्विटी म्यूचुअल फंड, बीमा कंपनियों द्वारा चाइल्ड यूलिप प्लान और ब्लूचिप कंपनियों में डायरेक्ट इक्विटी निवेश” म्यूचुअल फंड में निवेश जैसे ही आपके बच्चा हो, आपको प्राइमरी, सेकेंडरी और हायर एजुकेशन के लिए निवेश योजना शुरू कर देनी चाहिए. भले ही आज आप छोटी शुरुआत करें, भविष्य में आपकी इनकम बढ़ने पर आप निवेश बढ़ा सकते हैं. बच्चे के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए कुछ जरूरी निवेश विकल्पों में मिक्स और डायवर्सिफाइड म्यूचुअल फंडों में सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) के माध्यम से लगातार निवेश शामिल है. जैन ने सलाह दी "हायर एजूकेशन फंड के लिए डायवर्सिफाइड म्यूचुअल फंड स्कीमों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए. एक SIP शुरू करें, बच्चे को उपहार या जन्मदिन पर मिले पैसों को एकमुश्त जमा करें. म्यूचुअल फंड में नियमित निवेश से थोड़े समय बाद ही आपको पोर्टफोलियो के आकार में बहुत बड़ा अंतर दिखाई देने लगेगा” खासकर उच्च शिक्षा के लिए, आपको संबंधित कोर्स की वर्तमान फीस और संबद्ध खर्चों के आधार पर लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए और उस पर सालाना महंगाई का 10% -12% जोड़ना चाहिए. साथ ही, खोसला ने कहा- अपने हर बच्चे की उच्च शिक्षा के लिए किए जा रहे इन्वेस्टमेंट को अलग-अलग रखें. जैन ने कहा “ इक्विटी और डेट म्यूचुअल फंड में निवेश करें. अपने गोल की अवधि के करीब आने पर अपने रिस्क को कम करने के लिए इक्विटी से डेट में शिफ्ट करें. गोल के पूरा होने के 3 साल पहले ये करना ठीक होगा” उदाहरण के लिए, 15 साल के लिए 10,000 रुपये के SIP से 66 लाख रुपये और 20 साल बाद 1.5 करोड़ रुपये 15% सालाना रिटर्न पर मिलेंगे. लंबी अवधि के निवेश काफी फायदेमंद होते हैं. आप न्यूनतम और लगातार मंथली इन्वेस्टमेंट के जरिए भी अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं. इस निवेश के कुछ नुकसान भी हैं. मार्केट से जुड़ी इन्वेस्टमेंट स्कीम में वोलैटिलिटी चिंता का सबसे बड़ा विषय है. रिटर्न की गारंटी नहीं है और न पूंजी की सुरक्षा. इसलिए, म्यूचुअल फंड निवेश को केवल लंबी अवधि के लिए ही किया जाना चाहिए. चाइल्ड इंश्योरेंस और दूसरी योजनाएं पारंपरिक (ट्रेडिशनल) बीमा योजनाएं महंगाई को ध्यान में नहीं रखती हैं, और रिटर्न की गारंटी देती हैं लेकिन रिटर्न ज्यादा नहीं होता. यूलिप हालांकि बाजार से जुड़े इंश्योरेंस प्रोडक्ट हैं और हाई रिटर्न, टैक्स बेनिफिट और एडीशनल लाइफ इंश्योरेंस कवर जैसे फायदे देते हैं. जैन ने कहा "एक टर्म पॉलिसी का इस्तेमाल करके आप अपने लक्ष्य को सुरक्षित रख सकते है, क्योंकि भारत में एजुकेशन इन्फ्लेशन ज्यादा है करीब 10%. इसके अलावा, मुझे नहीं लगता कि इंश्योरेंस इन लक्ष्यों के लिए निवेश किया जाने वाला प्रोडक्ट है” PPF और सुकन्या समृद्धि दोनों आपको सुनिश्चित रिटर्न देते हैं, लेकिन 15 साल और 21 साल के लॉक-इन पीरियड के साथ. यदि आप समय पर शुरू करते हैं तो यह आपके बच्चे की उच्च शिक्षा के लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है. एजुकेशन लोन कोविड -19 ने कई परिवारों के इमरजेंसी फंड और सेविंग्स को खत्म कर दिया या काफी कम कर दिया है. एजुकेशन फंडिंग में अचानक हुई इस कमी से निपटने के लिए खोसला एक एजुकेशन लोन लेने का सुझाव दे रहे हैं क्योंकि यह मोरेटोरियम और टैक्स बेनिफिट देता है. जैन इस सलाह को सही मानते हैं और कहते हैं, “आप अपनी बचत को एक छोटे से लोन के साथ पूरा भी कर सकते हैं. बच्चों को भी अपने भविष्य को बेहतर बनाने के लिए जागरूक करें. उन्हें मोटीवेट करें ताकि हो सके तो उन्हें स्कॉलरशिप मिल सके. याद रखें, आपके बच्चे के लिए हायर एजुकेशन जरूरी है, लेकिन यह आपकी आजादी की कीमत पर मिलती है तो इस लायक नहीं है. इस बैलेंस को बनाए रखना बहुत जरूरी है” एजूकेशन के लिए NPS-टाइप फंड नेशनल पेंशन स्कीम (NPS) के समान, भारत में मिडिल क्लास की लिमिट्स को ध्यान में रखते हुए एक कम लागत वाला हायर एजुकेशन फंड बनाया जा सकता है. हालांकि, खोसला के अनुसार, “नेशनल पॉलिसी मेकिंग की पहली प्राथमिकता भारत की बढ़ती युवा आबादी को पर्याप्त स्किल-सेट विकसित करने पर जोर देने की होनी चाहिए. इसे देखते हुए बच्चों की एजुकेशन के लिए एक NPS-टाइप का फंड जल्द से जल्द बनाया जाना चाहिए.”