यह ऐसे सवाल हैं जो कई लोगों को देर रात तक जगाए रखते हैं- भविष्य में अच्छी रिटायरमेंट लाइफ जीने के लिए कितने फंड (retirement fund) की जरूरत होगी? इसे कैसे बनाया जाए? वहीं कइयों के लिए रिटायरमेंट इतना दूर है कि वे खुद के रिटायर होने की कल्पना भी नहीं कर सकते.
दूसरा, रिटायरमेंट प्लानिंग और इसके लिए इन्वेस्टमेंट एक डिफॉल्ट है. तमाम खर्चों और लक्ष्यों को पूरा करने के बाद अगर कुछ बचता है तो वह ‘रिटायरमेंट किटी’ में चला जाता है. लेकिन इस किट में जो कुछ भी जाता है, वह कुछ समय बाद घर खरीदने से लेकर वैकेशन तक के दूसरे गोल्स को पूरा करने के लिए इस्तेमाल हो जाता है.
ऐसे में जो रिटायरमेंट के समय तक बचे रह जाते हैं, वे शायद एंप्लॉयी PF, PPF, ग्रेच्युटी और कुछ दूसरे रिटायरमेंट बेनिफिट हैं. EPF और PPF के साथ भी हमने देखा है कि लोग इनका इस्तेमाल दूसरे गोल और खर्चों के लिए कर लेते हैं. ऐसे में यहां बैलेंस उतना अच्छा नहीं रह जाता, जितना होना चाहिए था.
तीसरा, ज्यादातर लोग यह कल्पना नहीं कर पा रहे होते हैं कि रिटायरमेंट पर उनके खर्चे क्या होंगे और वे उनकी रिटायरमेंट लाइफ कितनी लंबी होगी. इसके साथ ही दुनिया बहुत अधिक अनिश्चित हो गई है. जॉब सिक्योरिटी का कॉन्सेप्ट कुछ सरकारी नौकरियों को छोड़कर पूरी तरह से खत्म हो गया है.
आइए जानने की कोशिश करते हैं कि इन सब बातों के बावजूद क्या किया किया जा सकता है.
देश की पूरी आबादी की तुलना में वह हिस्सा बहुत छोटा है, जो सरकार और PSU के लिए काम करता है. उनमें से कई को जीवनभर के लिए और जीवनसाथी के लिए कुछ हद तक पेंशन मिलेगी. ज्यादातर लाइफटाइम मेडिकल बेनिफिट का आनंद लेते हैं. हालांकि, कुछ मामलों में लिमिटेशन होती हैं.
इन लोगों को रिटायरमेंट के बारे में ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है क्योंकि पेंशन मासिक खर्चों का ख्याल रखेगी और पेंशन खुद ही बढ़ती रहेगी. यह उन लोगों के लिए था जो 2004 से पहले इन संस्थानों में शामिल हुए थे. सरकार ने लगातार बढ़ती पेंशन की फंडिंग लिमिटेशन को समझा, खास तौर से बढ़ती लाइफ एक्सपेक्टेंसी के समय में.
जो 2004 के बाद शामिल हुए हैं, उनके लिए पेंशन लास्ट मिली सैलरी के आधार पर ना होकर कॉन्ट्रीब्यूशन के आधार पर होगी. अब उन नागरिकों को देखते हैं, जिन्हें ये फायदा नहीं मिलता है और अनुमान लगाएं की उनकी रिटायरमेंट प्लानिंग कैसे की जा सकती है.
रिटायरमेंट में सबसे पहली चीज जो होनी चाहिए, वह है प्रॉपर मेडिकल इंश्योरेंस पॉलिसी. साथ ही मेडिकल से जुड़े उन खर्चों को भी एस्टीमेट करने की जरूरत है जो मेडिकल पॉलिसी में कवर नहीं होते. उदाहरण के लिए होम नर्सिंग की जरूरतें या क्रिटिकल इलनेस ट्रीटमेंट, जो मेडिकल पॉलिसी में कवर नहीं हैं.
अब अनुमान लगाते हैं कि अच्छी रिटायरमेंट लाइफ जीने के लिए कितने फंड की जरूरत होती है. सबसे पहले आता है रिटायरमेंट पर खर्च का अनुमान. इसके लिए आपको उन खर्चों को देखने की जरूरत है, जो रिटायरमेंट लाइफ में भी करने होंगे, जैसे कि किराने का सामान, इलेक्ट्रिसिटी बिल आदि. हम मान कर चल रहे हैं उस उम्र तक बच्चों की पढ़ाई का खर्च और सभी डेट पूरे हो चुके होंगे.
इन सभी पॉइंट को ध्यान में रखते हुए, आज की कीमतों के हिसाब से खर्च का अनुमान लगाएं. पूरे समय में 7% की महंगाई मानते हुए कैलकुलेशन करें कि रिटायरमेंट पर खर्च क्या होगा. फॉर्मूला है एक्सपेंस *(1.07^n). यहां n रिटायरमेंट होने के लिए सालों की संख्या है.
आम तौर पर यह देखा गया है कि रिटायरमेंट में खर्च कुल मिलाकर 20-25% कम हो जाता है. इसलिए पहले निकाले गए खर्च के आंकड़े को 20% कम करें. यह हर महीने का अनुमानित खर्च होगा. हॉलिडे, घर और व्हीकल के रखरखाव, इंश्योरेंस प्रीमियम जैसे दूसरे खर्च हो सकते हैं. दोबारा, इसी तरह से कैलकुलेशन करें और देखें कि रिटायरमेंट खर्च क्या हैं.
इसके बाद हमें किसी की लाइफ एक्सपेक्टेंसी के अनुमान की जरूरत है. मान लें कि रिटायरमेंट के बाद कपल की 30 साल की लाइफ एक्सपेक्टेंसी है. हमें किए गए निवेश पर मिलने वाले रिटर्न और हर महीने होने वाले खर्च को ध्यान में रखते हुए यह कैलकुलेट करने की जरूरत है कि रिटायरमेंट पर कितना कॉर्पस चाहिए. इंटरनेट पर अवेलेबल कैलकुलेटर इसमें आपकी मदद कर सकते हैं.
एक बार जब आप उस आंकड़े पर पहुंच जाते हैं, तो हमें यह देखने की जरूरत है कि आज हमारे पास निवेश के रूप में क्या है. इसमें PPF, NPS, EPF, म्यूचुअल फंड आदि शामिल हैं, जो रिटायरमेंट के लिए निर्धारित हैं. उस आंकड़े तक पहुंचने के लिए हमें नियमित रूप से कितनी सेविंग करने की जरूरत है.
सैलरी बढ़ने के साथ-साथ सेविंग की क्षमता भी बढ़ सकती है. इन बातों का भी ख्याल रखना होगा. ये कैलकुलेशन इतनी आसान नहीं हो सकती हैं. हालांकि, आपकी मदद के लिए इंटरनेट पर कैलकुलेटर अवेलेबल हैं.
जहां तक रिटायरमेंट की बात है तो याद रखने वाली बात यह है कि ज्यादातर लोगों के लिए रिटायरमेंट का समय बहुत लंबा होता है. हम इस फेज में कम पैसे होने का रिस्क नहीं उठा सकते क्योंकि तब हमारे पास काम करने पर विकल्प नहीं होता. इसलिए, हमें रिटायरमेंट के लिए लगातार और डिसिप्लिन इन्वेस्टमेंट करना होगा और सैलरी बढ़ने पर एलोकेशन भी बढ़ाना चाहिए.
PPF, EPF, NPS आदि जैसे निवेश रिटायरमेंट कॉर्पस बनाने के लिए उपयुक्त हैं. रिटायरमेंट के लिए निवेश करने के लिए कोई दूसरे निवेश विकल्प, जैसे कि NCD, बॉन्ड, म्यूचुअल फंड आदि का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके अलावा, कोई व्यक्ति इक्विटी-ओरिएंटेड एसेट, प्रॉपर्टी एसेट आदि में भी निवेश कर सकता है, ताकि पैसा तेजी से बढ़े और रिटायरमेंट फंड जल्दी हासिल किया जा सके.
अब अगर यह सब बहुत मुश्किल काम लगता है तो अच्छे फाइनेंशियल प्लानर से कंसल्ट करें, जैसे आप मेडिकल जरूरत के लिए डॉक्टर से कंसल्ट करते हैं. अच्छी रिटायरमेंट लाइफ के लिए रिटायरमेंट प्लानिंग बहुत जरूरी है.
(लेखक लेडर7 वेल्थ प्लानर्स प्राइवेट लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर और CEO हैं. ये उनके निजी विचार हैं)
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